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भारत के राष्ट्रपति कल राष्ट्रपति अंगरक्षक को ‘सिल्वर ट्रम्पेट’ और ‘ट्रम्पेट बैनर’ प्रदान करेंगे

राष्ट्रपति भवन : 16.11.2017

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द कल (16 नवम्बर, 2017) राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति अंगरक्षक को सिल्वर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर प्रदान करेंगे।

राष्ट्रपति अंगरक्षक भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजीमेंट है जिसकी स्थापना 1773 में गवर्नर जनरल के अंगरक्षक (बाद में वायसराय अंगरक्षक) के रूप में की गई थी। भारत के राष्ट्रपति की अपनी गारद के तौर पर इसे भारतीय सेना की एकमात्र ऐसी सैन्य यूनिट होने का गौरव हासिल है जिसे राष्ट्रपति का ‘सिल्वर ट्रम्पेट’ और ‘ट्रम्पेट बैनर’ साथ लेकर चलने का सम्मान प्राप्त है। राष्ट्रपति अंगरक्षक को यह सम्मान तत्कालीन वायसराय, लॉर्ड रीडिंग द्वारा 1923 में सेवा के 150 वर्ष पूरे होने पर प्रदान किया गया था। इसके बाद आने वाले प्रत्येक वायसराय ने अंगरक्षक को ‘सिल्वर ट्रम्पेट’ और ‘ट्रम्पेट बैनर’ प्रदान करने का क्रम जारी रखा।

27 जनवरी, 1950 को, रेजीमेंट का नाम राष्ट्रपति अंगरक्षक कर दिया गया। प्रत्येक राष्ट्रपति ने रेजीमेंट का सम्मान करने की परम्परा जारी रखी है। औपनिवेशिक युग की परिपाटी के अनुसार बैनर पर कुलचिह्न के स्थान पर राष्ट्रपति का मोनोग्राम लगाया जाता है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 14 मई, 1957 को राष्ट्रपति अंगरक्षक को ‘सिल्वर ट्रम्पेट’ और ‘ट्रम्पेट बैनर’ प्रदान किया था।

राष्ट्रपति अंगरक्षक, जैसा कि आज इसे जाना जाता है, की स्थापना गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स द्वारा बनारस में (वाराणसी) की गई थी। आरंभ में इसमें 50 घुड़सवार सैनिक थे लेकिन बाद में इसमें और 50घुड़सवार शामिल किए गए। आज,राष्ट्रपति अंगरक्षक विशेष शारीरिक बनावट वाले चुनिंदा सैनिकों की एक उच्च इकाई है। कठोर और शारीरिक रूप से थका डालने वाली प्रक्रिया के बाद उनका चयन किया जाता है।

राष्ट्रपति अंगरक्षक ने युद्ध काल में भी अपना कर्त्तव्य निभाया है और वर्तमान में इसकी एक टुकड़ी सियाचिन ग्लेशियर में तैनात है। इसके कार्मिकों ने श्रीलंका में भारतीय शांति सेना में तथा संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के भाग के रूप में सेवाएं प्रदान की हैं।

यह विज्ञप्ति 1930 बजे जारी की गई