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भारत के राष्ट्रपति पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के शताब्दी वर्ष समारोह में शामिल हुए

राष्ट्रपति भवन : 16.11.2021

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने कहा कि पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज जैसी संस्थाएं केवल एक शैक्षणिक संस्था भर नहीं हैं बल्कि यह राष्ट्र निर्माण के केन्द्रों में से हैं। वे आज (16 नवंबर, 2021) चंडीगढ़ में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पीईसी) के शताब्दी वर्ष समारोह के अवसर पर अपना वक्तव्य दे रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज सदैव राष्ट्र की आवश्यकताओं के अनुरूप आगे बढ़ा है। 1960 के दशक की शुरुआत में, जब यह महसूस किया गया कि हमारे देश को वैमानिकी इंजीनियरों की सेवाओं की आवश्यकता है, तब भारतीय वायु सेना ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से संपर्क किया था। कुछ ही समय में इंजीनियरिंग के अन्य संकायों के विद्यार्थियों को वैमानिकी इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता के अंतिम वर्ष में स्थानांतरित करके आवश्यकता की तत्काल पूर्ति की गई।

राष्ट्रपति ने कहा कि पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में आने वाले युवा कुशाग्र बुद्धि वाले हैं और वे नवाचार के लिए तत्पर हैं। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि कोविड-19 महामारी के चुनौतीपूर्ण दौरा में, पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थियों ने ऐसे रोबोट का निर्माण किया जो आइसोलेशन वार्ड में जा सकते हैं और मरीजों के लिए भोजन, दवा और अन्य आपूर्ति कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह समाज-सेवा के लिए नवाचार का अद्भुत उदाहरण है। उन्हें यह जानकर भी प्रसन्नता हुई कि इस संस्थान द्वारा कोविड से संबंधित शोध पर दो पेटेंट आवेदन दायर किए गए हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज हम ऐसे युग में हैं जहाँ रटने वाली शिक्षा का कोई महत्व नहीं रहा और शिक्षा में अनुसंधान के विचार को बढ़ावा देना होगा। हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति हम सभी के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश-स्तम्भ की तरह है, क्योंकि यह अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करने वाली है। इस नीति के तहत शिक्षा में अत्यधिक सामग्री रखने के स्थान पर, इसे अधिक सीखने की ओर इस प्रकार अग्रसर किया जाएगा जिससे यह पता चले कि कैसे तार्किक रूप से सोचें और समस्याओं को हल करें, कैसे रचनात्मक बनें और एक से अधिक विषयों का अध्ययन कर सकें, और अध्ययन के नित बदलते क्षेत्रों में नवीन सामग्री विकसित करें, उसके अनुरूप ढलें और उसे अपनाएं।

राष्ट्रपति ने कहा कि पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज पहले से ही अनुसंधान और विकास के पथ पर काफी आगे रहा है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के शताब्दी समारोह के अवसर पर परिसर में एक अत्याधुनिक ‘सेमीकंडक्टर अनुसंधान सुविधा’ का उद्घाटन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने वाली ऐसी सुविधाएं इस संस्थान के लिए कोई नई बात नहीं हैं क्योंकि विद्यार्थियों के हित के लिए इस तरह के उद्यम स्थापित करने हेतु पहले भी सरकारी और निजी संगठनों के साथ मिलकर कार्य किए गए हैं। अन्य विश्वविद्यालयों द्वारा ऐसा ही एक अनुकरणीय उदाहरण ‘सीमेंस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन मैन्युफैक्चरिंग’ है। उन्होंने आईआईटी, पीजीआई और इसरो जैसे अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ निरंतर सहकार्य के लिए भी पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज की सराहना की। उन्होंने कहा कि अनुप्रयोग-आधारित अनुसंधान में उत्कृष्टता के लक्ष्य को साकार करने में इस तरह के कदम सहायक सिद्ध होते हैं। उन्होंने आगे कहा कि उद्योग और संस्थान के बीच इस तरह के जुड़ाव से आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने में सहायता भी मिलेगी।

पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के पूर्व-विद्यार्थियों के समृद्ध नेटवर्क का उल्लेख करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि इस कॉलेज के स्नातक कभी अकेले नहीं होते हैं क्योंकि पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के पूर्व-विद्यार्थियों का परामर्श और अनुभव उन्हें हमेशा उपलब्ध होता है। उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज जैसे संस्थानों और उनके पूर्व-विद्यार्थियों से मार्गदर्शक के रूप में कार्य करने और देश के अन्य विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में देश के सभी हिस्सों के विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, जो इसे विविधता में एकता का एक आदर्श उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करता है। उन्होंने विश्वास जताया कि यदि कोई संस्थान विद्यार्थियों के इतने बड़े समूह के एकीकरण का कारक हो सकता है, तो पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के पूर्व-विद्यार्थियों का मार्गदर्शन भी निश्चित रूप से हमारे देश को एकीकृत करने का कारक बन सकता है। उन्होंने कहा कि हमने हमेशा "वसुधैव कुटुम्बकम" अर्थात- ‘समूचा संसार ही एक परिवार है’ के सिद्धांत को अपनाया है। ऐसा होना ही चाहिए कि हमारे देश के भिन्न-भिन्न संस्थान और विश्वविद्यालय भी इस सिद्धांत का पालन करें। हमारे देश की उत्तरोत्तर प्रगति के लिए और हमारे देश के सभी विद्यार्थियों के हित के लिए ज्ञान आधारित नेटवर्क के निर्माण हेतु हमें एक साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है।