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भारत के राष्ट्रपति बांग्लादेश की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती और "मुजीब बोरशो" समारोह के समापन के अवसर पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में शामिल हुए

राष्ट्रपति भवन : 16.12.2021

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने कहा, 'बांग्लादेश की मुक्ति की इस ऐतिहासिक 50वीं वर्षगांठ पर, मैं आपको भारत में आपके 130 करोड़भाइयों और बहनों की ओर से इस उत्सव की बधाई देता हूं।’ वे आज शाम (16 दिसंबर, 2021) बांग्लादेश की राष्ट्रीय संसद में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती और "मुजीब बोरशो" समारोह के समापन के अवसर पर आयोजित विशेष कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि, पचास वर्ष पूर्व, दक्षिण एशिया के वैचारिक मानचित्र में अपरिवर्तनीय बदलाव आया और ‘बांग्लादेश’ नामक गौरवशाली राष्ट्र का उदय हुआ। उन्होंने बांग्लादेश के लाखों लोगों की अनकही पीड़ा, विशेष रूप से बेटियों, बहनों और माताओं पर किए गए अत्‍याचार की याद में श्रद्धांजलि अर्पित की, और कहा कि उन सभी के बलिदान और बांग्लादेश के पक्ष के न्‍यायसंगत होने के कारण ही इस क्षेत्र में यह परिवर्तन हुआ।

राष्ट्रपति ने कहा कि इतिहास में इस प्रकार के कुछ ही उदाहरण हैं जो भारत में बांग्लादेश के संघर्ष के प्रति पैदा हुई सहानुभूति और जमीनी स्तर के व्‍यापक समर्थन की बराबरी कर सकते हों। उस समय बांग्लादेश के लोगों की हर संभव सहायता करने के लिए लोगों ने अपने दिलों और घरों के द्वार खोल दिए थे। जरूरत की घड़ी में हमारे बांगलादेशी भाइयों और बहनों की मदद कर पाना हमारे लिए सम्मान के साथ-साथ गंभीर जिम्मेदारी की बात भी थी। उन्होंने कहा कि इतिहास हमेशा हमारी इस अनूठी मैत्री का साक्षी रहेगा जिसकी नींव उस जनयुद्ध में मज़बूत हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप बांगलादेश आजाद हुआ। उस युद्ध में भाग लेने वाले - भारत और बांग्लादेश दोनों ही देशों के दिग्गज योद्धा -हमारे उसी विश्वास और मैत्री की शक्ति के जीवित प्रमाण हैं, जो पहाड़ों को भी डिगा सकने का साहस रखती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि 50 वर्ष से कुछ ही अधिक समय पूर्व, स्वतंत्र बांग्लादेश की परिकल्पना से लाखों लोग प्रेरित हुए। लेकिन आलोचकों, संशयवादियों और विरोधियों की नजरों में यह बहुत दूर की कौड़ी और असंभव सा लगने वाला स्वप्न था। अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियां और जमीनी राजनीति को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता था कि मुक्ति की संभावना क्षीण है। लेकिन बंगबंधु की प्रेरक राजनीति, उनकी स्पष्ट दूरदृष्टि वाला नैतिक विश्वास और पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के लिए न्याय हासिल करने के उनके अटल निश्चय ने वास्तव में हवा का रुख ही पलट दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि बंगबंधु का सपना एक ऐसे बांग्लादेश के निर्माण का था जो न केवल राजनीतिक रूप से स्वतंत्र हो, बल्कि एक समतावादी और समावेशी राष्ट्र भी हो। दुख की बात है कि उनके जीवनकाल में उनका यह स्वप्न साकार नहीं हो सका। बंगबंधु और उनके परिवार के अधिकांश सदस्यों की क्रूरतापूर्वक हत्या करने वाली मुक्ति-विरोधी ताकतों को यह एहसास नहीं था कि गोलियां और हिंसा उस विचार को नहीं मिटा सकती जो लोगों की चेतना में रच-बस गई थी। राष्ट्रपति ने कहा कि आज, प्रधान मंत्री शेख हसीना के नेतृत्व में, बंगबंधु के उन आदर्शों को बांग्लादेश के परिश्रमी और उद्यमी लोग साकार कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमने पिछले एक दशक में बांग्लादेश द्वारा हासिल की गई सराहनीय आर्थिक वृद्धि देखी है, जिसके माध्यम से यहाँ के नागरिकों को अपनी पूरी क्षमता को साकार करने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि यहां की अनुकूल भौगोलिक स्थिति की सहायता के बल पर बांग्लादेश के शानदार आर्थिक प्रदर्शन से इस पूरे उप-क्षेत्र के साथ-साथ पूरी दुनिया को फायदा हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के बीच इस तथ्य के बारे में स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है कि निकट उप-क्षेत्रीय व्यापार, आर्थिक सहयोग और कनेक्टिविटी की सहायता से बहुत ही कम समय में ‘शोनार बांगलें’ के निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लाने में मदद मिलेगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने हमेशा बांग्लादेश के साथ अपनी मैत्री को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। हम अपनी मैत्री की संभावनाओं को पूरी तरह से साकार करने की दिशा में हर संभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हाल के वर्षों में व्यापार, आर्थिक सहयोग, लोगों से लोगों के बीच संबंधों, विद्यार्थियों के आदान-प्रदान और क्रियाकलापों के ऐसे अनेक क्षेत्रों में हमने व्यापक जुड़ाव का निरंतर विस्तार देखा है। ये गतिविधियां परस्‍पर सम्मान, संप्रभु समानता और हमारे अपने-अपने दीर्घकालिक हितों पर आधारित पर स्थायी और गहरी मैत्री की गारंटी हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि यदि भारत-बांग्लादेश साझेदारी की शुरुआत के पहले 50 वर्ष असाधारण चुनौतियों को पार करते हुए बीते माने जाएं, जिसमें हमारे लोगों के बीच मैत्री गहरी हुई है, तो शायद अब समय आ चुका है कि हम इसके लक्ष्‍य और भी ऊंचे तय करें। इस उपलब्धि को प्राप्त करने के लिए, हमारा व्यवसाय-क्षेत्र, हमारा शिक्षा-क्षेत्र और विशेष रूप से हमारे युवाओं को विचार, रचनात्मकता, वाणिज्य और प्रौद्योगिकी की दुनिया में विश्व स्तर पर संयुक्त रूप से अग्रणी पहल करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। हमें अपने विचारकों से आग्रह करना चाहिए कि वे सफलता की हमारी अनूठी गाथाओं की शक्ति को पहचानें, ताकि 'श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ' ऐसे नमोन्‍मेषों को सामने लाया जा सके जो हमारे क्षेत्रीय संदर्भ में प्रासंगिक हों। इंटर-कनेक्टिविटी के एक नए युग में प्रवेश कर रहे हम दोनों देश मिलकर विचारों और नवाचार के निर्बाध प्रवाह के अवसर सृजित कर सकते हैं। और हमारे व्यवसायों को उत्पादन और परिवहन कनेक्टिविटी की गहन रूप से एकीकृत आपूर्ति श्रृंखला की परिकल्पना को साकार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जिससे हमारा यह उप-क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े उत्पादन केन्द्रों में से एक बन सके तथा वस्तुओं और सेवाओं के लिए दुनिया के सबसे बड़े बाजार के रूप में उभर सके।

इससे पहले सुबह के समय, राष्ट्रपति ढाका के राष्ट्रीय परेड ग्राउंड में 'सम्मानित अतिथि' के रूप में राष्ट्रीय विजय दिवस परेड में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में भारतीय सशस्त्र सेना के तीनों अंगों के 122 सदस्यीय दल ने भी भाग लिया।

कल, राष्ट्रपति ढाका में जीर्णोद्धार किए गए रमना काली मंदिर का उद्घाटन करेंगे और नई दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त द्वारा आयोजित भारतीय समुदाय और फ्रेंड्स ऑफ़ इंडिया के स्वागत समारोह को भी संबोधित करेंगे।