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भारत के राष्ट्रपति ओडिशा में; ओडिशा के लोगों को ‘आनंद भवन संग्रहालय और शिक्षण केन्द्र’ समर्पित किया; ‘नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ओडिशा’ के स्थापना दिवस में व्याख्यान भी दिया

राष्ट्रपति भवन : 17.03.2018

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (17 मार्च, 2018) कटक में ओडिशा के राज्यपाल, डॉ. एस.सी जमीर और ओडिशा के मुख्यमंत्री, नवीन पटनायक और विशिष्ट अतिथिगण की उपस्थिति में ओडिशा के लोगों को स्वर्गीय मुख्यमंत्री, बीजू पटनायक का स्मारक ‘आनंद भवन संग्रहालय और शिक्षण केन्द्र’ समर्पित किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि लोगों के दिलों में बीजू पटनायक का विशेष स्थान है। उन्होंने सभी प्रदेशों और राजनीतिक दलों का प्यार और सम्मान अर्जित किया। उनकी विरासत दलगत संबंध से परे है। न केवल ओडिशा बल्कि पूरे देश को उन पर गर्व है। राष्ट्रपति ने आनंद भवन परिसर राज्य सरकार को सौंपने के लिए श्री नवीन पटनायक और उनके परिवार की सराहना की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस संग्रहालय में आने वाले दर्शक, स्वर्गीय बीजू पटनायक के बहुआयामी व्यक्तित्व के बारे में और अधिक जानकारी हासिल कर पाएंगे तथा ओडिशा और भारत के इतिहास के एक शानदार अध्याय से परिचित हो सकेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के समावेशी विकास के लिए ओडिशा का चहुंमुखी विकास जरूरी है। ओडिशा वन और खनिज संसाधनों से सम्पन्न है। इन संसाधनों के इष्टतम और संतुलित प्रयोग के द्वारा राज्य नए शिखर पर पहुंच सकता है। ओडिशा में पर्यटन क्षेत्र की भी प्रचुर संभावनाएं हैं, इससे रोजगार बढ़ सकता है और आर्थिक विकास मजबूत हो सकता है।

शाम को, राष्ट्रपति ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ओडिशा का तृतीय स्थापना दिवस व्याख्यान दिया।

उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि कानूनी पेशे के आधुनिकीकरण ने विधि स्नातकों और युवा वकीलों के लिए अवसरों की वृद्धि के साथ ताल-मेल बनाए रखा है। हालांकि, कानूनी प्रैक्टिस का आधार अभी भी अदालतों में चलने वाले मुदकमे ही हैं परंतु किसी विधि स्नातक का आज ऐसे बहुत से अवसर उपलब्ध हैं जो उससे पहले वाली पीढि़यों को साधारणतया प्राप्त नहीं हो पाते थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि जैसे-जैसे हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ी है वैसे-वैसे कानूनी पेशे का भी विस्तार होता गया है। वाणिज्यिक और कारोबार कानून और अधिक महत्वपूर्ण, जटिल और बौद्धिक रूप से प्रेरक बन गए हैं। व्यापार और वाणिज्य, अंतरराष्ट्रीय समझौतों और राजनयिक कला में भी वार्ताओं को सम्पन्न करने और प्रारूपों के कुशल लेखन के लिए वकीलों और विधिक विचारकों का सहारा लेना बढ़ता जा रहा है। विवाचन और कानूनी सेवाओं के वैश्वीकरण ने वर्तमान वकीलों को हमारी बाकी दुनिया से भी जोड़ दिया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि वकील अदालत का कानून अधिकारी होता है। मुवक्किल के प्रति उसकी जिम्मेदारी होती है परंतु न्याय प्रदान करने में अदालत की सहायता करने का भी उसका कर्तव्य है। हमारी विधिक प्रणाली खर्चीली और विलंब प्रवण होने के कारण बदनाम है। अकसर वकीलों द्वारा ‘स्थगन के उपाय’ का प्रयोग और दुरुपयोग किया जाता है क्योंकि वे स्थगन को किसी वास्तविक विपदा के समाधान की बजाय कार्यवाही को धीमा करने की युक्ति के रूप में देखते हैं। इससे वादी की न्याय प्राप्ति की लागत काफी बढ़ जाती है। यदि कानून तक किसी गरीब व्यक्ति की पहुंच अमीर व्यक्ति की तरह नहीं है तो हमारी गणतांत्रिक नैतिकता एक तरह का मजाक बनकर रह जाएगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि वकीलों की उभरती पीढ़ी को इन मुद्दों पर चिंतन करना चाहिए और उनमें सुधार करना चाहिए। बौद्धिक और वित्तीय दोनों रूप से इस पेशे में अवसर और प्रतिसाद-दोनों प्रभूत मात्रा में होते हैं। और यह स्वागत योग्य भी है। परंतु कोई श्रेष्ठ कानूनी पेशेवर कोई मात्र दिमाग वाला व्यक्ति नहीं बल्कि दिल वाला व्यक्ति होता है।

राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ओडिशा अपने विद्यार्थियों को नए क्षेत्रों के लिए तैयार कर रही है और उन्हें नई संभावनाओं से परिचित करा रही है। शैक्षिक नेटवर्कों की वैश्विक पहल कार्यक्रम का प्रयोग करते हुए इस विश्वविद्यालय ने भारत में अंतरराष्ट्रीय ई-वाणिज्य कानून और कॉरपोरेट संचालन में पाठ्यक्रमों की पेशकश की है। इनमें अमेरिका और सिंगापुर के अतिथि शिक्षकों को शामिल किया गया है।

राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि विश्वविद्यालय का पाठ्यक्रम सामाजिक रूप से प्रासंगिक है। इस वर्ष जुलाई से बाल अधिकारों पर युनिसेफ के सहयोग से तैयार एक दूरवर्ती शिक्षा एवं ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। उन्होंने इस प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस पेशे की उन्नति चाहे कितनी भी हो जाए लेकिन मूल रूप से कानूनी पेशे में वकीलों की एक सहज आकांक्षा मूक लोगों कीआवाज बनने और सबसे वंचित लोगों को न्याय दिलाने की होनी चाहिए। प्रत्येक बच्चे के लिए सार्वभौमिक और अपरिहार्य अधिकार उपलब्ध कराने की एक आकांक्षा ही वह तत्व है जिससे कानूनी पेशा बहुत सार्थक हो जाता है।

आज सुबह, राष्ट्रपति ने कटक की अपनी यात्रा, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म स्थान पर श्रद्धांजलि अर्पित करके शुरू की।

यह विज्ञप्ति 1615 बजे जारी की गई