भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भुवनेश्वर के दीक्षांत समारोह में भाग लिया; रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान-भारतीय तेल निगम के भुवनेश्वर परिसर का उद्घाटन किया; सार्वजनिक क्षेत्र के तेल उपक्रमों के कौशल विकास संस्थान का शिलान्यास किया
राष्ट्रपति भवन : 18.03.2018
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (18 मार्च, 2018) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भुवनेश्वर के छठे दीक्षांत समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित किया। रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान-भारतीय तेल निगम के भुवनेश्वर परिसर का भी उद्घाटन किया और सार्वजनिक क्षेत्र के तेल उपक्रमों के कौशल विकास संस्थान का शिलान्यास किया।
स्नातक विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इस परिसर से जाने के बाद उनके सामने अवसरों की एक पूरी नई दुनिया मौजूद होगी। आपमें से बहुत से स्नातक, प्रतिभावान टेक्नोक्रेट हैं और इस कारण, अपने नवाचारी विचारों को साकार करने के लिए आप अपने उद्यम स्थापित करने पर विचार करेंगे। उन्होंने उनसे, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने वाली भारत सरकार की योजनाओं से लाभ उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अपने उद्यम के माध्यम से वे आर्थिक संपदा और रोजगार के सर्जक बन सकेंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों से जुड़े होने के कारण उन्हें अपने और अपने परिवारों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र और पूरी दुनिया के लिए सर्वोत्तम उपलब्धि प्राप्त करने की आकांक्षा रखनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान-भारतीय तेल निगम के भुवनेश्वर परिसर का उद्घाटन करने और सार्वजनिक क्षेत्र के तेल उपक्रमों के कौशल विकास संस्थान का शिलान्यास करके खुशी हुई है। इन दोनों संस्थानों की स्थापना से ओडिशा के विकास के प्रति भारत सरकार की प्रतिबद्धता का पता चलता है।
राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान-भारतीय तेल निगम के भुवनेश्वर परिसर में कक्षा 12 के बाद पंचवर्षीय समेकित एम.टेक. कार्यक्रम, औद्योगिक कार्मिकों के लिए एक एक्जीक्यूटिव एम.टेक. कार्यक्रम और पी.एच.डी. कार्यक्रम संचालित किया जाएगा। इसके अलावा इस परिसर में, रसायन इंजीनियरी, पेट्रोकेमिकल्स, वस्त्र, दवा निर्माण और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में उच्च स्तरीय अनुसंधान व नवान्वेषण करने और कौशल विकास में सहयोग करने की सुविधाएं होंगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि कौशल विकास संस्थान युवाओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, थ्री डी प्रिंटिंग और उन्नत रोबोट विज्ञान से संबंधित सरल से लेकर जटिलतर किस्म के अनेक कौशलों से संबंधित संक्षिप्त पाठ्यक्रम भी पेश करेगा। कौशल विकास संस्थान, भुवनेश्वर हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में देश का पहला कौशल विकास संस्थान होगा। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि इस संस्थान का लक्ष्य, अगले दस वर्षों में लगभग 50,000 युवाओं को प्रशिक्षित करने का है।
दिन की शुरुआत में, राष्ट्रपति ने पुरी में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के शताब्दी समारोह को संबोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय ज्ञान और संस्कृति के विकास और संरक्षण का कार्य पालि, प्राकृत और संस्कृत जैसी भाषाओं में किया जाना है। संस्कृत न केवल आध्यात्मिकता, दर्शन और साहित्य की भाषा है बल्कि ज्ञान की भाषा भी है। आर्यभट्ट, भास्कर, चरक और सश्रुत जैसे अनेक वैज्ञानिकों और गणितज्ञों ने अपनी पाण्डुलिपियां संस्कृत में लिखीं हैं।
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के सदाशिव परिसर से जुड़े सभी लोगों को संस्कृत के अध्यापन, शोध और प्रचार-प्रसार में निरंतर योगदान के लिए बधाई दी।
यह विज्ञप्ति 1640 बजे जारी की गई