Back

भारत के राष्ट्रपति ने एथेंस में विदेश नीति विचार मंच को संबोधित किया

राष्ट्रपति भवन : 19.06.2018

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्‍द ने आज (19 जून, 2018) एथेंस में ‘इंडिया एंड यूरोप इन ए चेंजिंग वर्ल्ड’ विषय पर राजनयिकों, नीति निर्माताओं और शिक्षाविदों को संबोधित किया। इस समारोह का आयोजन यूनान और यूरोप के प्रमुख विदेश नीति विचार मंच ‘हेलेनिक फाऊंडेशन फॉर यूरोप एंड फॉरेन पॉलिसी’द्वारा किया गया था।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विश्व शांति के प्रति वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत का मानना है कि शांति का मतलब संघर्ष की गैरमौजूदगी मात्र नहीं है बल्कि उसमें सतत विकास का प्रतिबिंब और वास्तव में तनाव और तकलीफों का पुर्वानुमान करने और उनकी रोकथाम करने का प्रयास है। जलवायु परिवर्तन के लिए काम करते हुए हम विश्व शांति में योगदान देते हैं। विकासशील देशों की मदद, उनकी अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार मदद करने और एक कम असमान विश्व के लिए कोशिश करते हैं तो हम विश्व शांति में योगदान देते हैं। संकटग्रस्त क्षेत्रों से न केवल अपने बल्कि 40 दूसरे देशों के नागरिकों को बचाते समय और उन्हें सुरक्षित निकाल कर दूसरे स्थान पर ले जाने पर,जैसा कि हमने 2015 के यमन संकट के दौरान किया था, हम विश्व शांति में योगदान देते हैं। जब हम संयुक्त राष्ट्र शांति सेना अभियानों को पूरा करने के लिए बड़ी संख्‍या में सैनिक और संसाधन उपलब्‍ध कराते हैं तो हम विश्व शांति में योगदान देते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि कट्टरता और आतंकवाद भीषण वैश्विक चिंताएं हैं। अस्थिरता और आतंकवाद के स्‍थल यूरोप के पूर्व में और भारत के पश्चिम क्षेत्र में देखे जा सकते हैं। येस्‍थान, यूरोप और भारत दोनों के लिए चिंताजनक है। सरकारी और गैर-सरकारी तत्वों द्वारा आतंकवाद को प्रोत्साहन;विविध रूपों में उपस्थित और अकारण नफरत पर आधारित उग्रवाद; संवेदनशील हथियारों का प्रसार; आतंकवादी समूहों द्वारा संचार और वित्तीय माध्यमों का लगातार प्रयोग-ये सब लक्षण न केवल किसी एक या दूसरे राष्ट्र के लिए बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए एक चुनौती पेश करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ को चाहिए कि तथाकथित ‘अच्छे’और ‘बुरे’आतंकवादियों के बीच फर्क न किया जाए, आतंकवाद के सरकारी प्रायोजकों को दण्डित किया जाए और उन पर प्रतिबंध लगाया जाए और वित्तीय कारर्वाई कार्य-बल तथा वैश्विक आतंकवाद-रोधी मंच जैसे बहुपक्षीय मंचों को मजबूत करने के लिए विश्व को समझाया जाए। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ के लिए संभावित रूप से उपयोगी सिद्ध होने वाले अपने घरेलू अनुभव और सफलताओं को साझा करने के लिए भारत प्रतिबद्ध है।

स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ 2015 के पेरिस समझौते के प्रति अपनी वचनबद्धता के मामले में एकजुट हैं। भारत अपने उर्जा संसाधन उपयोग में गैर-जीवाश्म ईंधनों के हिस्से को बढ़ा रहा है। वर्ष 2027 तक यह हिस्‍सा वर्तमान 31 प्रतिशत से बढ़कर 53 प्रतिशत हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हम 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं,जिसमें सौर ऊर्जा का हिस्‍सा 100 गीगावाट का होगा। राष्ट्रपति ने यूनान को अंतरराष्‍ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के सदस्य देशों की वहनीय सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वित्‍तीय संसाधन जुटाने के मामले में यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक की दिलचस्पी पर भी खुशी व्यक्त की।

यूरोपीय संघ भारत के सबसे बड़े व्यापार साझेदारों में शामिल है। राष्ट्रपति ने कहा कि यूरोपीय संघ निवेश और प्रौद्योगिकी,विशेषकर सातत्‍यशील कार्यक्रमों का एक प्रमुख स्रोत है। भारतीय कंपनियां यूरोपीय संघ में औषध निर्माण से लेकर ऑटोमोबाइल कल-पुर्जों तक के उद्योगों में महत्वपूर्ण निवेशक हैं। राष्ट्रपति कोविन्‍द ने कहा कि भारत-यूरोपीय संघ के व्‍यापक व्यापार और निवेश समझौते के प्रति भारत वचनबद्ध है और इसे आपसी समझ-बूझ तथा व्यावहारिकता की उदार भावना के साथ लागू किए जाने के प्रति भी।

दिन की शुरुआत में, राष्ट्रपति ने एथेंस में भारत-यूनान व्यापार मंच को संबोधित किया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि 530 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भारत-यूनान द्विपक्षीय व्‍यापार दोनों देशों की अपनी क्षमता से बहुत कम है। थोड़े से ही प्रयासों से इसे अगले कुछ वर्षों में आसानी से 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा किया जा सकता है और भारत इस प्रयास में आगे रहने के तत्‍पर है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय और यूनानी अर्थव्यवस्थाओं के बीच स्पष्ट तौर पर पूरक विशेषताएं मौजूद हैं। उन्होंने यूनान की नौवहन, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, पर्यटन, अवसंरचना, प्रौद्योगिकी, रक्षा और स्टार्ट-अप कंपनियों से भारत में निवेश और प्रौद्योगिकी सहयोग की संभावनाओं पर गौर करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत की महत्वाकांक्षी सागरमाला परियोजना में यूनान के नौवहन उद्योग के लिए लाभकारी अवसर मौजूद हैं। उन्होंने रक्षा निर्माण, औषध-निर्माण, पर्यटन, रियल एस्टेट, मनोरंजन, अवसंरचना और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग के अवसरों की भी चर्चा की।

कल शाम (18 जून, 2018) राष्ट्रपति ने यूनान के राष्ट्रपति द्वारा उनके सम्मान में आयोजित एक राज भोज में भाग लिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि बहुपक्षीय और विश्व शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने का साझा दायित्‍व भारत और यूनान का है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्‍यता के लिए भारत की उम्मीदवारी के प्रति निरंतर समर्थन के लिए यूनान सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर भी बल दिया।

दिन (19 जून, 2018) के अंत में,राष्ट्रपति तीन देशों-यूनान, सूरीनाम और क्यूबा की अपनी यात्रा के दूसरे चरण में सूरीनाम के लिए रवाना हो गए।

यह विज्ञप्ति 1415 बजे जारी की गई।