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भारत के राष्ट्रपति अरुणाचल प्रदेश में; राज्य विधान सभा के विशेष सत्र को संबोधित किया

राष्ट्रपति भवन : 19.11.2017

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (19 फरवरी, 2017) ईटानगर में अरुणाचल प्रदेश विधान सभा के विशेष सत्र में विधायकों को संबोधित किया।

विधायकों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने उनसे यह याद रखने का आग्रह किया कि उन्हें राज्य की जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने और जन सेवा के लिए विधान सभा सदस्यों के रूप में चुना गया है। चुने जाने के पश्चात् वे अपने निर्वाचन क्षेत्र के सभी नागरिकों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनमें वे भी शामिल हैं, जिन्होंने उन्हें संभवतः अपना मत न दिया हो। विधायकों के रूप में,वे जन हित और जन विश्वास के संरक्षक हैं। उनकी जिम्मेदारी ऐसे कानून बनाने भी हैं जिनसे लोगों के जीवन में सुधार आएं और जन हित के मुद्दे हल हों।

राष्ट्रपति ने कहा कि हम सभी एक ऐसे देश के नागरिक हैं जो सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और विविधता से भरपूर है। भारत में अलग-अलग किस्म के खान-पान,पहनावे, रीति-रिवाज और धार्मिक परंपराएं पाई जाती हैं। फिर भी,यह विविधता हमारी ताकत है और हमें एकसूत्र में बांधती है। चाहे तिरुपति हो या तारनेतार,या तवांग का बौद्ध मठ हो, ये हरेक भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं और हममें से प्रत्येक के लिए गर्व का विषय हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश ‘अनेकता में एकता’में निहित, हमारे राष्ट्र की परंपराओं को खूबसूरती से व्यक्त करता है। राज्य में सैकड़ों जनजातियां और धार्मिक समुदाय हैं,जो आपस में मिल-जुलकर रहते हैं। यह हम भारतीयों के लिए एक आदर्श है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सीमावर्ती राज्य होने के कारण अरुणाचल प्रदेश पड़ोसी देशों के साथ व्यापार और कारोबार करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि‘एक्ट ईस्ट’नीति के तहत, अरुणाचल प्रदेश‘आसियान’देशों के साथ व्यापार और आर्थिक संबंधों का वाहक बनेगा।

दिन की शुरुआत में, राष्ट्रपति ने ईटानगर के विवेकानन्द केन्द्र के 40 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित इसके समापन समारोह में भाग लिया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने शिक्षा के क्षेत्र में अरुणाचल प्रदेश में सराहनीय कार्य के लिए विवेकानन्द केन्द्र की प्रशंसा की। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि विवेकानन्द केन्द्र के विद्यालयों ने गुरुकुल प्रणाली के जरिए गुरु-शिष्य परंपरा को जीवित रखा है। उन्होंने योग,प्राणायाम, ध्यान,संस्कृत और हमारे अतीत की अन्य विरासतों के माध्यम से भारतीय संस्कृति को अक्षुण्ण रखा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विवेकानन्द केन्द्र के विद्यालय,हमारे परंपरिक ज्ञान व मूल्यों और आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सुन्दर संगम हैं।

यह विज्ञप्ति 1745 बजे जारी की गई