राष्ट्रपति भवन में आईआईटी, एनआईटी और आईआईईएसटी के निदेशकों के सम्मेलन का आयोजन किया गया
राष्ट्रपति भवन : 19.11.2019
राष्ट्रपति भवन में आज (19 नवंबर, 2019) आईआईटी, एनआईटी और आईआईईएसटी, शिबपुर के निदेशकों के सम्मेलन का आयोजन किया गया। 23 आईआईटी, 31 एनआईटी और आईआईईएसटी, शिबपुर के निदेशकों के अलावा, इसमें केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री; मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री; सचिव (उच्चतर शिक्षा); सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा अध्यक्ष, एआईसीटीई शामिल हुए।
समापन सत्र में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने कहा कि यह वर्ष का ऐसा समय होता है जब राष्ट्रीय राजधानी के साथ ही कई अन्य शहरों की वायु गुणवत्ता सभी मानदंडों से नीचे चली जाती है। हमारे समक्ष यह एक बड़ी चुनौती है, जिसका सामना हमने पहले कभी नहीं किया है। पिछली कुछ शताब्दियों में हाइड्रोकार्बन ऊर्जा ने दुनिया का चेहरा बदल कर रख दिया है, लेकिन अब इससे हमारा अस्तित्व ही खतरे में आ गया है। ऐसे देशों के लिए यह चुनौती और भी जटिल बन गई है, जो अपने देश की आबादी के एक बड़े हिस्से को गरीबी से बाहर लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। फिर भी, हमें विकल्प तो तलाशने ही होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि कई वैज्ञानिकों और भविष्यवक्ताओं ने ऐसी भविष्यवाणियां की हैं कि जैसे प्रलय आने ही वाली है। हमारे शहरों में जब धुंध और कुहासा छा जाता है, तो हमें डर लगने लगता है कि कहीं वह भविष्यवाणी सच तो नहीं होने लगी है। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि आईआईटी, एनआईटी जैसे संस्थान अपनी विभिन्न विशेषज्ञताओं की सहायता से विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के बीच हमारे साझा भविष्य के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता पैदा करने की ओर ध्यान देंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी सरकार ने ‘व्यापार सुगमता सूचकांक’ में भारत की रैंकिंग में सुधार के लिए एकजुट प्रयास किए हैं, और अब इसका उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए ‘जीवन यापन की सुगमता’ में सुधार करना है। प्रौद्योगिकीय प्रगति को देखते हुए, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आईआईटी, एनआईटी जैसी संस्थाएँ सभी नागरिकों के ‘जीवन यापन की सुगमता’ में सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। उन्होंने कहा कि शहरी बुनियादी ढांचे में सुधार, जल आपूर्ति प्रणालियों को कार्यक्षम बनाना, स्वास्थ्यचर्या विस्तार को अधिक प्रभावी बनाना आदि - ऐसे अनगिनत तरीके हैं जिनमें प्रौद्योगिकी के माध्यम से किसी औसत भारतीय के जीवन में बहुत अधिक अंतर लाया जा सकता है।
यह सम्मेलन, राष्ट्रपति के उस नियमित सम्पर्क-वार्ताओं के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया है, जो वे 152 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थाओं के विज़िटर के रूप में ऐसी संस्थाओं के साथ करते हैं।