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भारत के राष्ट्रपति पणजी में गोवा के मुक्ति दिवस समारोह में शामिल हुए

राष्ट्रपति भवन : 19.12.2020

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने कहा कि गोवा की मुक्ति का संघर्ष केवल नागरिक स्वतंत्रता के लिए नहीं था। वह, भारत के साथ फिर से एकाकार होने की चिर-संचित अभिलाषा की पूर्ति का संघर्ष भी था। इस अभिलाषा की अभिव्यक्ति, मुक्ति संघर्ष में तिरंगे के उपयोग में साफ दिखाई देती थी। राजनीतिक संघर्ष के लिए गांधीवादी मार्ग को अपनाना भी इसी भावात्मक एकता का परिचायक था। वे आज (19 दिसंबर, 2020) गोवा के 60वें स्वाधीनता दिवस समारोह के उद्घाटन के अवसर पर अपना वक्तव्य दे रहे थे।

सभा को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि आप सभी के पूर्वजों ने, आज़ादी की मशाल को बुझने नहीं दिया। इसे जलाए रखने के लिए, अनेक स्वाधीनता सेनानियों ने अपना जीवन बलिदान कर दिया। इस अवसर पर, उन्होंने उनसभी पूर्वजों के त्याग और बलिदान का स्मरण किया और उनके बलिदानों के प्रति अपना सम्मान प्रदर्शित किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि जब गोवा को आजाद कराया गया था, तब इसका आधारभूत ढांचा और उद्योग-धंधे विकसित नहीं थे। आज, गोवा जब अपनी आज़ादी के 60वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है तो यह देखकर गर्व होता है कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में यह राज्य पहले स्थान पर है। इसका श्रेय गोवा के मेहनती लोगों, जन-प्रतिनिधियों, जन-सेवकों तथा उद्योग क्षेत्र को जाता है।राष्ट्रपति ने कहा कि आज जब पूरा देश, ‘आत्मनिर्भर भारत’ के मंत्र पर चलते हुए स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए आगे बढ़ रहा है, तब गोवा सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत, स्वयंपूर्ण गोवा’ की पहल सराहनीय है।

राष्ट्रपति ने कहा कि गोवा के सकल घरेलू उत्पाद में औद्योगिक क्षेत्र के योगदान का प्रतिशत भारत में सबसे अधिक है। राज्य के छोटे आकार के बावजूद, यहां बड़े-बड़े उद्यमों ने निवेश किया है। गोवा अपने फार्मास्युटिकल उत्पादों की उच्च गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। कोविड-19 महामारी से युद्ध में यहां की फार्मा कंपनियों ने देश-विदेश में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।

गोवा की संस्कृति की प्रशंसा करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि गोवा के लिए यह गौरव का विषय है कि यहां के लोगों ने, समान नागरिक संहिता को अपनाया है। ऐसा करने से,यहां की सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा मिला है। गोवा के लोगों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था और सुशासन को मजबूत करने के साथ-साथ सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखा है। जनता की सक्रिय भागीदारी वाला यह अनूठा मॉडल, गोवा के लोगों की प्रगतिशील सोच का उत्कृष्ट उदाहरण है।