भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान मोहाली के 7वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया
राष्ट्रपति भवन : 20.05.2018
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज ( 20 मई, 2018 ) मोहाली, पंजाब में भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, मोहाली के 7वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि यद्यपि भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान एक नया संस्थान है परंतु यह हमारे देश की उच्च शिक्षा और अनुसंधान का एक अत्यंत महत्वपूर्ण केन्द्र है। यह संस्थान बहुत जल्दी वैज्ञानिक प्रगति से जुडने के इच्छुक विद्यार्थियों और संकाय के लिए उत्तरी भारत के महत्वपूर्ण गंतव्यों में से एक बन गया है। यह संस्थान, मौलिक विज्ञान अनुसंधान की सुविधाओं को बढ़ावा देने और उन्हें उपलब्ध करवाने तथा इन्हें भारत और हमारे व्यापक समाज की जरूरतों के साथ एकीकृत करने के अपने अधिदेश को पूरा करने के सही पथ पर आगे बढ़ रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज मोहाली ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था, सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी और जैव सूचना विज्ञान तथा संबंधित क्षेत्रों का केन्द्र बन गया है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान को केवल एक स्वाश्रयी संस्थान के रूप में नहीं बल्कि एक सम्पूर्ण वातावरण के आधार के रूप में देखें। इस संस्थान को इसी प्रकार प्रगति और विकास करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान का उद्येश्य त्रिस्तरीय होता है। पहला उद्येश्य है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को राष्ट्र निर्माण में भूमिका निभाते रहना चाहिए। हमारे राष्ट्र के विकसित होने और हमारे समाज के बदलने के साथ ही हमारी जरूरतें भी बदल जाती हैं। तथापि विज्ञान व प्रौद्योगिकी को सदैव विकास से जुड़े प्रश्नों के उत्तर खोजने होंगे। आज हमारे सामने जो प्रश्न हैं, उनमें जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला करने से लेकर किफायती परंतु प्रभावी स्वास्थ्यचर्या समाधान प्रदान करने तक तथा पैदावार बढ़ाने और पानी की कमी की चुनौती पर विजय प्राप्त करने में हमारे किसानों की मदद करने से लेकर सामाजिक रूपसे समावेशी टिकाऊ शहरों और घरों का निर्माण तथा आखिरी मोहल्ले के आखिरी परिवार तक को सम्मानपूर्ण जीवन उपलब्ध करने तक प्रश्न शामिल हैं। भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान नेटवर्क को इन कार्यों में स्वयं को संलग्न करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि दूसरा उद्येश्य यह है के कारोबार और उद्योग के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी का सहजीवी संबंध है। उत्पाद आविष्कार और प्रक्रिया नवाचार;प्रयोगशाला से हासिल जानकारी को वाणिज्यिक रूपसे व्यवहार्य उत्पादों में तब्दील करना; कुशलता, उद्यम और रोजगार को बढाबा देने के लिए प्रौद्योगिकी का प्रहोग करना-ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं जिनमें विज्ञान और वाणिज्या एक साथ मिलकर बहुत कुछ कर सकते हैं। अनुसंधान संस्थानों का संयोजन, परिसरों में पल्लवित प्रौद्योगिकी स्टार्टअप तथा ज्ञान आधारित कारोबारी संस्कृति परिवर्तन कारी साधन बन सकते हैं। कैलिफोर्निया की सिलिकोन वैली और भारत का बेंगलुरु इसके उदाहरण हैं। भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान को मोहाली और अपने पड़ोस के शहरों में ऐसी ही भूमिका निभाने का भरसक प्रयास करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि तीसरा उद्येश्य है कि वैज्ञानिक शिक्षा और अनुसंधान संस्थान नवीन क्षेत्रों में नवाचार के लिए तथा ज्ञान के सीमांत के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान की यह महत्ता आधारभूत और सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। इसे जिज्ञासा के भाव को कायम रखना है जो हमारी सभ्यता के मूल में है। जैसा की विज्ञान का इतिहास हमें बताता है कि इस रास्ते पर चलने के लिए धैर्य की जरूरत होती है परंतु इससे मानव कल्पना की अप्रत्याशित और नाटकीय प्रगति प्राप्त की जा सकती है।
राष्ट्रपति ने भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान के विद्यार्थियों से आगे बढ़ने के दौरान, इन तीनों प्रेरक तत्वों को अपने मन में बसाये रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विज्ञान और अनुसंधान के ये तीनों प्रेरक तत्व अपने-अपने तरीके से हमारे नागरिकों की सेवा करने, हमारे समाज और देश की सेवा करने और मानवता के एक बड़े हिस्से की सेवा करने में विद्यार्थियों की मदद करेंगे।
यह विज्ञप्ति 1335 बजे जारी की गई।