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भारत के राष्ट्रपति ने ऑल इंडिया फूड प्रोसेसर्स एसोसिएशन के प्लेटिनम जुबली सम्मेलन का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति भवन : 20.12.2018

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने नई दिल्ली में आज (20 दिसंबर, 2018) ऑल इंडिया फूड प्रोसेसर्स एसोसिएशन के प्लेटिनम जुबली सम्मेलन का उद्घाटन कियाl

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि वर्षों से ऑल इंडिया फूड प्रोसेसर्स एसोसिएशन ने अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत की हैlइसने बड़ी और छोटी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को समान मंच पर लाने का काम किया हैlइसने एकीकृत खाद्य श्रृंखला स्थापित करने के लिए सभी संगत हितधारकों के प्रयासों में तालमेल स्थापित किया है और राष्ट्र-हित में योगदान दिया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे किसानों की नि:स्वार्थ धैर्यपूर्ण मेहनत तथा कृषि और खाद्य प्रसंस्करण में प्रौद्योगिकीय और औद्योगिक उन्‍नति के परिणाम-स्‍वरूप भारतमें आज खाद्य पदार्थों की कमी नहीं हैlकृषि संबंधी अनेक उपभोक्‍ता वस्तुओं और यहां तक कि प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के मामले में हमारे पास अब सरप्‍लस भंडार है। वैश्विक बाजार में हमारी भागीदारी बढ़ती जा रही है। व्‍यापक आर्थिक लाभ के अब हमें अपनी महत्‍वाकांक्षा को ऊंचा करने का समय आ गया है किंतु इसमें से अधिकतर प्रयास हमारे किसानों की संपन्नता के लिए होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमेंखेतों से लेकर भोजन की थाली तक की मूल्य श्रृंखला में आने वाले अंतराल को समाप्त करना चाहिएlअपने अनाज के लिए किसानों को मिलने वाली कीमत और उपभोक्ताओं द्वारा चुकाई जाने वाली कीमत के बीच देश में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर-दोनों में ही बहुत अधिक अंतर हैlइसे कम करना महत्वपूर्ण हैl इससे मांग और आपूर्ति की संरक्षा होगी और एक व्यवसायके रूप में कृषि का सातव्‍य भी सुनिश्चित होगा।खेतों में पूरे दिन मेहनत करने की किसान की इच्छाशक्ति और प्रेरणा के बिना,खाद्य प्रसंस्करणउद्योग फल-फूल नहीं सकते। इसेअपनी मूल सामग्री-कृषि उत्पाद ही नहीं मिल सकेंगे।किसान उनका केवल आपूर्तिकर्ता ही नहीं है,अपितुवह उनका पक्‍का साझेदार भी हैl

भारत में भोजन की बर्बादी के स्तर की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि खाद्य-पदार्थ की बर्बादी से आर्थिक प्रश्न ही नहीं बल्कि नैतिक प्रश्न भी उठतेहैंlहमारा देश ऐसा है जहां आय और उपभोग में असमानता को खारिज नहीं किया जा सकताlबेहतरऔर अधिक तर्कसंगत खाद्य वितरण के द्वारा भोजन की बर्बादी को आसानी से रोका जा सकता हैlइससे हमें हमारी जनता के अपेक्षाकृतबड़े वर्ग तक इनकी आपूर्ति में सहायता मिलेगीlफसल कटाई के बादकी बरबादी का मामला अभी भी बहुत चिंताजनक बना हुआ हैlकुछ वर्ष पूर्व, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि यह बरबादी लगभग 100,000 करोड़ रु. की कीमत तक की होती है। यह दुखद स्थिति हैlहमारे ज्यादातर किसान अपनी जीविका के लिए कृषि कार्य में संलग्न हैंlउनकी उपज, उनके लिए आजीविका का साधन होती है। अपर्याप्त भंडारण अथवा संभारतंत्र के कारण यदि यह नष्ट या बर्बाद हो जाती है तो निर्दोष परिवारों की आजीविका को नुकसान पहुंचता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि यहां खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की भूमिका बड़ी हैlकिसानों तथा विविध और सुदूर बाजारों के बीच की कड़ी बनकर यह उद्योग खाद्य मूल्य श्रृंखला के निर्माण में सहायता कर सकता हैlकीन्‍हीं विशिष्ट उपभोक्‍ता वस्तुओं अथवा उत्पादों के लिए किसानों के साथ यह उद्योग दीर्घकालीन अनुबन्ध कर सकता हैlऔर शीत भंडारण, खाद्य पदार्थों के त्वरित परिवहन और प्रबंधन और ऐसी प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दे सकता है जिससे खाद्य पदार्थों को लंबी अवधि के लिए सुरक्षित और उपयोग के योग्य बनाए रखा जा सकता हैl

यह विज्ञप्ति 1315 बजे जारी की गई