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भारत के राष्ट्रपति ‘श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ राष्ट्रीय अधिवेशन-2021’ में शामिल हुए

राष्ट्रपति भवन : 21.02.2021

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने कहा कि संत रविदासजी जैसे महान संत पूरी मानवता के हैं। वे आज (21 फरवरी, 2021) नई दिल्ली में श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ राष्ट्रीय अभियान-2021 को संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि गुरु रविदासजी का जन्म भले ही किसी विशेष समुदाय, संप्रदाय या क्षेत्र में हुआ हो लेकिन संत ऐसी सभी सीमाओं से ऊपर उठ जाते हैं। संत की न कोई जाति होती है, न संप्रदाय होता है और न ही कोई क्षेत्र होता है। पूरी मानवता का कल्याण ही उनका कार्य क्षेत्र होता है। इसीलिए,संत का आचरण सभी प्रकार के भेद-भाव तथा संकीर्णताओं से परे होता है।

राष्ट्रपति कोविन्द ने प्रसन्नता व्यक्त की कि सामाजिक न्याय, स्वतन्त्रता, समता तथा बंधुता के हमारे संवैधानिक मूल्य भी गुरु रविदासजी के आदर्शों के अनुरूप ही हैं। हमारे संविधान के प्रमुख शिल्पी बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने संत रविदास की संत-वाणी में व्यक्त अनेक आदर्शों को संवैधानिक स्वरूप प्रदान किया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि संत रविदास ने अपनी करुणा और प्रेम की परिधि से समाज के किसी भी व्यक्ति या वर्ग को बाहर नहीं रखा था। उन्होंने अपने विचार रखे कि यदि ऐसे संत शिरोमणि रविदास को किसी विशेष समुदाय तक बांध कर रखा जाता है तो, ऐसा करना, उनकी सर्व-समावेशी उदारता के अनुरूप नहीं होगा। इसलिए, सभी देशवासियों के लिए अपनी सोच और दृष्टिकोण में बदलाव लाना आवश्यक है। आज के इस महोत्सव जैसे आयोजनों में समाज के सभी वर्गों की सहभागिता सुनिश्चित करने के प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से देश में सामाजिक समता और समरसता को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि गुरु रविदासजी ने समता-मूलक और भेदभाव-मुक्त सुखमय समाज की कल्पना की थी। उन्होंने इसे 'बे-गमपुरा' नाम दिया था - ऐसा शहर जहां किसी भी तरह के दुख या भय के लिए कोई स्थान नहीं है। ऐसी आदर्श नगरी में कोई खौफ, लाचारी या अभाव नहीं होता है। वहां सर्वदा सबका भला होता है और सही विचारों पर आधारित कानून की हुकूमत चलती है। ऐसे नगर की परिकल्पना का समर्थन करने वाले लोगों को ही श्री गुरु रविदास अपना सच्चा साथी मानते थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि वस्तुतः, संत शिरोमणि रविदास, बे-गमपुरा शहर के रूप में, अपने देश भारत की परिकल्पना की अभिव्यक्ति कर रहे थे। वे समता और न्याय पर आधारित देश के निर्माण के लिए अपने समकालीन समाज को प्रेरित कर रहे थे। आज हम सभी देशवासियों का यह कर्तव्य है कि हम सब ऐसे ही समाज व राष्ट्र के निर्माण हेतु संकल्पबद्ध होकर कार्य करें और संत रविदास के सच्चे साथी कहलाने के योग्य बनें।