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भारत के राष्ट्रपति ‘केरल केन्द्रीय विश्वविद्यालय’ के 5वें दीक्षान्त समारोह में शामिल हुए

राष्ट्रपति भवन : 21.12.2021

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने कहा कि श्री नारायण गुरु ने हमें स्मरण कराया था कि शिक्षा के द्वाराविद्यार्थी के जीवन की गुणवत्ता के उत्थान के माध्यम से पूरे समाज का भी उत्थान हो सकता है। वे आज (21 दिसंबर, 2021) कासरगोड में केरल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि इन महान संत और समाज सुधारक ने "विद्याकोंडु प्रबुद्ध रवुका", जिसका अर्थ है, "शिक्षा के माध्यम से ज्ञानवान बनिए" जैसी अपनी पंक्तियों से लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि महान पुरुषों और महिलाओं, विशेषकर हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं के जीवन से यह सरल सत्य उजागर होता है कि विद्यालय और महाविद्यालय व्यक्तिगत तथा सामाजिक परिवर्तन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थल होते हैं। यही वे कार्यशालाएँ हैं जहाँ किसी राष्ट्र की नियति को आकार दिया जाता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक सशक्तीकरण की संभावनाओं के कारण ही, केरल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सुन्दर परिसर जैसे शैक्षिक स्थानों में उन्हें जीवंतता और ऊर्जा का अनुभव होता है। यही वह स्थान है जहां विचारों के पोषण शिक्षण और अधिगम का कार्य किया जाता है। इस प्रक्रिया में, नई अवधारणा को जन्म देने हेतु विचारों की चेतना के साथ वातावरण ऊर्जामय बन जाता है। उन्होंने कहा कि समाज और राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए, ज्ञान का यह अखंड चक्र आवश्यक है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के संबंध में राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा को बढ़ावा देने में, सरकार का कार्य इस प्रकार का अनुकूल वातावरण तैयार करने में सहायता करना है जिसमें युवा मानस रचनात्मकता की ऊर्जा से जागृत हो जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक ऐसा पारितंत्र विकसित करने का सुनियोजित रोडमैप है जिससे हमारी युवा पीढ़ी की प्रतिभा को पोषण मिलेगा। इसका उद्देश्य उन्हें भविष्य की दुनिया के लिए तैयार करना तो है ही, उन्‍हें अपनी स्वयं की सर्वश्रेष्ठ परंपराओं के ज्ञान से युक्‍त करना भी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि, उनके विचार में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सर्वप्रमुख विशेषता यह है कि इसका उद्देश्य समावेशन और उत्कृष्टता-दोनों को बढ़ावा देना है। अपनी विविधीकृत पाठ्यचर्या के माध्यम से, राष्ट्रीय शिक्षा नीति उदार और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देती है, क्योंकि समाज और राष्ट्र निर्माण में ज्ञान की प्रत्येक धारा की भूमिका होती है। इस तरह, राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के लिए जनसांख्यिकीय क्षमता का सही उपयोग करने और इसका लाभ उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए हमारे लिए यह अनिवार्य हो जाता है कि हम अगली पीढ़ी की प्रतिभा को विकसित करें। उन्होंने आगे कहा कि इक्कीसवीं सदी की दुनिया में सफलता प्राप्त करने के लिए यदि युवा पीढ़ी को आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान किया जाए, तो वे चमत्कार कर सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि 21वीं सदी को ‘ज्ञान की सदी’ बताया जाता है। वैश्विक समुदाय में किसी राष्ट्र का स्थान, उसके ज्ञान की शक्ति से ही निर्धारित होगा। भारत में, साक्षरता और शिक्षा के महत्वपूर्ण मानकों पर केरल अन्य राज्यों से आगे रहा है। अपने ज्ञान से ही केरल उत्कृष्टता के अनेक अन्य मानकों पर भी अग्रणी राज्य बनने में सक्षम बना है।