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राष्ट्रपति ने कहा कि विपासना मस्तिष्क और शरीर को निर्मल करने का एक प्रभावशाली तरीका है

राष्ट्रपति भवन : 22.09.2017

भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने आज (22 सितंबर, 2017) कैम्पटी, नागपुर में डै्रगन पैलेस टैम्पल कॉम्पलैक्स में विपासना सेंटर का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि विपासना भगवान बुद्ध द्वारा प्रतिपादित एक ध्यान की तकनीक है जो हमें हमारी अंतर आत्मा से जोड़ती है। यह हमारे मन-मस्तिष्क और शरीर को निर्मल करने का एक प्रभावशाली तरीका है जो हमें आधुनिक जीवन के तनाव को सहन करने के योग्य बनाता है। यदि इसका सही रूप में अभ्यास किया जाए तो यह हमें उतना ही लाभ पहुंचा सकता है जितना कुछेक दवाइयां। इस प्रकार विपासना एक ध्यान की तकनीक होने के अतिरिक्त स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। उन्होंने कहा कि योग की तरह, विपासना को किसी धर्म विशेष से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। यह सारे मानवता के कल्याण के लिए है।

राष्ट्रपति ने कहा बौद्धिक दर्शन के आदर्श हमारे संविधान में प्रतिष्ठित होते हैं, विशेषकर समानता, भाई-चारे, और सामाजिक न्याय के लिखित सिद्धांतों में। हमारे संविधान के निर्माता, डॉ.बी.आर. अंबेडकर ने कहा था कि लोकतांत्रिक प्रणाली की प्रशंसा प्राचीन भारत में विद्यमान थी और देश में इसकी जड़ें दीर्घ काल से सशक्त हैं। इस संदर्भ में, उन्होंने उस लोकतांत्रिक परंपरा का उदाहरण दिया जिसका बौद्ध संघों में अभ्यास किया जाता था।

राष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक परिवर्तन के लिए आग्रह का केंद्र बौद्ध दर्शन था और और बाद की शताब्दियों में इससे अनेक समाज सुधार आंदोलनों ने जन्म लिया। ऐसे अनेक आंदोलन महाराष्ट्र में ही हुए और बाद में उन्होंने भारत के अन्य भागों में सामाजिक सुधार आंदोलों के लिए उदाहरण स्थापित किए, विशेषकर 19वीं और 20वीं शताब्दी में। आज के असुरक्षा के समय में, भागवान बुद्ध द्वारा दिए गए अहिंसा, पे्रम और करुणा के संदेश अत्यंत प्रासंगिक है। इससे पहले दिन राष्ट्रपति ने दीक्षा भूमि मंदिर का दौरा किया और बाबा साहेब अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी।

यह विज्ञप्ति 1445 बजे जारी की गई