भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों ने राष्ट्रपति से भेंट की
राष्ट्रपति भवन : 23.03.2018
भारतीय राजस्व सेवा के 71 वें बैच के अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों ने आज (23 मार्च, 2018) भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द से भेंट की।
अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय राजस्व सेवा, आयकर, कॉरपोरेट कर, संपत्ति कर जैसे प्रत्यक्ष करों के संग्रहण में प्रमुख भूमिका निभाती है। कर राजस्व, अर्थव्यवस्था की सेहत का प्रतिबिंब होता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थव्यवस्था है। आने वाले दशक के दौरान, इसका सकल घरेलू उत्पाद दुगुने से भी ज्यादा हो जाने की उम्मीद है। इससे चहुंओर और अधिक अवसर पैदा होंगे। इससे कर राजस्व बढ़ेगा और भारतीय राजस्व अधिकारियों की चुनौतियां बढ़ेंगी। उन्हें हमारे देश के आर्थिक कारक की मदद करते हुए इन चुनौतियों का समाधान करना होगा। उनकी सफलता से उनके व्यक्तिगत भविष्य का तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के भावी पथ का भविष्य निश्चय होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि कर राजस्व से विकासात्मक और ढांचागत परियोजनाओं तथा राष्ट्र-निर्माण के लिए धन प्राप्त होता है। सहस्राब्दि के प्रथम वर्ष अर्थात् 2000-01 से लेकर 2016-17 तक केन्द्र सरकार के समग्र कर संग्रहण में प्रत्यक्ष करों का हिस्सा 36 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
राष्ट्रपति ने अधिकारी प्रशिक्षणार्थी को यह याद रखने की सलाह दी कि करदाता उनका प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि साझेदार है। उनकी भूमिका नीतिगत और विनियामक प्रकृति की है, परंतु मुख्य रूप से वे सेवा प्रदाता हैं। उन्होंने आग्रह किया कि राजस्व सेवा के अधिकारी सेवा के लिए उनके पास आने वाले ईमानदार करदाता की जरूरतों और सम्मान के प्रति संवेदनशील हों।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी काले धन के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिक हैं। सरकार ने अन्य उपायों के साथ-साथ विमौद्रीकरण, आय घोषणा योजना, प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना, बेनामी लेन-देन निषेध अधिनियम आदि के द्वारा काले धन के अभिशाप को मिटाने या कम करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इनमें से प्रत्येक उपाय के लिए राजस्व सेवा के अधिकारियों के सहयोग और अनुवर्ती कार्रवाई की जरूरत है।
अंत में, राष्ट्रपति ने कहा कि वह नहीं मानते कि अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों को ईमानदारी का महत्व समझाने की जरूरत है। हमारे आर्थिक और राष्ट्रीय जीवन की इतनी अत्यावश्यक सेवा के लिए ईमानदारी पहली शर्त है। ईमानदारी राजस्व सेवा के रग-रग में समाई होनी चाहिए। कुछ अपवादों को छोड़कर, और हमें यह मानना पड़ेगा कि कुछ अपवाद हुए अवश्य हैं, आम लोगों को अभी भी हमारे लोक सेवकों और विशेषकर भारतीय राजस्व सेवा से बहुत उम्मीदें हैं।
यह विज्ञप्ति 1350 बजे जारी की गई