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राष्ट्रपति कोविंद ने ‘इंडिया एंड द ग्लोबल साउथ’ विषय पर हवाना विश्वविद्यालय में व्याख्यान दिया; उन्होंने कहा कि हमें वैश्विक शासन संरचनाओं के अंतर्गत विकासशील राष्ट्रों के लिए और बड़ी भूमिका तय करने के लिए मिलकर कार्य करना होगा

राष्ट्रपति भवन : 23.06.2018

भारत के राष्ट्रपति, श्री रामनाथ कोविन्‍द ने कल (22 जून, 2018) ‘इंडिया एंड द ग्लोबल साउथ’ विषय पर क्‍यूबा के हवाना विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होने अपने व्याख्यान के लिए ‘इंडिया एंड ग्लोबल साउथ’ विषय का चयन इसलिए किया है कि यह विषय क्‍यूबाई और भारतीय विदेश नीति दोनों के लिए महत्‍वपूर्ण है।और बहुपक्षीय संबंधों के क्षेत्र में हमने भारत-क्‍यूबा घनिष्ठ सहयोग का वास्तविक और सुदृढ़ प्रभाव देखा है, जिसमें दोनों देश दक्षिण-दक्षिण सहयोग को सशक्त बनाने और ‘ग्लोबल साउथ’ अथवा विकासशील देशों की आवाज मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। विकासशील देशों की एकजुटता क्यूबा के महान नेता और राजनीतिज्ञ फिदेल कास्त्रो तथा क्‍यूबा आंदोलन की अंतरराष्ट्रीय संकल्पना के मूल में है। उन्होंने कहा कि उनका यह व्याख्यान, विश्व को विकासशील दुनिया के नागरिकों के लिए बेहतर स्थान बनाने के फिदेल कास्त्रो के योगदान और संकल्पना के प्रति श्रद्धांजलि है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विकासशील देशों के बीच सहयोग की भावना ने हमारा अच्छा साथ निभाया है। विकासशील देशों के बीच आपसी सम्मान और एकजुटता इसकी आधार-भूमि है। विकासशील देशों के बीच परस्पर सहयोग की सफलता से हमारे साझीदार विकसित देशों को यह गौर करने के लिए प्रेरित होना चाहिए कि वे भी कितने अच्‍छे ढंग से इन तौर-तरीकों का उपयोग कर सकते हैं। 2019 में ब्यूनस आयर्स में दक्षिण-दक्षिण सहयोग पर दूसरे उच्च स्तरीय संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का आयोजन करने का संयुक्त राष्ट्र का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विकास साझेदारी से विकासशील देशों के हित सुरक्षित होते हैं लेकिन ऐसा आंशिक रूप से ही होता है। हमें वैश्विक शासन ढांचे के अंतर्गत विकासशील देशों की और बड़ी भूमिका तय करने के मामले में एकजुट होकर कार्य करना होगा। इस संदर्भ में, हमें सुरक्षा परिषद् सहित संयुक्त राष्ट्र में सुधार के और प्रयास करने चाहिए। इसी प्रकार ब्रेटन वुड्स इन्‍स्‍टीट्यूशन को अपनी निर्णय प्रक्रिया में विकासशील देशों के बढ़ते कद को ध्‍यान में रखना चाहिए। हमारी सुधार कार्यसूची पर आगे बढ़ने के साथ-साथ हमें बहुपक्षवाद को कमजोर करने के किसी भी प्रयास का विरोध करना चाहिए। नियम आधारित वैश्विक व्यापार व्‍यवस्‍था का संरक्षण विकासशील देशों के हितों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण बना हुआ है। विश्‍व व्‍यापार संगठन के दोहा वार्ता चक्र में, खाद्य सुरक्षा और आजीविका के मुद्दों को सबसे अधिक प्राथमिकता दिया जाना जरूरी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्वीकरण से करोड़ों लोग गरीबी से ऊपर उठ गए होंगे परंतु विकासशील देशों की अपूर्ण आवश्यकताएं अभी भी जस की तस हैं। इसलिए वैश्विक विकास विमर्श में निर्धनता उन्मूलन पर केंद्रित विकास कार्यसूची पर विशेष ध्‍यान दिया जाना चाहिए। हमें जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने और विकास जरूरतों को पूरा करने में विकासशील देशों की मदद के लिए वित्त और प्रौद्योगिकी की बेहतर उपलब्‍धता पर भी बल देना होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि विकासशील देशों ने 1960 के दशक के बाद से एक लंबी यात्रा तय की है। आज यह समूह और अधिक मजबूत और विशालतर बन गया है। यह उन देशों का एक विविधतापूर्ण समूह है जो विकास के अलग-अलग पायदान पर हैं। परंतु यह महत्‍वपूर्ण है कि समूह की एकता बनी रहे। हम इसी तरीके से बहुपक्षवाद को मजबूत कर सकते हैं तथा सभी के विकास के अधिकार को बढ़ावा दे सकते हैं।

दिन की शुरुआत में (22.6.2018), रेवोल्यूशन पैलेस में राष्ट्रपति का समारोहिक स्वागत किया गया। तत्पश्चात, उन्होंने राष्ट्रपति दियाज कनेल के नेतृत्व में क्‍यूबाई शिष्टमंडल के साथ शिष्‍टमंडलस्तरीय वार्ता का नेतृत्व किया। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों के समूचे परिदृश्य की समीक्षा की और परस्‍पर हित के वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

दोनों देश जैव प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, पारंपरिक चिकित्सा पद्धति तथा व्यापार और निवेश के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए। जैवप्रौद्योगिकी और पारंपरिक चिकित्सा पद्धति तथा होम्योपैथी के क्षेत्रों में दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। राष्ट्रपति कोविन्‍द के साथ इस यात्रा में नौ भारतीय जैवप्रौद्योगिकी कंपनियों के प्रतिनिधि गए हुए हैं और इन कंपनियों ने अपनी समकक्ष क्यूबाई कंपनियों के साथ गंभीर विचार-विमर्श किया। इस प्रकार, दोनों देशों ने जैवप्रौद्योगिकी सहयोग में महत्वपूर्ण प्रगति का आधार तैयार किया।

राष्ट्रपति कोविन्‍द ने क्‍यूबा द्वारा अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का संस्थापक सदस्य बनने के लिए राष्ट्रपति दियाज-कनेल को धन्यवाद दिया तथा जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने में गठबंधन की मदद में उनका सहयोग मांगा। भारत ने क्यूबा में 100 मेगावाट सौर विद्युत परियोजना में सहयोग के लिए 75 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण प्रदान किया। भारत ने भारतीय तकनीक और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के अंतर्गत, क्‍यूबा को और 10 सीटों की पेशकश की; इसके बाद, क्‍यूबा को दी जाने वाली कुल वार्षिक छात्रवृत्तियां 70 तक पहुंच जाएंगी।

दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के सुधार के प्रति अपनी निरंतर वचनबद्धता भी व्‍यक्‍त की। क्‍यूबा ने सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्‍यता के लिए भारत की उम्मीदवारी को अपना समर्थन दोहराया।

आतंकवाद के मुद्दे पर दोनों पक्षों ने आतंकवाद के प्रति और मानवता पर इसके गंभीर खतरे के प्रति अपनी गहन चिंता व्यक्त की। आतंकवाद के मुकाबले के लिए एक कठोर वैश्विक प्रतिकार तैयार करने के लिए साथ मिलकर कार्य करने पर दोनों देश सहमत हुए। इस संदर्भ में, दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते को शीघ्र लागू करने की जरूरत बताई।

राष्ट्रपति तीन देशों-यूनान, सूरीनाम और क्यूबा की अपनी राजकीय यात्रा के सफलतापूर्वक संपन्न होने के बाद नई दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे। 24 जून, 2018 को उनके नई दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है।

यह विज्ञप्ति 0630 बजे जारी की गई।