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भारतीय वन सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने राष्ट्रपति से मुलाक़ात की

राष्ट्रपति भवन : 23.07.2019

भारतीय वन सेवा (2018-20 बैच) के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के समूह ने आज (23 जुलाई, 2019) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द से मुलाक़ात की।

परिवीक्षाधीन अधिकारियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार और राज्य सरकारें देश की वन संपदा की रक्षा और वन-क्षेत्र के विस्तार के लिए गहन प्रयास कर रही हैं। फिर भी, परितंत्र को पहले जैसी अवस्था में वापस लाने और इसके संरक्षण की सफलता के लिए लोगों का जन-जागरण आवश्यक है। हमारे देश के वनों में और उसके आसपास, जनजातियों सहित बड़ी संख्या में गरीब लोग रहते हैं। वे वनों से ही भोजन और चारे जैसी अपनी मूलभूत जरूरतों को पूरा करते हैं। ये लोग सीधे-सादे और मेहनती होते हैं और बहुत बुद्धिमान भी होते हैं। वे अपनी परंपराओं और मान्यताओं के नाते वनों का सम्मान करते हैं। वनों की रक्षा के किसी भी उपाय में इन लोगों की बुनियादी जरूरतों का ध्यान रखा जाना चाहिए और उन्हें साझेदारों के रूप में इस कार्य में शामिल किया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने जो संयुक्त वन प्रबंधन मॉडल अपनाया है, उसके तहत वनों के प्रबंधन में स्थानीय लोगों और समुदायों के साथ मिलकर काम करने की परिकल्पना की गई है। स्थानीय लोगों की असरदार भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए संरक्षण के प्रयासों के साथ आजीविका के अवसरों को जोड़ना महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति ने कहा कि एक बार जब लोग और समुदाय वन प्रबंधन के प्रयासों में शामिल हो जाते हैं, तो वन अधिकारी जो समाधान चाहते हैं, वह अधिक टिकाऊ और प्रभावी हो जाएगा।