भारत के राष्ट्रपति ने प्रथम ‘वर्ल्ड यूथ कांफ्रेंस ऑन काइंडनेस’ का उद्घाटन किया
राष्ट्रपति भवन : 23.08.2019
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (23 अगस्त, 2019) नई दिल्ली में प्रथम ‘वर्ल्ड यूथ कांफ्रेंस ऑन काइंडनेस’ का उद्घाटन किया।
सभा को संबोधित करते हुएराष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी केवल एक महान नेता और दूरदर्शी भर नहीं थे, वह एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने शाश्वत आदर्शों और जीवन-मूल्यों का पालन किया। यदि हम गांधीजी को टाइम मशीन के माध्यम से मानव अस्तित्व के किसी भी काल में ले जाएं तो हम उन्हें प्रत्येक समय में प्रासंगिक पाएंगे। यह इस वर्तमान समय में भी लागू होता है जिसमें हम रह रहे हैं। गांधीजी हमारे वर्तमान समय की चिन्ताओं जैसे शांति और सहिष्णुता की आवश्यकता, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन के लिए भी अत्यंत प्रासंगिक हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज हम दुनिया में जो संघर्ष और हिंसा देख रहे हैं, उनकी जड़ें प्रायः गहरे पूर्वाग्रहों तक जाती हैं। इन पूर्वाग्रहों के कारण हम "अपने और पराए" के विभाजनकारी चश्मे से दुनिया को देखने लगते हैं। गांधीजी के नक्शे कदम पर चलते हुए, हमें स्वयं को और अपने बच्चों को उन लोगों से सम्पर्क बनाने और उनके साथ जुड़ने देना चाहिए जिन्हें हम अपने से अलग समझते हैं। संवेदनशील समझ स्थापित करने के लिए परस्पर सम्पर्क-संबंध विकसित करने का तरीका अधिक से अधिक सबसे अच्छा होता है जिससे हमारे पूर्वाग्रहों को दूर करने में हमें सहायता मिल सकती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा भी हमारे पूर्वाग्रहों पर नियंत्रण प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हमें अपनी शिक्षा प्रणाली के आधार, लक्ष्यों और संरचना का मूल्यांकन और विकास करने की आवश्यकता है। शिक्षा को साक्षरता से कहीं आगे ले जाने की जरूरत है। शिक्षा का स्वरुप ऐसा होना चाहिए कि युवा वर्ग अपने अंतर्मन की खोज कर सके और दूसरों की पीड़ा के प्रति सहानुभूति या उससे अपना जुड़ाव स्थापित करने की शक्ति अपने अन्दर सृजित कर सके। हमें नौजवानों को इस प्रकार शिक्षित करने की आवश्यकता है कि वे वर्ग और नस्ल की सीमाओं को लांघकर इनसे परे जा सकें। हमें जरूरत है कि हम गहरे दबे व्यवस्थागत अन्यायों और असमानताओं के समाधान खोजने की शिक्षा और रचनात्मकता से अपने युवाओं को युक्त कर सकें। हमें एक ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है जो हमारी भावनाओं को झंकृत कर सके और हमारी अन्तरात्मा को जगा सके।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से दुनिया भर के युवा नेता एक एक मंच पर आये हैं। उन्होंने कहा कि इन युवा नेताओँ और उनके जैसे लाखों युवा पुरुषों और महिलाओं की सबसे बड़ी भूमिका हमारी दुनिया को दयामय, करुणामय तथा शांतिमय बनाने में है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस सम्मेलन में युवा नेता जो कुछ भी सीखेंगे और अनुभव करेंगे, उसके कारण उनमें से प्रत्येक को अपने शेष जीवन में दयालुता का संदेशवाहक बनने की प्रेरणा प्राप्त होगी।
विश्व भर के युवाओं में आवश्यक क्षमताओं, (अर्थात सहानुभूति, करुणा, विवेक और जिज्ञासा) को जगाने के उद्देश्य से उन्हें प्रेरित करने, सशक्त बनाने और उन्हें अपने आप को बदलने एवं अपने-अपने समुदायों में चिर-स्थायी शांति का निर्माण करने में सक्षम बनाने के लिए यूनेस्को महात्मा गांधी शिक्षा संस्थान, मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा ‘शांति और सतत विकास में दया की भूमिका’ पर पहला विश्व युवा सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।इस सम्मेलन में भाग ले रहे युवा नेता 27 देशों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।