आज राष्ट्रपति भवन में दो दिवसीय ‘राज्यपाल सम्मेलन’ आरम्भ हुआ
राष्ट्रपति भवन : 23.11.2019
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द के उद्घाटन भाषण के साथ आज (23 नवंबर, 2019) राष्ट्रपति भवन में दो दिवसीय ‘राज्यपाल/उप-राज्यपाल सम्मेलन’ आरम्भ हुआ। यह राष्ट्रपति भवन में आयोजित 50वां और राष्ट्रपति कोविन्द की अध्यक्षता में आयोजित ऐसा तीसरा सम्मेलन है।
अपने उद्घाटन भाषण में, राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी संवैधानिक प्रणाली में राज्यपालों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। जनजातियों के कल्याण पर बल देते हुए, उन्होंने कहा कि जनजातियों का विकास और सशक्तिकरण समावेशी विकास के साथ-साथ हमारी आंतरिक सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है। इन लोगों जो विकास के मामले में अपेक्षाकृत पीछे रह गए हैं, के जीवन को बेहतर बनाने के लिए, राज्यपालगण, राज्यपालों को दी गई संवैधानिक शक्तियों का उपयोग करते हुए उचित मार्गदर्शन दे सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज जब हम देश की तरक्की के हित में सहकारी संघवाद और स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद पर जोर दे रहे हैं, तब राज्यपालों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा कि सभी राज्यपालों के पास सार्वजनिक जीवन का प्रचुर अनुभव है। देश की जनता को इन अनुभवों का अधिकतम लाभ मिलना चाहिए। अंततः, हम सभी जनता के लिए ही काम करते हैं और हम उनके प्रति जवाबदेह भी हैं। उन्होंने जोर दिया कि राज्यपाल की भूमिका संविधान के सुरक्षा और संरक्षा तक ही सीमित नहीं है। अपने-अपने राज्यों के लोगों की सेवा और कल्याण में निरंतर लगे रहना, उनकी संवैधानिक प्रतिबद्धता में शामिल है।
इस वर्ष के सम्मेलन की कार्य-सूची के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि इस सम्मेलन की तैयारी ‘नए भारत’ की नई कार्य संस्कृति के अनुसार की गई है ताकि सम्मेलन को अधिक उपयोगी और लक्ष्य-अभिमुख बनाया जा सके। वरिष्ठ राज्यपालों के साथ चर्चा के बाद राष्ट्रीय महत्व के पांच विषयों को चुना गया।
राष्ट्रपति ने कहा कि जल संसाधनों का इष्टतम उपयोग और जल-संरक्षण हमारे देश की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। हमें ‘जल शक्ति अभियान’ को ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की तरह ही जन आंदोलन बनाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी नई शिक्षा नीति का लक्ष्य भारत को 'ज्ञान के क्षेत्र में महाशक्ति' बनाना है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए, उच्चतर शिक्षा से जुड़ी हमारी सभी संस्थाओं को अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल, संरक्षक होने का उत्तरदायित्व भी निभाते हैं। इसलिए, उनसे उम्मीद की जाती है कि वे कौशल और ज्ञान प्राप्त करने के अपने प्रयासों में भावी पीढ़ियों को उचित मार्गदर्शन देंगे।
प्रधानमंत्री और केन्द्रीय गृह मंत्री ने भी उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
इसके बाद, राज्यपालों के उप-समूहों द्वारा ‘जनजातीय मुद्दे; कृषि में सुधार; जल जीवन मिशन; नई शिक्षा नीति:उच्चतर शिक्षा; और जीवन सुगमता में शासन’ की भूमिका जैसी विषय-वस्तु वाली मदों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। राज्यपालों/उप-राज्यपालों के अलावा, इन समानांतर सत्रों में संबंधित मंत्रालयों के केन्द्रीय मंत्री और अधिकारी भी भाग लेंगे।