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भारत के राष्ट्रपति ने स्वर्गीय श्री पी.एन. पणिक्कर की प्रतिमा का अनावरण किया

राष्ट्रपति भवन : 23.12.2021

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने कहा कि स्वर्गीय श्री पी.एन. पणिक्कर निरक्षरता की बुराई को दूर करना चाहते थे। उन्होंने एक बहुत ही सरल किन्तु सर्वाधिक शक्तिशाली संदेश का प्रसार किया - "वायचु वलारुका" जिसका अर्थ है "पढ़ो और बढ़ो"। वे आज (23 दिसंबर, 2021) पूजाप्पुरा, तिरुवनंतपुरम में श्री पी.एन. पणिक्कर की प्रतिमा के अनावरण के पश्चात सभा को संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि श्री पणिक्कर ने पुस्तकालयों और साक्षरता को जन-आंदोलन बनाया है। वास्तव में, उन्होंने इसे एक लोकप्रिय सांस्कृतिक आंदोलन बना दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह केरल की एक अनूठी विशेषता है कि हर गांव में, यहां तक ​​कि सुदूरतम गांवों में भी, एक पुस्तकालय है और लोग अपने गांव या कस्बे में पुस्तकालय के साथ वैसा ही भावनात्मक जुड़ाव महसूस करते हैं जैसे वे अपने गांव या कस्बे में स्थित मंदिर या चर्च अथवा मस्जिद या स्कूल के साथ विशेष लगाव महसूस करते हैं। श्री पणिक्कर के आंदोलन द्वारा निर्मित पुस्तकालय बाद में सभी सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के मुख्य केंद्र बन गए, केरल का साक्षरता आंदोलन इस बात का प्रभावशाली उदाहरण है। उन्होंने कहा कि केरल की संस्कृति में पुस्तकालयों का केंद्रीय स्थान होने का श्रेय श्री पी.एन. पणिक्कर को जाता है जिन्होंने आम लोगों को पुस्तकालयों से जोड़ा। उन्होंने कहा कि 1945 में श्री पणिक्कर द्वारा लगभग 50 छोटे पुस्तकालयों के साथ आरम्भ किया गया ग्रंथशाला संगम हजारों पुस्तकालयों के एक बड़े नेटवर्क के रूप में विकसित हुआ। उन्होंने कहा कि पुस्तकालयों के इस बड़े नेटवर्क के माध्यम से, केरल के आम लोग श्री नारायण गुरु, अय्यंकाली, वी.टी. भट्टथिरिपाद और अन्य महान आचार्यों के विचारों और आदर्शों से परिचित हो सके। केरल के एक औसत व्यक्ति के सर्वव्यापी दृष्टिकोण का पता श्री पणिक्कर के पुस्तकालय और साक्षरता आंदोलन से लगाया जा सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि केरल में भारतीय संस्कृति और सौहार्द की सर्वोत्तम झलक देखने को मिलती है। दुनिया के सभी हिस्सों के लोग केरल की ओर बरबस ही आकर्षित हो जाते हैं, अपनी अनूठी विशेषताओं को बरकरार रखते हुए यहाँ भिन्न-भिन्न संस्कृतियों और धर्मों के लोग साथ मिलकर रहते हैं। केरल के लोगों ने शेष भारत और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में सम्मान और सद्भावना अर्जित की है। केरल से प्रवासी भारतीय उद्यमी न केवल काफी मात्रा में धन प्रेषित कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने अपनी कर्मभूमि में भारत की प्रतिष्ठा को बहुत ऊंचा उठाया हुआ है। सेवा क्षेत्र के केरल के पेशेवरों, विशेष रूप से नर्सों और डॉक्टरों को प्रत्येक स्थान के लोगों द्वारा अत्यधिक सम्मान और विश्वास प्राप्त है। हाल ही में, जब कोविड-महामारी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया, केरल की नर्सें और डॉक्टर भारत, मध्य-पूर्व और दुनिया के अनेक अन्य क्षेत्रों में सबसे अधिक दिखाई देने वाले कोविड-योद्धाओं में से थे। केरल के लोगों ने भारत का गौरव बढ़ाया है।

इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कि केरल ऐसा पहला राज्य बन गया जिसकी साक्षरता दर सौ प्रतिशत है, राष्ट्रपति ने कहा कि 'साक्षर केरलम' आंदोलन श्री पणिक्कर द्वारा स्थापित नींव के कारण लोकप्रिय और प्रभावी हुआ। केरल में उच्च साक्षरता और शिक्षा के उच्च स्तर का कई गुना प्रभाव पड़ा है। सतत विकास के पहलुओं सहित, मानव विकास के कई सूचकांकों में केरल अन्य राज्यों से आगे रहा है। उन्होंने कहा कि केरल में क्रमागत सरकारों ने प्रगति और विकास के एजेंडे पर निरंतर ध्यान केंद्रित किया है। इसलिए, राज्य ने उत्कृष्टता के अनेक मापदंडों पर अपनी नेतृत्व की स्थिति को बनाए रखा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि 19 जून को श्री पणिक्कर की पुण्य तिथि को 'पठन दिवस' के रूप में मनाया जाना महान राष्ट्र निर्माता को श्रद्धांजलि देने का सबसे उपयुक्त तरीका है। श्री पणिक्कर के मिशन को पूरे समर्पण के साथ आगे बढ़ाने के लिए पी. एन. पणिक्कर फाउंडेशन की प्रशंसा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि फाउंडेशन समावेशी विकास के उद्देश्य को साकार करने के लिए डिजिटल साक्षरता को एक साधन के रूप में बढ़ावा दे रहा है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि फाउंडेशन ने इस सदी के आरम्भ से ही ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल लर्निंग की शुरूआत कर दी और इस प्रयास के माध्यम से हजारों घरेलू डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित करने में यह फाउंडेशन सफल रहा है। उन्होंने पी.एन. पणिक्कर नेशनल रीडिंग मिशन जैसे पहलों के माध्यम से सभी लोगों तक पहुँच बनाने के फाउंडेशन के प्रयासों की सराहना की। संस्कृत में एक कहावत है 'अमृतं तू विद्या' जिसका अर्थ है शिक्षा या विद्या अमृत के समान है इसका उल्लेख करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि विद्या रुपी इस अमृत का वितरण पणिक्कर फाउंडेशन द्वारा पूरे देश में किया जा रहा है।