भारत के राष्ट्रपति ने अध्यक्षीय शोध क़दम की तीसरी वर्षगांठ समारोह को संबोधित किया
राष्ट्रपति भवन : 24.07.2018
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (24 जुलाई, 2018) नई दिल्ली में लोक सभा के अध्यक्षीय शोध कदम की तीसरी वर्षगांठ समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र में संसद और विधानमंडलों की भूमिका Discuss, Debate और Decide करने की होती है। कभी-कभी ऐसे अवसर भी आते हैं जब इस प्रक्रिया में Dissent का तत्व भी जुड़ जाता है। लेकिन Dissent की अभिव्यक्ति में भी विधायकों और सांसदों को Decorum बनाए रखना होता है। इन पांचों D अर्थात् Discussion, Debate, Dissent, Decorum और Decision के मेल से ही सबसे बड़ी D अर्थात् Democracy मजबूत होती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि सभी संसद सदस्य एक दूसरे के विचारों का आदर करें और मर्यादा बनाए रखें। उन्होंने कहा कि संसद की कार्यवाही का सजीव प्रसारण होता है। जनता इस प्रसारण को देखती भी है और इससे प्रेरणा भी प्राप्त करती है। जनता अपनी समस्याओं औरदेश के विकास की योजनाओं पर चर्चा की अपेक्षा करती है। संसद पर हमारे नागरिकों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में प्रयास करने की जिम्मेवारी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र की भव्यता को बनाए रखने और संसद एवं राज्य विधानमंडलों के सुचारु संचालन के लिए केवल इस बात का ही महत्व नहीं है कि वहां जन-सामान्य के सरोकारों पर निर्णय लिए जाएं; बल्कि यह भी आवश्यक है कि इनमें सुविचारित निर्णय लिए जाएं। यहीं से शोध और विवेचना की भूमिका शुरू होती है।संसदीय शोध कदम की पहल से इसमें बड़ी मदद मिलती है।
यह विज्ञप्ति 1840 बजे जारी की गई।