राष्ट्रपति ने वर्चुअल माध्यम से राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार प्रदान किए
राष्ट्रपति भवन : 24.09.2020
मानवता और राष्ट्र की सेवा का भाव हमारे जीवन-मूल्यों का अभिन्न अंग रहा है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने आज (24 सितंबर, 2020) नई दिल्ली में राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार प्रदान करने के अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि इसकी जड़ें हमारी परंपरा में हैं जहां यह कहा गया है कि सेवा-धर्म के महत्व को समझना आसान नहीं है।
राष्ट्रपति कोविन्द ने महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि केवल मानवता ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों और प्रकृति के प्रति भी सेवा और करुणा की भावना होनी चाहिए। महात्मा गांधी की जन्म-शताब्दी के उपलक्ष में सन् 1969 में राष्ट्रीय सेवा योजना आरम्भ किए जाने की बात दोहराते हुए उन्होंने कहा कि यह योजना आज भी अत्यधिक प्रासंगिक है। उन्होंने कोविड महामारी के कठिन समय में भी पुरस्कारों की प्रस्तुति की प्रशंसा की और युवा मामले और खेल मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की।
एनएसएस के बारे में राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा कि यह संस्था "मैं नहीं, बल्कि आप" के अपने आदर्श वाक्य के अनुरुप विभिन्न उपायों के माध्यम से युवाओं को सामुदायिक सेवा के लिए स्वेच्छा से मददगार बन्ने के लिए प्रोत्साहित करती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के 40 लाख विद्यार्थियों का इस नेक योजना से जुड़ाव एक उत्साहजनक प्रगति है जिससे यह आश्वासन भी मिलता है कि हमारे देश का भविष्य सुरक्षित हाथों में है।
युवा स्वयंसेवकों द्वारा संचालित गतिविधियों पर जोर देते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि स्वयंसेवकों ने सोशल-डिस्टेन्सिंग तथा मास्क के प्रयोग के लिए जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन स्वयं सेवकों ने क्वारंटाइन किए गए और एकांतवास वाले रोगियों को भोजन उपलब्ध कराने और इस दौरान आवश्यक अन्य उपयोगी उत्पाद प्रदान करने में भी सहायता की है। इसके अलावा, भूकम्प और बाढ़ जैसी राष्ट्रीय आपदाओं के दौरान ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ के स्वयं-सेवक और कार्यकर्ता समाज की सहायता के लिए सदा तत्पर रहे हैं।
राष्ट्रपति कोविन्द ने इस बात की भी सराहना की कि 42 पुरस्कार विजेताओं की सूची में 14 बेटियों के नाम भी शामिल हैं। हमारे देश की बेटियां राष्ट्र सेवा में सावित्रीबाई फुले, कस्तूरबा गांधी और मदर टेरेसा की सेवा-भावना की परंपरा की याद दिलाती हैं।