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भारत के राष्ट्रपति ने वर्ष 2019-20 के लिए ‘राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार’ प्रदान किए

राष्ट्रपति भवन : 24.09.2021

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (24 सितंबर, 2021) वर्चुअल समारोह में वर्ष 2019-20 के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार प्रदान किए।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि मनुष्य के जीवन का भव्य-भवन, विद्यार्थी जीवन की नींव पर ही निर्मित होता है। वैसे तो मानव की शिक्षा, जीवन-भर चलती रहती है, परंतु व्यक्तित्व-विकास के सूत्र, विद्यार्थी जीवन में ही भली प्रकार से ग्रहण किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि वे एन.एस.एस. को इसीलिए एक दूरदर्शितापूर्ण योजना मानते हैं क्योंकि इसके माध्यम से स्कूल और कॉलेज में शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को, समाज और देश की सेवा से जुड़ने का अवसर जीवन के आरंभ में ही प्राप्त हो जाता है।

इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कि राष्ट्रीय सेवा योजना की स्थापना, वर्ष 1969 में महात्मा गांधी की जन्म शताब्दी के अवसर पर की गयी थी, राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया था। वे चाहते थे कि हमारे युवा, जिम्मेदार नागरिक बनें और स्वयं को पहचानें। गांधीजी के अनुसार, स्वयं को जानने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है- स्वयं को औरों की सेवा में डुबो देना। गांधीजी का जीवन मानव-सेवा का अनुपम उदाहरण है। उनके आदर्श और उनका सेवा-भाव हम सभी के लिए आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक है।

राष्ट्रपति ने कहा कि कोविड-19 के आरंभिक प्रकोप के समय, जब तक मास्क का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू नहीं हुआ था, तब एनएसएस द्वारा 2 करोड़ 30 लाख से अधिक मास्क बनाकर देश के कई राज्यों में वितरित किए गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि एनएसएस स्वयं सेवकों ने लोगों तक कोविड हेल्पलाइन के जरिए संपर्क स्थापित करके लोगों को कोविड से संबंधित जानकारी प्रदान की और साथ ही जागरूकता और राहत गतिविधियों में जिला प्रशासन का हाथ बंटाया।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश के विभिन्न भागों में आज़ादी के 75वें वर्ष को 'आजादी का अमृत महोत्सव’ के रूप में मनाया जा रहा है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर वेबिनार, स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर संगोष्ठी के साथ-साथ वृक्षारोपण, रक्तदान और श्रमदान जैसे कार्यक्रमों में एनएसएस स्वयं सेवक अपना योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे स्वाधीनता संग्राम के बारे में और इस संग्राम में असाधारण योगदान करने वाले सेनानियों के आदर्शों के बारे में जागरूकता का प्रसार करना भी राष्ट्रसेवा का काम है।

वर्ष 1993-94 में राष्ट्रीय सेवा योजना की रजत जयंती के अवसर पर युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा एनएसएस पुरस्कार आरम्भ किए गए। इन पुरस्कारों का उद्देश्य विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों, (+2) परिषदों और उच्चतर माध्यमिक, एनएसएस इकाइयों/कार्यक्रम अधिकारियों और एनएसएस स्वयंसेवकों द्वारा स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा के लिए उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देना और पुरस्कृत करना है।