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भारत के राष्ट्रपति भारतीय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों से मिले; उन्होंने कहा कि ज्ञान, आविष्कार और नवान्वेषण के सहारे देश आगे बढ़ेगा

राष्ट्रपति भवन : 24.10.2017

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (24 अक्तूबर, 2017)भारतीय विज्ञान संस्थान,बंगलुरु की प्रयोगशाला और नैनोविज्ञान व इंजीनियरी केन्द्र का दौरा किया।

बाद में, राष्ट्रपति ने भारतीय विज्ञान संस्थान,बंगलुरु के वैज्ञानिकों के साथ विचार-विमर्श किया। वैज्ञानिक समुदाय को संबोधित करते हुए,राष्ट्रपति ने कहा कि ज्ञान, आविष्कार और नवान्वेषण रूपी तीन पहिए हैं जो देश आगे ले जाएंगे। चौथा पहिया हमारा समाज है। प्रत्येक पहिए को आपसी तालमेल,गति संयोजन के साथ और सही दिशा में आगे बढ़ना होगा। किसी भी पहिए की थोड़ी सी गलत चाल हमें गलत दिशा में ले जाएगी या हमारी गति रोक देगी। वैज्ञानिकों पर एक भारी जिम्मेदारी है क्योंकि इनमें से तीन पहियों की बागडोर उनके हाथों में होती है। लेकिन वे अगर चौथे पहिए यानि कि,समाज के साथ प्रतिदिन जुड़े नहीं रहेंगे तो हमारा भविष्य अच्छा नहीं होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। हमें अपने लोगों को गरीबी से बाहर निकालना है,उनका स्वास्थ्य और कुशलक्षेत्र तथा अपनी खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करनी है। समाज द्वारा इन समस्याओं के समाधान की मांग उचित ही है। दूसरी ओर,वैज्ञानिकों को ज्ञान की अपनी खोज के मार्ग से परमाणु से आकाशगंगाओं तक समझौता नहीं करना चाहिए। ये दोनों प्रयास परस्पर विरुद्ध नहीं हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमने देखा है कि किस प्रकार से स्वर्गीय डॉ. सतीश धवन के प्रयासों से‘इसरो’ने अधुनातन विज्ञान को किसानों की सहायता से जोड़ा तथा इसरो के अनुसंधान,अनुप्रयोगों और नवान्वेषण को भारतीय विज्ञान संस्थान की शैक्षिक क्षमताओं के साथ जोड़ने में वे कितने कामयाब रहे हैं। चुनौती यही है कि संस्थानों और विषय-क्षेत्रों के बीच ऐसी साझेदारी और सहयोग दूसरे संस्थानों में अनुकरण जैसे हो।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज वैज्ञानिकों के पास अवसर है कि वे एक ऐसी क्रांति के अगुवाकार बन सकें। जिसमें बंगलुरु के सभी वैज्ञानिक संस्थान मिलकर कार्य करें। वे अपनी खूबियों को साझा कर सकते हैं और अपने कार्यों से यह दिखा सकते हैं कि किस प्रकार विज्ञान और प्रौद्योगिकी हमें नए शिखर पर ले जा सकते हैं। बंगलुरु में उनके प्रयासों की चिंगारी से पूरे देश में ज्ञान का दीपक रोशन हो सकता है। इससे नवान्वेषण की संस्कृति को प्रयोगशाला से कारखाने तक और वहां से स्कूल की कक्षाओं तक ले जाने और व्यापक बनाने में मदद मिल सकती है।

बंगलुरु के प्रमुख वैज्ञानिकों ने परिवर्तनकारी उदाहरण प्रस्तुत करने की योजना की एक झांकी पेश की है जिसमें उनके प्रयास और अधिक सहयोगात्मक और प्रभावी बन गए हैं। समारोह में भारतीय विज्ञान संस्थान के अलावा,जेएनसीएएसआर,इन्सटेम,एनसीबीएस,रमन संस्थान और इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिक उपस्थित थे। वक्ताओं ने ध्यान दिलाया कि भारत ने खगोल विज्ञान और मेगा फिजिक्स तथा सामग्री अनुसंधान में अग्रणी भूमिका निभाई है। जैव प्रौद्योगिकी में भी हमारा अनुसंधान विश्व स्तरीय है। विज्ञान क्षेत्र में अगुवाकारों की नई चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए वे साझे उद्देश्य व सहयोगजन की भावना से तथा2022के नए भारत के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद की भावना से काम कर रहे हैं।

परिचर्चा में उपस्थित विद्वानों में डॉ. आर चिदम्बरम,भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार;प्रोफेसर अनुराग कुमार,निदेशक,भारतीय विज्ञान संस्थान;डॉ. के. विजय राघवन,सचिव,जैव प्रौद्योगिकी विभाग;डॉ. आशुतोष शर्मा,सचिव,विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग;श्री के.के. शर्मा, सचिव,उच्चतर शिक्षा,मानव संसाधन विकास मंत्रालय;श्री किरण कुमार,अध्यक्ष,इसरो;डॉ. एस. क्रिस्टोफर,अध्यक्ष,डीआरडीओ तथा परिचर्चा में वक्ता के रूप में शामिल और राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुतियां देने वाले अन्य वैज्ञानिक भी शामिल थे।

यह विज्ञप्ति 2040 बजे जारी की गई