राष्ट्रपति भवन में आज 50वें राज्यपाल सम्मेलन का समापन हुआ
राष्ट्रपति भवन : 24.11.2019
राष्ट्रपति भवन में आज (24 नवंबर, 2019) 50वें राज्यपाल सम्मेलन का समापन हुआ जिसमें जनजातीय कल्याण और जल, कृषि, उच्चतर शिक्षा तथा जीवन सुगमता से संबंधित मुद्दों पर विशेष बल दिया गया।
राज्यपालों के पांच समूहों ने इन मुद्दों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, और कार्रवाई योग्य ऐसे बिंदुओं पर चर्चा की तथा उनकी पहचान की, जिनमें राज्यपालों की कारगर भूमिका हो सकती है। सम्मेलन में जनजातीय कल्याण के मुद्दों में गहरी रूचि व्यक्त की गई और कहा गया कि जनजातीय उत्थान की नीतियों को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाना चाहिए।
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने अपने समापन उद्बोधन में कहा कि राज्यपालों और उप-राज्यपालों द्वारा की गई चर्चा बहुत सार्थक हुई है। मंत्रालयों और नीति आयोग की भागीदारी से इन चर्चाओं को विषय-अभिमुख और कार्रवाई योग्य बनाने में सहायता मिली है। उन्होंने विश्वास जताया कि इस सम्मेलन में हुए विचार-विमर्श से कई उपयोगी समाधान निकलेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस वर्ष 26 नवंबर को हमारे संविधान की 70वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। उस दिन नागरिकों के बीच मौलिक कर्तव्यों के बारे में जागरूकता फ़ैलाने का अभियान शुरू किया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी राजभवन संविधान दिवस को प्रभावी ढंग से मनाएंगे और लोगों के बीच मौलिक कर्तव्यों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने में राज्यपाल प्रमुख भूमिका निभाएंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि वन, झील और नदी जैसे जल संसाधन सहित पर्यावरण की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य है। देश की प्रगति के लिए सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए निरंतर प्रयास करना भी संवैधानिक कर्तव्य है। उच्च शिक्षा, कृषि, समावेशी विकास और शासन के क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों से जन-कल्याण को गति मिलेगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यपाल का पद हमारी संघीय व्यवस्था की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। राज्यपालों की भूमिका केन्द्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करना है। राष्ट्रपति ने राज्यपालों से कहा कि वे अपने-अपने राजभवन को आम लोगों और राज्य के विभिन्न अंगों के प्रतिनिधियों के लिए अधिक सुगम और सुलभ बनाएं।
उन्होंने आगे कहा कि औपनिवेशिक राज के समय से यह प्रवृत्ति चली आ रही है कि गवर्नर आम जनता से दूरी बनाकर रखते हैं, उन्होंने राज्यपालों को लोगों से सम्पर्क साधने और ऐसी किसी भी प्रचलित धारणा को दूर करने का आग्रह किया जिसमें लोग राजभवन को अपनी पहुँच से दूर समझते हों।
उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने भी समापन सत्र को संबोधित किया।