भारत के राष्ट्रपति ने गुवाहाटी में लासित बॅड़फुकन की 400वीं जयंती समारोह को सुशोभित किया
राष्ट्रपति भवन : 25.02.2022
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (25 फरवरी, 2022) असम के गुवाहाटी में लासित बॅड़फुकन की 400वीं जयंती समारोह में भाग लिया और वहां एक सभा को संबोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने लासित बॅड़फुकन और असम की भूमि के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया। राष्ट्रपति ने लासित बॅड़फुकन को भारत माता के सर्वाधिक महान पुत्रों में से एक बताया।
श्रीमंत शंकरदेव कला क्षेत्र जहां लासित बॅड़फुकन का जयंती समारोह आयोजित किया जा रहा है, का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि श्रीमंत शंकरदेव की भक्ति, कविता और कला की अविरल धारा तथा विलक्षण योद्धा लासित बॅड़फुकन की बहादुरी और बलिदान की प्रेरक विरासत, असम की गौरवशाली परंपरा के दो महान पक्षों को दर्शाते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि असम की यह धरती उन थोड़े से क्षेत्रों में से है जहां मध्यकाल में आक्रमणकारियों के सभी प्रयासों को विफल कर दिया गया था। हमारे देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में साम्राज्य के विस्तार की अपनी मंशा को पूरा करने के लिए मुगलों ने बारंबार प्रयास किए। सन् 1669 में आलाबोइ के संग्राम में असम के 10,000 बहादुर सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। उसके बाद राष्ट्रवाद की भावना और भी बलवती होती गई। आलाबोइ के संग्राम के दो वर्ष बाद ही वीरता की प्रतिमूर्ति, लासित बॅड़फुकन ने जवाबी आक्रमण किया और सरायघाट के ऐतिहासिक संग्राम में न केवल औरंगजेब की सेना की पराजय हुई, बल्कि वह पराजय पूर्वोत्तर में मुगलों की विस्तारवादी नीतियों के ताबूत पर अंतिम कील साबित हुई।
राष्ट्रपति ने कहा कि लसित बड़फुकन की अनेक गाथाएं असम के लोगों के बीच प्रचलित हैं और 24 नवंबर के दिन उनकी जयंती, राज्य भर में, 'लासित दिवस'के रूप में मनाई जाती है। उन्होंने कहा कि देशवासियों के हृदय में लासित एक राष्ट्र-नायक के रूप में विराजमान हैं।उन्होंने कहा कि वर्ष 1999 में, नेशनल डिफेंस एकेडमी, पुणे में ‘लासित बॅड़फुकन स्वर्ण पदक पुरस्कार’ की स्थापना की गई, जो प्रतिवर्ष सर्वश्रेष्ठ कैडेट को दिया जाता है। एनडीए परिसर में इस महान योद्धा की प्रतिमा भी स्थापित की गई। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि लसित बड़फुकन हमारे देश के बहादुर सैनिकों के लिए लसित बड़फुकन प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस समय हम अपनी आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। भारत सरकार ने 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के तहत अनेक कार्यक्रम आयोजित किए हैं। देशवासी और विशेष रूप से हमारे युवा, उत्साह के साथ इन कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से हमें अपने अतीत से जुड़ने और अपने इतिहास के पुन: स्मरण का अवसर प्राप्त होता है।
राष्ट्रपति ने लासित बॅड़फुकन की 400वीं जयंती के इन भव्य समारोहों के आयोजन के लिए मुख्यमंत्री और असम सरकार की सराहना की। उन्होंने आलाबोइ रण-क्षेत्र में एक युद्ध स्मारक का निर्माण करने और 05 अगस्त के दिन को ‘आलाबोइ संग्राम दिवस’ के रूप में मनाने के असम सरकार के निर्णय की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों के माध्यम से युवा पीढ़ी को अपनी विरासत से जुड़ने और देशभक्ति की भावना को आत्मसात करने का अवसर प्राप्त होता है।