राष्ट्रपति ने विक्रम साराभाई जन्म शताब्दी के समापन समारोह में वीडियो सन्देश के माध्यम से संबोधन दिया
राष्ट्रपति भवन : 25.09.2020
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने कहा कि जब दुनिया सैन्य प्रभुत्व के लिए अंतरिक्ष के इस्तेमाल में जुटी थी, तब डॉक्टर साराभाई की सोच थी कि भारत जैसे विशाल और विविधता वाले देश के तीव्र विकास के लिए अंतरिक्ष टेक्नॉलॉजी एक उपयुक्त मंच सिद्ध होगी। वे अंतरिक्ष विभाग और परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा आज (25 सितंबर, 2020) वीडियो संदेश के माध्यम से आयोजित किए जा रहे डॉ. विक्रम साराभाई जन्म शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे।
डॉ. विक्रम साराभाई का स्मरण करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ ऐसे महापुरुष होते हैं जिन के जीवन और कृतित्व से हमारा मनोबल बढ़ता है। 'भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक 'विक्रम साराभाई ऐसे ही एक महा मानव थे। मोहक व्यक्तित्व के स्वामी विक्रम साराभाई इतने विनम्र थे कि बाहर से उनकी महान उपलब्धियों का अनुमान लगाना कठिन होता था।वह विश्व स्तर के वैज्ञानिक, नीति-निर्माता और संस्थाओं के निर्माता थे। उनके व्यक्तित्व में इन तीनों गुणों का दुर्लभतम संयोग विद्यमान था। छोटे से जीवनकाल में ही, उन्होंने ये सभी उपलब्धियां हासिल कर ली थीं, मानो उन्हें पता हो कि उनका जीवन लंबा नहीं रहने वाला है। दुर्भाग्य से, बहुत कम उम्र में उनका निधन हो गया। हम केवल कल्पना ही कर सकते हैं कि भारत का अंतरिक्ष विज्ञान किन ऊंचाइयों तक पहुंचा होता, अगर उन्हें लंबी उम्र मिली होती।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक वैज्ञानिक के रूप में, डॉक्टर साराभाई मात्र वैज्ञानिक प्रेक्षणों तक सीमित नहीं रहते थे। अंतर्ग्रहीय अंतरिक्ष की प्रकृति को बेहतर तरीके से समझने के लिए वे सदैव प्रायोगिक डेटा के प्रभावों का अध्ययन करते थे। वर्ष 1947 से 1971 के बीच, उनके 85 शोधपत्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विज्ञान शोधपत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।
राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टर साराभाई बहुतदूर की सोच रखने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने दूसरे देशों की तरह भारत के अंतरिक्ष कार्य क्रम को नहीं चलाया। एक के बाद एक कदम आगे बढ़ाने का मार्ग अपनाने के स्थान पर उन्होंने तेजी से छलांग लगाने वाला तरीका चुना। उन्हें पूरा यकीन था कि भारत जैसा विकासशील देश, सीधे ही उपग्रह संचार के क्षेत्र में कदम रख सकता है। वे राष्ट्रीय विकास में उपग्रह प्रणाली की उपयोगिता लोगों के सामने लाना चाहते थे। आज जब कोविड-19 महामारी भी हमारी स्कूली शिक्षा को बाधित नहीं कर पाई है और सुदूरशिक्षण के जरिए शिक्षण कार्य जारी है, तब हम डॉक्टर साराभाई के सपनों का महत्व समझ सकतेहैं ।
राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टर साराभाई के जन्म-शताब्दी वर्ष में अंतरिक्ष के क्षेत्र में अनेक सुधारों की घोषणा कर सरकार ने इस महान वैज्ञानिक को उपयुक्त श्रद्धांजलि दी है। वे प्राय: कहा करते थे कि, ''मानव और समाज की वास्तविक समस्याओं के समाधान के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल में हमें किसी से पी छेनहीं रहना चाहिए।'' राष्ट्रपति ने कहा कि आज जब भारत ज्यादा से ज्यादा 'आत्मनिर्भर' होने के प्रयास कर रहा है, तब हमें उनके शब्दों का महत्व समझ में आ रहा है।