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भारत के राष्ट्रपति ने विधान सौध की 60वीं वर्षगांठ पर कर्नाटक विधान सभा के सदस्यों को संबोधित किया

राष्ट्रपति भवन : 25.10.2017

भारत के राष्ट्रपति, श्री रामनाथ कोविंद ने आज (25 अक्टूबर, 2017) बंगलुरु में विधानसौध के 60 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित हीरक जयंती समारोह ‘वज्रमहोत्सव’ में भाग लिया और कर्नाटक विधान सभा के दोनों सदनों के सदस्‍यों को संबोधित किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कियह केवल इस भवन (विधान सौध) की 60वीं जयंती नहीं है जो हम मना रहे हैं। यह विधानसभा के दोनों सदनों में उन वाद-विवादों और विचार विमर्शों की हीरक जयंती भी है जिन्हें पारित किया गया और उन नीतियों की भी जो कर्नाटक के लोगों के बेहतर जीवन के लिए बनाई गई हैं। विधायिका के दोनों सदन संयुक्त और सामूहिक रूप से कर्नाटक की जनता की इच्छा और अभिलाषा का प्रतिनिधित्व करते हैं। यही नहीं ये दोनों सदन कर्नाटक की जनता के विचारों और आशावाद का तथा ऊर्जा और गतिशीलता का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। यह भवन कर्नाटक में लोकसेवा के इतिहास का स्मारक है। राजनीतिक दिग्गजों की मंडली ने यहां संचालित होने वाली दोनों सदनों की प्रक्रिया में भाग लिया है। उन्होंने अनेक यादगार वाद-विवादों में अपने-अपने विचार व्‍यक्‍त किए हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि कर्नाटक के सपने केवल कर्नाटक के लिए नहीं हैं; वे पूरे भारत के सपने हैं। कर्नाटक भारतीय अर्थव्यवस्था का एक प्रेरणा-स्रोत है। यह एक मिनी इंडिया है जो अपनी संस्कृति और भाषायी विशेषता को खोये बगैर पूरे देश को युवाओं को आकर्षित करता है। वे यहां ज्ञान और रोजगार के लिए आते हैं और अपना श्रम और बुद्धिमत्‍ता इस राज्‍य को देते हैं। इससे सभी को लाभ होता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विधायक लोकसेवक और राष्ट्रनिर्माता दोनों ही होता है। वास्तव में,जो भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी और समर्पण के साथ करता है, वह राष्ट्रनिर्माता होता है। जो इस भवन का रख-रखाव करते हैं वे भी राष्ट्रनिर्माता हैं। जो इस भवन को सुरक्षा प्रदान करते हैं, वे भी राष्ट्रनिर्माता हैं। उन साधारण नागरिकों जो कड़ी मेहनत से रोजमर्रा के कार्य इसलिए करते हैं, के प्रयासों से ही देश का निर्माण होता है। जब आप इस विधान सौध में बैठें और कार्य करें, तो मेरा विश्वास है कि आप इसे कभी नहीं भूलेंगे और इससे प्रेरणा लेते रहेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि हम विधायिका की तीन ‘डी’ के प्रति जागरूक हैं- ये तीन ‘डी’ हैं-डिबेट, डिसेंट और अंततः डिसाइड। यह स्‍थान इन्‍हीं तीन‘डी’ के लिए है और यदि हम चौथे ‘डी’ डिसेन्सी को जोड़ लें तो पांचवां ‘डी’ अर्थात डेमोक्रेसी एक वास्तविकता बन जाता है। राजनीतिक विश्वास,जाति, धर्म और लिंग और भाषा पर ध्‍यान न देते हुए, यह विधायि का कर्नाटक के लोगों की इच्छाओं, अभिलाषाओं और आशाओं का प्रतिरूप है। जनता के सपनों को पूरा करने के लिए विधानसभा के दोनों सदनों की सामूहिक बुद्धिमत्‍ता से कार्य करने की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विधान सभा और विधान परिषद का दायित्‍व है कि वे लोकतंत्र के पावन स्‍थल के रूप में कार्य करें और राजनीतिक तथा नीति संबंधी विमर्श के स्तर को ऊंचा उठाने में योगदान दें। कर्नाटक की जनता के प्रतिनिधियों के रूप में दोनों सदनों केसदस्यों का एक विशेष दायित्व है। उन्होंने हीरक जयंती को गौरवशाली अतीत का ही नहीं बल्कि श्रेष्‍ठतर भविष्य के प्रति वचनबद्धता का अवसर बनाने का आह्वान विधायकों से किया।

यह विज्ञप्ति 1250 बजे जारी की गई