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भारत के राष्ट्रपति वाराणसी में; भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की परियोजनाओं के निर्माण का उद्घाटन किया, उत्तर प्रदेश सरकार के समारोहों में भाग लिया और बताया कि आध्यात्मिक नगरी वाराणसी अब स्मार्ट सिटी बनने की ओर अग्रसर है

राष्ट्रपति भवन : 26.03.2018

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (26 मार्च, 2018) वाराणसी में उत्तर प्रदेश सरकार और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अनेक समारोहों में भाग लिया। इनमें भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग की पांच परियोजनाओं का शिलान्यास तथा उत्तर प्रदेश सरकार के व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग द्वारा आयोजित रोजगार मेले में चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र वितरण शामिल हैं।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन काल से ही वाराणसी गंगा नदी पर विकसित जलमार्गों के माध्यम से तथा सड़क परिवहन के जरिए उत्तर भारत को पूर्वी भारत के जोड़ता रहा है। गंगा नदी, इस शहर, इस क्षेत्र की संस्कृति और सभ्यता में तथा व्यापार और विकास में अपना योगदान करती रही है। आज, इसी भावना को एक बार फिर ताजा करने का प्रयास किया जा रहा है। नेशनल वाटरवे - 1, ईस्टर्न फ्रैट कॉरीडोर तथा विभिन्न राजमार्ग परियोजनाओं के माध्यम से वाराणसी, भारत के उत्तरी राज्यों के लिए, पूर्वी भारत का प्रवेश द्वारा बन गया है। वाराणसी को आर्थिक विकास की धुरी बनाने के लिए सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी पर ध्यान केन्द्रित कर रही है।

राष्ट्रपति ने कहा कि वाराणसी में पर्यटन के असीम अवसर हैं जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा हो सकता है। वाराणसी का हस्तशिल्प बहुत ही लोकप्रिय और विश्व प्रसिद्ध है। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि कारीगरों को आधुनिक सुविधाएं प्रदान करने और उनके पारंपरिक कौशल को आधुनिक प्रौद्योगिकी और नए बाजारों के साथ जोड़ने के लिए अनेक योजनाएं शुरू की गई हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि दीन दयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल जहां यह समारोह आयोजित किया गया है, से वाराणसी क्षेत्र के कारीगरों को अपनी आय बढ़ाने और रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यकीन है कि अपनी विरासत और धरोहर तथा अपने लोगों की प्रज्ञा, ज्ञान और प्रतिभा से वाराणसी 21वीं शताब्दी में भी अग्रणी शहर बना रहेगा। उन्हें इस संबंध में केन्द्र और राज्य सरकारों की पहलों के बारे में जानकर भी उन्हें खुशी हुई।

शाम को राष्ट्रपति ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, श्री राम नाईक द्वारा लिखित पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के संस्कृत अनुवाद की प्रथम प्रति ग्रहण की।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि श्री राम नाईक ने पांच दशक की अपनी निष्ठापूर्ण और निःस्वार्थ सेवा के माध्यम से सार्वजनिक जीवन पर स्पष्ट छाप अंकित की है। अपनी पुस्तक में, उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया है और विफलताओं एवं सफलताओं से प्रभावित हुए बिना अथक रूप से कार्य करते जाने के अपने दर्शक का वर्णन किया है।

यह विज्ञप्ति 1735 बजे जारी की गई