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भारत के राष्ट्रपति लखनऊ पहुंचे; वहां उन्होंने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के 9वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया

राष्ट्रपति भवन: 26.08.2021

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (26 अगस्त, 2021) लखनऊ में ‘बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय’ के ‘9वें दीक्षांत समारोह’ में भाग लिया और सभा को संबोधित किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय डॉ. भीमराव आंबेडकर के विचारों के अनुरूप, शिक्षा के माध्यम से अनुसूचित जातियों और जनजातियों के समावेशी विकास हेतु विशेष योगदान दे रहा है।उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातिवर्गों के विद्यार्थियों के लिए इस विश्वविद्यालय में प्रवेश हेतु 50 प्रतिशत सीटों का आरक्षण तथा अन्य सुविधाओं के विशेष प्रावधानों से ऐसे विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा के अवसर बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि इन विद्यार्थियों में से उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को अलग से पदक प्रदान करके प्रोत्साहित किया जाना भी एक सराहनीय पहल है। इन सभी प्रयासों से इस विश्वविद्यालय की समावेशी संस्कृति और मजबूत बनेगी और यह बाबा साहेब के समता मूलक समाज के स्वप्न को पूरा करने की दिशा में सराहनीय योगदान होगा।

विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आज पूरे विश्व में,जीवन के लगभग सभी पहलुओं में अभूतपूर्व परिवर्तन हो रहे हैं। ऐसे समय में विद्यार्थियों को सचेत और जागरूक रहते हुए आज के अत्यंत गतिशील वैश्विक परिदृश्य में अपना स्थान बनाना है। साथ ही,एक बेहतर समाज और अपने देश के निर्माण में योगदान देना है। राष्ट्रपति ने कहा कि बाबासाहेब की पुस्तकों,आलेखों और भाषणों में आप सबको ऐसे अनेक मार्ग दर्शक और प्रेरक उल्लेख मिलेंगे जो आपके लिए जीवन-निर्माण व राष्ट्र-निर्माण में सहायक होंगे।

यह इंगित करते हुए कि आजभारत में बहुत ही अच्छा स्टार्ट-अप ईको-सिस्टम है और यूनिकॉर्न्स की कुल संख्या के आधार पर आज भारत का विश्व में तीसरा स्थान है, राष्ट्रपति ने कहा कि आज यदि बाबासाहेब होते तो उन्हें यह देखकर बहुत प्रसन्नता होती। बाबासाहेब कठोर परिश्रम,और स्व-रोजगारके पक्षधर थे। राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकांश यूनिकॉर्न्स युवाओं द्वारा स्थापित हैं और यह युवा शक्ति ही हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत है।उन्होंने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से ऐसे युवा उद्यमियों से प्रेरणा लेकर जॉब-सीकर होने के बजाय जॉब-क्रिएटर बनने के विषय में सोचने का आग्रह किया। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इस विश्वविद्यालय में इनोवेशन और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए सुविचारित प्रयास किए जा रहे हैं।

श्रोताओं के रूप में उपस्थित युवा विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि वे आजादी के75वें वर्ष के उपलक्ष में आजकल पूरे देश में चल रहे आजादी के अमृत महोत्सव के बारे में जानते होंगे और किसी न किसी रूप में भागीदारी भी कर रहे होंगे। उन्होंने कहा कि सन2047में जब हमारा देश आजादी की शताब्दी मनाएगा तब आप जैसे युवा देश को नेतृत्व दे रहे होंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि युवा पीढ़ी के प्रयासों से सन 2047 का भारत एक ऐसे विकसित देश के रूप में स्थापित होगा, जो न्याय,समता और बंधुत्व के संवैधानिक आदर्शों के अनुरुप, सभी प्रकार के सामाजिक भेदभाव से मुक्त होगा। हम एक समावेशी विश्व व्यवस्था के निर्माण में निर्णायक भूमिका निभा रहे होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे समता मूलक एवं सशक्त भारत के निर्माण के लिए आप सबको आज से ही संकल्पबद्ध होकर जुट जाना चाहिए।