राष्ट्रपति ने कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान का सही परीक्षण सामाजिक क्षेत्र की कमी को तेजी से समाप्त करने की योग्यता में निहित है।
राष्ट्रपति भवन : 26.09.2017
भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने आज (26सितंबर, 2017)नई दिल्ली में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की प्लैटिनम जुबली के समापन समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति जी ने कहा कि यह बड़ा श्रेयस्कर है कि सी.एस.आई.आर. का स्टाफ भारत की वैज्ञानिक जनशक्ति का केवल तीन से चार प्रतिशत भाग है- परन्तु भारत के वैज्ञानिक उत्पाद में लगभग 10 प्रतिशन योगदान देता है। यह इस बात पर बल देता है कि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सी.एस.आई.आर. कितना महत्वपूर्ण है।
जब एक वैज्ञानिक प्रयोगशाला में मदद करने का बड़ा स्वप्न लिए हुए ईमानदारी और निष्ठा से कड़ा परिश्रम करता है,तो वह राष्ट्र निर्माता की भूमिका निभा रहा होता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता के शुरूआत दिनों से ही,समाज के विकास संबंधी उद्देश्यों को हासिल करने के लिए विज्ञान एवं तकनीकी की उपयोगिता और उसके विस्तार के संबंध में हमारा देश सुस्पष्ट रहा है। इसका तात्पर्य भारत के पारंपरिक ज्ञान,वैभवशाली संपत्ति और बौद्धिक संपदा,जिसका सीएसआईआर है,दोनों का दोहन करने के साथ-साथ,विज्ञान एवं तकनीकी को अपनाना,अग्रणी अनुसंधान और इसकी खोज से भयभीत न होना और हमारे आम नागरिकों को यथासंभव सहायता पहुंचाना है।
यह अभिलाषा तब तक बलवती रहेगी तब तक 2022तक हम एक नया भारत पाने के लिए संघर्ष करते रहेंगे,जब हमारे देश को आजाद हुए75वर्ष पूरे हो जाएंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय कार्यक्रम-यथा स्टार्ट-अप इंडिया,मेक इन इंडिया,डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत,नमामि गंगे और स्मार्ट सिटीज मिशन वैज्ञानिकों और टैक्नालाजी इनक्यूबेटर्स,विशेषकर सीएसआईआर के योगदान के बगैर सफल नहीं हो सकते। चाहे वह स्वास्थ्य और स्वछता,साफ-सफाई,शिक्षा या कृषि हो पूरे मानव जीवन में एक मध्य आय देश बनाने के लिए,वैज्ञानिक अनुसंधान का सही परीक्षण,सामाजिक क्षेत्र की कमी को तेजी से समाप्त करने की योग्यता में निहित है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे विकासात्मक उद्देश्यों का लैंगिक समानता के बगैर कोई अर्थ नहीं है। हमारे देश में विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी अत्यंत कम है। भारत में प्रत्येक10वैज्ञानिक अनुसंधनकर्ताओं में से दो से भी कम महिलाएं हैं। प्रत्येक वर्ष भारतीय प्रैद्योगिकी संस्थान में प्रवेश लेने वालों में10प्रतिशत ही महिलाएं हैं। ये आंकड़े स्वीकार करने योग्य नहीं हैं,हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए उचित कदम उठाने होंगे ।
यह विज्ञप्ति 1645 बजे जारी की गई