भारत के राष्ट्रपति ने सीएसआईआर के स्थापना दिवस समारोह में भाग लिया, उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान की वास्तविक कसौटी सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देने में हमारे समाज की सहायता करने की क्षमता में है
राष्ट्रपति भवन : 26.09.2019
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (26 सितंबर, 2019) नई दिल्ली में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) के स्थापना दिवस समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान की वास्तविक कसौटी स्वास्थ्य और साफ-सफाई, स्वच्छता, शिक्षा और कृषि जैसे मानव जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देने में सहायता करने की क्षमता में निहित है। दीर्घकाल में, यह क्षमता हमारे समाज, संस्थाओं और उद्यमों में वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति की व्याप्ति की सीमा पर निर्भर करती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी हमारे राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने और वर्तमान में मानवता के समक्ष खड़ी बृहत्तर समस्याओं को दूर करने के महत्वपूर्ण माध्यमों में से एक है। हमने 2025 तक अपने देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य तय किया है। हम सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्याओं को दूर करने में भी अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं। बहुत हद तक, इन चुनौतियों का सामना करने में हमारी सफलता वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर रचनात्मक समाधान खोजने की हमारी क्षमता पर निर्भर करेगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि नवाचार के माध्यम से हमारे उद्यमी हमारी कई चुनौतियों में संकट-मोचक बन सकते हैं। उनकी सफलता से हमारा आर्थिक भविष्य और हमारी विकास की दिशा निर्धारित होगी। हमारी शैक्षणिक और वैज्ञानिक संस्थाओं, उद्योगों और उद्यमियों को यह सुनिश्चित करने के लिए आपस में एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए कि वैज्ञानिक अनुसंधान प्रयोगशालाओं से बाहर निकलकर हमारे उद्योगों, कृषि क्षेत्रों, इनक्यूबेशन केन्द्रों और स्टार्ट-अप्स तक पहुँच सके।
राष्ट्रपति ने कहा कि वैज्ञानिक समुदाय, शैक्षणिक संस्थाएं और उद्योग क्षेत्र को वैज्ञानिक अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में सामने आने वाली अनिश्चितता और जोखिमों के बारे में जानकारी होती है। राष्ट्रपति ने उनसे उस अनिश्चितता को स्वीकार करने और संभावित जोखिमों का सामना करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ऐसा करने में ही, वास्तविक परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियों और नवाचारों को विकसित करने की संभावना विद्यमान है जो समग्र तौर पर इस राष्ट्र की, मानवता की और धरती की जरुरतों को पूरा करने के हमारे लक्ष्यों में सहायता कर सकती हैं।