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भारत के राष्ट्रपति ने संविधान दिवस समारोह में भाग लिया

राष्ट्रपति भवन : 26.11.2021

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने कहा, संसद की गरिमा की रक्षा में, संसद के सभी सदस्य शामिल हैं, चाहे वे सत्ता पक्ष के हों या प्रतिपक्ष के। वे आज (26 नवंबर, 2021) संसद भवन के सेंट्रल हॉल में भारतीय संसदीय समूह द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी यह संसद, भारत की लोकतान्त्रिक व्यवस्था का सर्वोच्च शिखर है। सभी सांसद यहां कानून बनाने के साथ-साथ जन-हित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एकत्र होते हैं। वस्तुतः ग्राम-सभा, विधान-सभा और संसद के निर्वाचित प्रतिनिधियों की केवल एक ही प्राथमिकता होनी चाहिए। वह प्राथमिकता है - अपने क्षेत्र के सभी लोगों के कल्याण के लिए और राष्ट्र-हित में कार्य करना। उन्होंने कहा कि विचारधारा में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन कोई भी मतभेद इतना बड़ा नहीं होना चाहिए कि वह जन सेवा के वास्तविक उद्देश्य में बाधा बने। सत्ता-पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्यों में प्रतिस्पर्धा होना स्वाभाविक है – लेकिन यह प्रतिस्पर्धा बेहतर प्रतिनिधि बनने और जन-कल्याण के लिए बेहतर काम करने की होनी चाहिए। तभी इसे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा माना जाएगा। संसद में प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंद्विता नहीं समझा जाना चाहिए। हम सब लोग यह मानते हैं कि हमारी संसद 'लोकतंत्र का मंदिर' है। अतः हर सांसद की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि वे लोकतंत्र के इस मंदिर में श्रद्धा की उसी भावना के साथ आचरण करें जिसके साथ वे अपने पूजा-गृहों और इबादत-गाहों में करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि प्रतिपक्ष वास्तव में, लोकतंत्र का सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व है। सच तो यह है कि प्रभावी प्रतिपक्ष के बिना लोकतंत्र निष्प्रभावी हो जाता है। सरकार और प्रतिपक्ष, अपने मतभेदों के बावजूद, नागरिकों के सर्वोत्तम हितों के लिए मिलकर काम करते रहें, यही अपेक्षा की जाती है। हमारे संविधान निर्माताओं ने ऐसी ही परिकल्पना की थी और राष्ट्र-निर्माण के लिए यही आवश्यक भी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि यदि आप सभी सांसदगण अपने उत्तरदायित्व को स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों के विस्तार के रूप में देखें तो आपको संविधान निर्माताओं की विरासत को और मजबूत बनाने की ज़िम्मेदारी का एहसास होगा। यदि आप यह महसूस करेंगे कि आप उन स्थानों पर बैठे हैं जहां कभी हमारे संविधान निर्माता-गण बैठते थे, तो स्वत: ही आप सबको इतिहास-बोध और कर्तव्य-बोध का गहरा अनुभव होगा।

बहस के डिजिटल संस्करण, संविधान के सुलेख संस्करण और संविधान के अद्यतन संस्करण के साथ-साथ संवैधानिक लोकतंत्र के विषय पर ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी के शुभारंभ के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान सभा की चर्चाओं में हमें महानता की झलक मिलती है और राष्ट्र निर्माण के लिए मानवीय चिंतन और चेतना की पराकाष्ठा के दर्शन होते हैं। उन चर्चाओं के डिजिटल संस्करण(Digital version) से केवल देशवासियों को ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को, विशेषकर युवा पीढ़ी को, हमारे देश की महानता और क्षमता की जानकारी मिलेगी और भविष्य के लिए मार्गदर्शन भी प्राप्त होगा। संविधान के सुलेख संस्करण (calligraphed version) से लोगों को हमारी कला, संस्कृति के साथ-साथ हमारे इतिहास और गाथाओं में निहित महान आदर्शों की झलक कलात्मकता के सर्वश्रेष्ठ रूप में देखने को मिलेगी। संविधान के अद्यतन संस्करण (updated version) से नागरिकों, विशेषकर विद्यार्थियों को, हमारी संवैधानिक प्रगति की अब तक की यात्रा की जानकारी प्राप्त होगी। संवैधानिक लोकतंत्र के विषय पर ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी (online quiz) कराने की पहल अत्यंत सराहनीय है। यह रोचक माध्यम हमारे नागरिकों, विशेषकर युवा पीढ़ी में संवैधानिक मूल्यों के संवर्धन में बहुत प्रभावी सिद्ध होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमने हाल ही में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का वर्ष पर्यन्त समारोह मनाया है। अब हम स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह हम सब के लिए प्रसन्नता का विषय है कि 'आजादी का अमृत महोत्सव' के दौरान आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में देश भर के लोग बढ़-चढ़कर भागीदारी कर रहे हैं। उनके उत्साह से यह प्रकट होता है कि उनके हृदय में उन ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति गहरा सम्मान है जिनके त्याग और बलिदान के फलस्वरूप हमारे लिए आजादी की खुली हवा में सांस लेना संभव हो सका है। उन्होंने कहा कि इस तरह के ऐतिहासिक महत्व के अवसर, हमें उन जीवन-मूल्यों की भी याद दिलाते हैं जिनके लिए हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने संघर्ष किया और जो संविधान की उद्देशिका में न्याय,स्वतंत्रता,समता और बंधुता के रूप में उल्लिखित हैं। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि संविधान दिवस के अवसर पर हम अपने दैनिक जीवन में उन महान राष्ट्रीय आदर्शों पर चलने के लिए स्वयं को पुनः समर्पित करें। उन्होंने कहा कि इन आदर्शों का पालन करने से विश्व मंच पर हमारी उपस्थिति और मजबूत होगी तथा किसी भी चुनौती का सामना हम प्रभावी ढंग से कर सकेंगे।