भारत के राष्ट्रपति कानपुर में अपने पैतृक गांव परौंख और पुश्तैनी घर पहुंचे; और जन अभिनन्दन समारोह में शामिल हुए
राष्ट्रपति भवन : 27.06.2021
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द उत्तर प्रदेश की अपनी पांच दिवसीय यात्रा के दौरान आज (27 जून, 2021)उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात स्थित अपने पैतृक गांव परौंख पहुंचे। अपना वर्तमान कार्यभार संभालने के बाद, यह पहला अवसर है जब राष्ट्रपति अपने जन्मस्थान की यात्रा पर गए हैं। राष्ट्रपति ने परौंख की अपनी यात्रा का शुभारम्भ पथरी माता मंदिर के दर्शन के साथ किया और इसके बाद उन्होंने डॉ. बी. आर. आम्बेडकर की प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की।इसके उपरान्त, राष्ट्रपति अपने पैतृक घर गए जिसे अब ग्रामीणों के लिए एक सामुदायिक केन्द्र का रूप दे दिया गया है। वे गांव में स्थित वीरांगना झलकारी बाई इंटर कॉलेज भी गए।
इसके बाद, राष्ट्रपति परौंख गांव में एक सार्वजनिक जन अभिनंदन समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि वे चाहे जहां रहें,अपने गांव की मिट्टी की खुशबू और ग्रामीणों की सुखद यादें हमेशा उनके साथ रहती हैं। अपने जन्मस्थान परौंख से उन्हें हमेशा आगे बढ़ने और देश की सेवा करने की प्रेरणा मिलती रही है।
अपने सहपाठियों - श्री जसवंत सिंह, श्री विजयपाल सिंह उर्फ सल्लू सिंह, श्री हरिराम, श्री चंद्रभान सिंह भदौरिया,श्री राजाराम और श्री दशरथ सिंह को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी पढ़ाई साथ-साथ हुई और उन्होंने एक साथ भविष्य के सपने देखे। एक-दूसरे की सहायता करने जैसे जीवन-मूल्यों का सृजन बचपन से ही हो गया था। उन मित्रों और सहपाठियों का उनके जीवन में विशेष स्थान है। उन्होंने कहा कि इस गांव के परिवेश और लोगों ने भी जीवन के विभिन्न आयामों में उनकी सहायता की है।
राष्ट्रपति ने अपने गांव के उन अनेक प्रमुख लोगों को भी याद किया जिन्होंने गांव के परिवेश में सामाजिक एकता,धार्मिक सहिष्णुता, सद्भाव,शिक्षा के प्रति जागरूकता और कर्तव्यों के प्रति चेतना के आदर्शों को मजबूत करने में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि इन जीवन-मूल्यों ने उनके विचारों को प्रभावित किया है।
राष्ट्रपति ने अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए कहा कि परौंख में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद,वह जूनियर हाई स्कूल के लिए खानपुर गए। उस समय यहाँ प्राथमिक शिक्षा के बाद के अध्ययन के लिए कोई स्कूल नहीं था। उन्होंने कहा कि उन्हें उस समय यह अहसास हुआ था कि यदि वहां माध्यमिक विद्यालय होता तो जिन बच्चों को शिक्षा का अवसर नहीं मिल सका वे भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम हो पाते और उन्हें शिक्षा के लाभों से वंचित नहीं होना पड़ता। उन दिनों बेटियों को शिक्षा के लिए गांव से बाहर भेजना लगभग असंभव था। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आज परौंख गांव के बच्चे वीरांगना झलकारी बाई इंटर कॉलेज में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा विकास के नए अवसर उपलब्ध कराती है।
कोविड-19 महामारी के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि इस महामारी के कारण मानव जीवन में भारी व्यवधान उत्पन्न हुआ है। महामारी का प्रतिकूल प्रभाव अत्यंत व्यापक और त्रासद है। कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है। इस महामारी को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए हमें अभी भी बेहद सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश की सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए जांच,रोकथाम और टीकाकरण के लिए व्यापक और प्रभावी कदम उठाए हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस महामारी के कारण स्वास्थ्य और उपचार के प्रति जागरूकता बढ़ी है। व्यक्तिगत और सार्वजनिक साफ़-सफाई पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इस महामारी से स्वयं को बचाने के लिए स्वास्थ्य पर ध्यान देने और प्रतिरक्षा विकसित करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पूरे देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीका रक्षा-कवच की तरह है। इसलिए किसी व्यक्ति को न केवल स्वयं टीका लगवाना चाहिए बल्कि दूसरों को भी टीका लगवाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
इसके बाद दोपहर में, राष्ट्रपति ने पुखरायां में एक अन्य सार्वजनिक अभिनंदन समारोह में भाग लिया। पुखरायां में सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यद्यपि उनकी जन्मभूमि परौंख है,लेकिन पुखरायां का यह क्षेत्र उनकी कर्मभूमि रही है। यहीं से उनके सार्वजनिक जीवन की शुरुआत हुई। यही कारण है कि इस क्षेत्र का उनके जीवन और उनके हृदय में विशेष स्थान है। उन्होंने कहा कि उनके सार्वजनिक जीवन के आरंभिक दौर में इस क्षेत्र के लोगों ने उन्हें जो स्नेह और संबल दिया,उससे उन्हें अपनी जीवन-यात्रा में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा निरंतर मिलती रही है।