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भारत के राष्ट्रपति ने ‘भारतीय आर्थिक परिसंघ’ के शताब्दी सम्मेलन का उद्घाटन किया; उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश को मानव पूंजी में निवेश समझना चाहिए

राष्ट्रपति भवन : 27.12.2017

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (27 दिसंबर, 2017) गूंटूर, आंध्र प्रदेश में ‘भारतीय आर्थिक परिसंघ’ के शताब्दी सम्मेलन का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विश्व की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। विकास के बिना कोई प्रगति नहीं होती और समाज को उनका प्राप्य लौटाने की कोई गुंजाइश भी नहीं होती। यद्यपि, विकास आवश्यक है परंतु यह पर्याप्त नहीं है। हमारे समाज में व्याप्त असमानता को दूर करने, भिन्न-भिन्न वर्गों और भिन्न-भिन्न प्रदेशों के बीच सामाजिक और आर्थिक असमानता को समाप्त करने के लिए कल्पनाशील नीति-निर्माण आवश्यक है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे बहुत से देशवासी अभी भी गरीबी में या लगभग गरीबी में जी रहे हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास और नागरिक सुविधाओं तक उनकी पर्याप्त पहुंच नहीं है। पारंपरिक रूप से कमजोर तबकों विशेषकर अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्गों और महिलाओं के मामले में यह बात विशेष तौर पर लागू होती है। 2022 तक जब हमारा देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा, नए भारत के सपनों को पूरा करने के लिए इन मुद्दों पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। हमें स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश को मानव पूंजी में, हमारी अर्थव्यवस्था के एक महत्वपूर्ण अंग में निवेश के रूप में लेना होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि सहकारी संघवाद के युग में तथा खास तौर पर चौदहवें वित्त आयोग की रिपोर्ट के कार्यान्वयन जिसमें राज्यों को और अधिक निधियां अंतरित की गई हैं, के बाद विभिन्न राज्यों पर दायित्व और अपेक्षाएं भी बढ़ गई हैं। विचारों के विकास के साथ निधियों के अंतरण को जोड़े जाने की जरूरत है। इसी से राज्य लाभान्वित होंगे और अंततः भारत की सामाजिक, विकासात्मक और समष्टि अर्थव्यवस्था की आवश्यकताएं पूरी हो पाएंगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि औपचारिक नौकरियों का युग धीरे-धीरे विशिष्ट विनिर्माण, सेवा क्षेत्र और डिजिटल अर्थव्यवस्था में रोजगार के अवसर तथा स्वरोजगार अवसर पैदा कर रहा है। चाहे हम इसे अनौपचारिक अर्थव्यवस्था कहें या गिग अर्थव्यवस्था कहें जो कि इस समय एक लोकप्रिय पारिभाषिक शब्द है, चाहे हम सूक्ष्म वित्त या सामाजिक उद्यमिता के नियमो को अपनाएं यह क्षेत्र बढ़ता ही जाएगा। हमें इसे समझना है और इसके अनुरूप नीतियां बनानी हैं। हमें ऐसे सामाजिक सुरक्षा उपाय और सुरक्षा युक्तियां निर्मित करनी होंगी, जिनसे हमारे कर्मियों की सुरक्षा हो।

इस अवसर पर, मौजूद गणमान्यों में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल, श्री पी.एस.एल नरसिंह्मन; आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्री, श्री एन. चंद्रबाबू नायडू; नोबल विजेता और ग्रामीण बैंक के संस्थापक, बांग्लादेश के प्रो. मोहम्मद युनूस; भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व राज्यपाल, डॉ. सी. रंगराजन; भारतीय आर्थिक संघ के अध्यक्ष, प्रो. सुखदेव थोराट तथा आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. ए. राजेन्द्र प्रसाद शामिल थे।

यह विज्ञप्ति 1215 बजे जारी की गई