भारत के राष्ट्रपति ने कहा, “आइए अपने वैज्ञानिक उद्यम की गुणवत्ता और प्रासंगिकता को बढ़ाने का संकल्प लें”
राष्ट्रपति भवन : 28.02.2020
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने हमारे वैज्ञानिक उद्यम की गुणवत्ता और प्रासंगिकता को बढ़ाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विज्ञान को अपने लोगों के विकास और भलाई में योगदान देने का कार्य करना चाहिए। वे आज (28 फरवरी, 2020) नई दिल्ली में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित 'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ समारोह को संबोधित कर रहे थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने विश्वविद्यालयों और प्रयोगशालाओं के समस्त उपकरण, ज्ञान, जनशक्ति और अवसंरचना के माध्यम से विज्ञान के सभी हितधारकों, और वास्तव में पूरे समाज तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के अनुरूप, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग 'वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व' की अवधारणा को विकसित कर रहा है और इसे एक नीति के रूप में परिवर्तित रहा है, जिसमें वैज्ञानिक अवसंरचना को साझा करने, महाविद्यालयों के संकाय सदस्यों का मार्गदर्शन करने, अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने, और शीर्ष प्रयोगशालाओं में युवा विद्यार्थियों के शैक्षिक भ्रमण का आयोजन करने जैसी स्वैच्छिक गतिविधियाँ शामिल होंगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ का मूल उद्देश्य विज्ञान के महत्व के संदेश को प्रसारित करना है। इसके दो पहलू हैं - विशुद्ध ज्ञान की खोज के रूप में, अपने आप में विज्ञान का महत्व; और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के साधन के रूप में, समाज में विज्ञान का महत्व। निश्चित रूप से, दोनों परस्पर जुड़े हुए हैं, क्योंकि दोनों ही मामलों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उनका एक अहम तत्व हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से ही यह संभव है कि हम पर्यावरण, स्वास्थ्य-चर्या, समान आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा, खाद्य, और जल सुरक्षा, तथा संचार जैसी चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान खोज सकते हैं। आज हमारे सामने अनेकानेक प्रकार की और जटिल चुनौतियां मौजूद हैं। विभिन्न संसाधनों की मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ते असंतुलन से भविष्य में इनके बीच संघर्ष की संभावना है। इन चुनौतियों के स्थायी समाधान की अपनी खोज में हम सभी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर निर्भर रहना होगा।