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भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित किया; उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी हमारे देशवासियों की जीवन गुणवत्ता बढ़ाने की सरकार की पहलों को तेज करने की शक्ति बन सकती है

राष्ट्रपति भवन : 28.06.2018

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्‍द ने आज (28 जून, 2018) कानपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के51वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में भाग लिया और उसे संबोधित किया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के विकास में स्वतंत्र भारत की विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा की झलक मिलती है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर मॉडल ने देश के उत्कृष्ट संस्थानों के इंजीनियरी पाठ्यक्रम का मूल आधार तैयार किया है। काफी पहले ही, 1963 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर कंप्यूटर साइंस में पाठ्यक्रम संचालित करके इस क्षेत्र में अगुआ की भूमिका में था। इसने पूरेतीनदशक पहले ही देश में भारतीय प्रौद्योगिकी क्रांति का पूर्वानुमान लगा लिया था। ऐसी उपलब्धियां संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों की अनेक पीढ़ियों की निष्ठा और समर्पण के कारण संभव हुई हैं।

स्नातक उपाधि प्राप्‍त करने वाले विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत में अपूर्व आशा और अवसरों का वातावरण है। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जैव-चिकित्सा अनुसंधान, ऊर्जा भंडारण, स्मार्ट ग्रिड, नवीकरणीय ऊर्जा, वित्तीय गणित, परिशुद्ध विनिर्माण और अनेक दूसरे क्षेत्रों में उनका पेशेवर भविष्य भलीभांति सुरक्षित हो सकता है। तेजी से बढ़ रही हमारी अर्थव्यवस्था में उनके लिए व्यापक संभावनाएं हैं। अपनी प्रतिभा, शिक्षा और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की उपाधि की शक्ति से उनमें से प्रत्येक स्‍नातक भारत में बदलाव का वाहक बन सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देशवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए भारत सरकार ने अनेक पहल की हैं। अन्‍यों के साथ-साथ, इनमें अटल पुनर्नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन अथवा अमृत, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्‍टार्ट-अप इंडिया और स्वच्छ भारत अभियान इत्‍यादि शामिल हैं। प्रौद्योगिकी इन सभी कार्यक्रमों को तेज करने की शक्ति बन सकती है। उन्होंने विद्यार्थियों से ऐसे राष्‍ट्रीय मिशनों में योगदान करने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि बीसवीं शताब्दी में कानपुर हमारे देश के प्रादेशिक औद्योगिक नगरों में शामिल था और अपने वस्त्र कारखानों के लिए इसे‘मेनचेस्‍टर ऑफ द ईस्‍ट’के नाम से जाना जाता था। डिजिटल अर्थव्यवस्था और चौथी औद्योगिक क्रांति के युग में,कानपुर को एक औद्योगिक और वाणिज्यिक केन्‍द्र के रूप में समुन्‍नत करना और नया स्‍वरूप देना जरूरी है। यह शहर‘नमामि गंगे’ की सफलता के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह कार्यक्रम गंगा को केवल प्रदूषण मुक्त करने और औद्योगिक उत्सर्जनों से संरक्षित करने के लिए ही है बल्कि इसका कार्यक्षेत्र इससे भी बढ़कर है। इसका और भी कार्य है। इसका उद्देश्‍य नदी जल के आबंटन और उपयोग को तर्कसंगतबनाने तथा गंगा बेसिन को विकसित करने का भी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि ये सभी कार्य साझे हैं। सरकार और नागरिक, उद्योग और शिक्षा जगत जैसे विविध हितधारक इसमें अपनी-अपनी भूमिका निभाएंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर को इस समूह का हिस्‍सा बनना चाहिए। भारतीयप्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर जैसे वैज्ञानिक और अनुसंधान संस्थानों को कानपुर के नवीकरण कार्यक्रम की अभिकल्‍पना, निगरानी, कार्य नीतियों को अमल में लाने की वृहत्‍तर जिम्मेदारीहाथ में लेनी चाहिए।

शाम के समय,राष्ट्रपति भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में ‘सीएसआरएल’ (सेंटर फॉर सोशल रिस्पांसिबिलिटी एंड लीडरशिप केन्‍द्र) सुपर-30 (गेल उत्कर्ष) के उन विद्यार्थियों से भी मिले जिन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान आदि में अर्हता प्राप्त की है।

युवा विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए,राष्ट्रपति ने जेईई (एडवांस्‍ड) परीक्षा में सफलता के लिए उन्हें बधाई दी। उन्‍होंने विश्वास व्‍यक्‍त किया कि वे अपने भावी लक्ष्‍य उसी संकल्प के साथ हासिल करेंगे, जिस संकल्‍प के साथ उन्‍होंने यह सफलता प्राप्‍त की है। उन्‍होंने इस पहल के लिए ‘गेल’ और ‘सीएसआरएल’ की भी सराहना की।

यह विज्ञप्ति 1310 बजे जारी की गई।