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भारत के राष्ट्रपति ने सिस्टर निवेदिता के 150वें जयंती समारोह को संबोधित किया

राष्ट्रपति भवन : 28.10.2017

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (28 अक्तूबर, 2017)को नई दिल्ली में रामकृष्ण मिशन द्वारा आयोजित सिस्टर निवेदिता के 150वें जयंती समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित किया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि स्वामी विवेकानंद उनमें से एक थे जिन्होंने हमारी आधुनिक राष्ट्रीय चेतना को आकार दिया। उन्होंने न केवल हमारे बल्कि विश्व के लिए भी राष्ट्रीय मूल्यों की पुन: खोज की। वह सही मायने में सांस्कृतिक राजदूत थे जो 1893 में धर्म संसद के लिए शिकागो की उनकी यात्रा के दौरान स्पष्ट हो गया।

राष्ट्रपति ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने आध्यात्मिकता और विद्वता, आदर्शवाद तथा व्यावहारिक विचारशीलता को आपस मे मिलाया। उनकी विरासत रामकृष्ण मिशन में प्रतिबिम्बित हुई है जो 120 वर्ष पुराना है और निरंतर विकसित हुआ है। उन्होंने एक संस्थागत दृढ़ता तथा जागरूकता और प्रतिबद्धता की संस्कृति स्थापित की है। इससे यह अत्यंत विकट परिस्थितियों और स्थानों पर सामाजिक और जन कल्याण कार्यक्रम चला सका।

राष्ट्रपति ने कहा कि रामकृष्ण मिशन की शिक्षा और स्वास्थ्य पहल, पेरे देश में इसके स्कूलों और अस्पतालों में देखी जा सकती हैं। पूर्वोत्तर के हिस्से में और हमारे सीमावर्ती राज्य अरुणाचल प्रदेश में रामकृष्ण मिशन एक अग्रणी संस्थान रहा है। उन्होंने माओवाद से प्रभावित छत्तीसगढ़ में, रामकृष्ण मिशन द्वारा नारायणपुर के बहुत गरीब और पिछड़े हुए जनजातीय समुदायों के बीच कार्य के प्रति निष्ठा को देखा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता ने सदियों से अन्य देशों के लोगों को आकर्षित किया है। चीन के बौद्ध नालंदा आए। आज योग और विपासना विश्व भर के लोगों को आकर्षित कर रहे हैं तथा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रति उत्साह एक अन्य उदाहरण है। सिस्टर निवेदिता इस परंपरा की हिस्सा थीं और वह ज्ञान के लिए भारत में स्वामी जी के पास आईं।वह विशिष्ट थीं। वह थोड़े समय या कम सीखने के लिए नहीं आई थीं। उन्होंने बहुत कुछ सीखा और यहीं रहने लगीं। उन्होंने भारत को अपने जीवन का मिशन बना लिया। यद्यपि वह लंदन में पैदा हुईं परन्तु वह भारतीय राष्ट्र निर्माता बन गईं।

यह विज्ञप्ति 1900 बजे जारी की गई