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राष्ट्रपति ने कहा कि बंगाल में वैज्ञानिक प्रतिभा पूल का उपयोग किया जाना और कोलकाता को भारत के तकनीकी हब में परिवर्तित करना महत्वपूर्ण है

राष्ट्रपति भवन : 28.11.2017

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (28 नवम्बर 2017) राजभवन कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम, चिंतन विज्ञान में कोलकाता के वैज्ञानिक समुदाय को संबोधित किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि संक्षेप में विज्ञान मानव की कल्पना और उत्सुकता के बारे में है। यह न्यू फ्रंटियर्स के लिए असीमित जिज्ञासा के बारे में है। हजारों वर्षों से, आर्यभट्ट और चरक के समय से, भारत ने विज्ञान और इसके जिज्ञासा की भावना को अपनाया है। विज्ञान हमारा बौद्धिक ट्रिगर और फोर्स को कई गुणा बढ़ाने वाला है। आधुनिक युग में कोलकाता और बंगाल इस प्रक्रिया के केंद्र में हैं। आज उस संस्कृति को अन्य भौगोलिक स्थानों, राज्य के भ्ीतर और बाहर दोनों ओर फैलाने के साथ-साथ चुनौति है कि उस संस्कृति को एक ऐसे समाज द्वारा गहन किया जाए जो समझदार हो, प्रोत्साहित करने वाला हो और हमारे अग्रणी वैज्ञानिक संस्थाओं से हमारे स्कूलों और हमारी शैक्षिक प्रणाली तक नवोन्वेष को स्वीकार करने वाला हो।

राष्ट्रपति ने कहा कि बंगाल के संबंध में सचमुच कुछ विशेष अवश्य है। इस वास्तविकता को बताते हुए कि आईआईएससी, बंगलुरु जमशेदजी टाटा से विवेकानंद द्वारा अनुरोध किए जाने पर स्थापित किया गया था जो कि हमारे देश में एक वर्ल्ड क्लास साइंस रिसर्च इंस्टीट्यूशन है, उन्होंने कहा कि इस भूमि का आध्यात्म में समर्पित स्वामी के होने से आधुनिक विज्ञान के लिए एक संवेदनशील प्रशंसा और आकर्षण है।

राष्ट्रपति ने कहा कि अब तक युवा विज्ञान स्नातक और वैज्ञानिक, युवा इंजीनियर और टेक्नोलॉजिस्ट ने साइंस और ज्ञान को और अधिक बढ़ाने के लिए योगदान दिया है। वे पूरे देश के लिए और पूरे विश्व के लिए ऐसा करते हैं। बंगाल में वैज्ञानिक प्रतिभा पूल को उपयोग में लाना बंगाल की बेहतरी के लिए ही महत्वपूर्ण है और इससे अधिक कोलकाता को भारत के तकनीकी हब में परिवर्तित करना और एक शताब्दी पूर्व और यहां तक कि 50 वर्ष पूर्व।

राष्ट्रपति ने देश के प्रत्येक वैज्ञानिकों की प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने कहा कि वे वास्तविक रूप से राष्ट्र निर्माता हैं और उनके ऊपर न्यू इंडिया - एक इंडिया जो 2022 तक विकासात्मक मील का पत्थर हासिल करेगा, को साकार करने का बड़ा दायित्व है। न्यू इंडिया, न्यू बंगाल के बगैर नहीं प्राप्त किया जा सकता और न ही न्यू इंडिया और नया बंगाल सशक्त उपाय के रूप में योगदान देने वाले वैज्ञानिक समुदाय के बगैर हासिल किया जा सकता है।

कल राष्ट्रपति कोलकाता में जोरासेंको और नेताजी भवन में गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर के जन्म स्थली पर जाएंगे। वे कोलकाता में बोस संस्थान के शताब्दी समारोह के समापन को संबोधित करेंगे। कोलकाता छोड़ने से पहले वे रामकृष्ण मिशन और बेलूर मठ जाएंगे।

यह विज्ञप्ति 1750 बजे जारी की गई