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भारत के राष्ट्रपति ने लखनऊ में डॉ. भीमराव आम्बेडकर स्मारक और सांस्कृतिक केन्द्र की आधारशिला रखी

राष्ट्रपति भवन : 29.06.2021

भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द ने कहा, बाबासाहब के जीवन-मूल्यों और आदर्शों के अनुरूप समाज व राष्ट्र का निर्माण करने में ही हमारी वास्तविक सफलता है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में हमने प्रगति अवश्य की है लेकिन अभी हमें और आगे जाना है। वे आज (29 जून, 2021) लखनऊ में डॉ. भीमराव आम्बेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र के शिलान्यास के अवसर पर अपना वक्तव्य दे रहे थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के बहु-आयामी व्यक्तित्व और राष्ट्र-निर्माण में उनके बहुमूल्य योगदान से उनकी असाधारण क्षमता व योग्यता का परिचय मिलता है। वे एक शिक्षाविद, अर्थ-शास्त्री, विधिवेत्ता, राजनीतिज्ञ, पत्रकार, समाज-शास्त्री व समाज सुधारक तो थे ही, उन्होंने संस्कृति, धर्म और अध्यात्म के क्षेत्रों में भी अपना अमूल्य योगदान दिया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि ‘नैतिकता’, ‘समता’, ‘आत्म-सम्मान’ और ‘भारतीयता’- बाबासाहेब के जीवन-दर्शन के चार सबसे महत्वपूर्ण आदर्श हैं। इन चारों आदर्शों तथा जीवन मूल्यों की झलक बाबासाहब के चिंतन एवं कार्यों में दिखाई देती है। बाबासाहब की सांस्कृतिक सोच मूलतः समता और समरसता पर आधारित थी। डॉ. आंबेडकर ने भगवान बुद्ध के विचारों को प्रसारित किया। उनके इस प्रयास के मूल में करुणा, बंधुता, अहिंसा, समता और पारस्परिक सम्मान जैसे भारतीय मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने का और सामाजिक न्याय के आदर्श को कार्यरूप देने का उनका उद्देश्य परिलक्षित होता है। भगवान बुद्ध के करुणा और सौहार्द के संदेश को उन्होंने अपने जीवन और राजनीति का आधार बनाया। बाबासाहब ने नैतिकता और सौहार्द के सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित राजनीति की आवश्यकता पर बल दिया। वे कहा करते थे कि वे'पहले भी भारतीय हैं,बाद में भी भारतीय हैं और अंत में भी भारतीय हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि बाबासाहब महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के लिए सदैव सक्रिय रहे। उनके द्वारा रचित हमारे संविधान में महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर ही, समानता का मूल अधिकार दिया गया है। डॉ. आम्बेडकर चाहते थे कि समानता के इस मूल अधिकार को संपत्ति के उत्तराधिकार तथा विवाह एवं जीवन के अन्य पक्षों से जुड़े मुद्दों पर भी एक अलग विधेयक द्वारा स्पष्ट कानूनी आधार दे दिया जाए। आज महिलाओं के संपत्ति पर उत्तराधिकार जैसे अनेक विषयों पर उनके द्वारा सुझाए गए मार्ग पर ही हमारी विधि-व्यवस्था आगे बढ़ रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बाबासाहब की दूरदर्शी सोच अपने समय से बहुत आगे थी।

राष्ट्रपति ने कहा कि लखनऊ में उनके स्मारक के रूप में सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण करने की उत्तर प्रदेश सरकार की पहल सराहनीय है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि निर्माण पूरा होने पर यह सांस्कृतिक केंद्र सभी देशवासियों को, विशेषकर युवा पीढ़ी को, बाबासाहब के आदर्शों एवं उद्देश्यों से परिचित कराने में प्रभावी भूमिका निभाएगा।