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भारत के राष्ट्रपति ने बोस इंस्टीट्यूट के शताब्दी कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित किया और कहा कि इसे भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में ऊंचा स्थान प्राप्त है।

राष्ट्रपति भवन : 29.11.2017

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज 29 नवम्बर, 2017 कोलकाता में बोस इंस्टीट्यूट के शताब्दी कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि बोस इंस्टीट्यूट को भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में एक अद्वितीय और ऊंचा स्थान प्राप्त है। यह देश में स्थापित सर्वप्रथम वैज्ञानिक संस्थानों में से एक है। इसने विज्ञान और भारत की सेवा की है। इसने जीव विज्ञान और भौतिकी विज्ञान संबंधी अनुसंधान में बहुत बड़ा योगदान दिया है। इसके अतिरिक्त इस संस्थान का इसके ग्रामीण बायोटेक्नॉलाजी पहल के माध्यम से ग्रामीण बंगाल में एक बहुत ही सक्रिय सामाजिक बहुत बड़ा कार्यक्रम रहा है। यह उत्तरपूर्व के विभिन्न राज्यों में स्कूल के बच्चों के लिए शैक्षिक उत्थान कार्यक्रम भी चलाता रहा है। वास्तव में यह समाज की जमीनी सतह के लोगों के लिए विज्ञान की संस्कृति और नवोन्वेष फैलाने में निष्ठापूर्वक प्रयास कर रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि बंगाल भारत के सर्वप्रथम औद्योगिक और विनिर्माण संबंधी अर्थव्यवस्थाओं में से एक था। इस विरासत और इसके शैक्षिक संस्थानों के साथ हमारे देश में इसे आईटी क्रांति में अग्रणी होना चाहिए था, परंतु किसी कारणवश यह आईटी युक्त सेवाओं में धीमा रहा। और यह लहर अन्य राज्यों में चली गयी। जैसा कि हमारे देश के दक्षिण के राज्यों में। अब बंगाल के पास एक और मौका है। हम डिजिटल प्रौद्योगिकियों की पराकाष्ठा पर पहुंचने वाले हैं। और रोबोटिक्स हमारे जीने के तरीके में परिवर्तन कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह बंगाल के लिए बहुत सारे अवसर देता है, बंगाल के विज्ञान के और बंगाल के युवा वैज्ञानिकों के प्रतिभा पूल के लिए अवसर देता है। आर्चाय जे सी बोस के प्रति महान श्रद्धांजलि यही होगी कि हम नवोन्वेष और खोज के इस नए युग का स्वागत करें, ठीक वैसे ही जैसे कि उन्होंने किया और उन्होंने एक शताब्दी पूर्व नवोन्वेष और खोज की प्रक्रिया का नेतृत्व किया।

यह विज्ञप्ति 1100 बजे जारी की गई