भारत के राष्ट्रपति ने श्री लंका के राष्ट्रपति की मेज़बानी की; उन्होंने कहा कि भारत श्री लंका को अपनी विकास गाथा का हिस्सा बनाने का इच्छुक है
राष्ट्रपति भवन : 29.11.2019
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (29 नवंबर, 2019) राष्ट्रपति भवन में श्री लंका लोकतांत्रिक समाजवादी गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति, श्री गोठाभय राजपक्ष का स्वागत किया। राष्ट्रपति ने उनके सम्मान में राज-भोज का भी आयोजन किया।
राष्ट्रपति राजपक्ष की भारत की पहली राजकीय यात्रा पर उनका स्वागत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पड़ोसी होने के नाते हमारा विकास और प्रगति परस्पर जुड़े हुए हैं। हमारे पड़ोस में शांति और समृद्धि का वातावरण रहें, इसमें हम दोनों देशों क साझा हित-निहित है। हमारे द्विपक्षीय संबंधों का अपना एक अलग स्थान तथा आधार है और हमें इसी के अनुरूप आगे बढ़ना चाहिए। दोनों देशों और हमारे क्षेत्र की साझा सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देने के लिए सभी क्षेत्रों में अपने सहयोग को हमें मजबूत करना चाहिए। हमारी साझा आकांक्षाओं, एक साथ काम करने की हमारी साझा प्रतिबद्धता और एक-दूसरे की समस्याओं के प्रति हमारी पारस्परिक संवेदनशीलता के आधार पर हमारे बीच घनिष्ट संबंध प्रगाढ़ होते रहने चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत हमेशा हमारे द्विपक्षीय संबंधों के आर्थिक स्तंभ को मजबूत करने और भारत व श्रीलंका के बीच गहनतर व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ावा देने के लिए तत्पर रहा है। भारत चाहता है कि श्रीलंका हमारी विकास गाथा का हिस्सा बने। हमारी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तालमेल को देखते हुए बहुत कुछ हासिल कर पाने की गुंजाइश है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विकासात्मक सहयोग भारत-श्रीलंका संबंधों का एक महत्वपूर्ण आधार-स्तंभ है। भारत को इस बात से प्रसन्नता है कि इस संबंध में श्रीलंका के साथ अपने जुड़ाव से लोगों को वास्तविक और ठोस लाभ हुआ है। श्रीलंका की अपनी आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुसार, भारत आपसी हित वाली और अधिक परियोजनाएँ आरम्भ करने के लिए तत्पर है।
इसके बाद, राष्ट्रपति कोविन्द ने अपने राज-भोज भाषण में कहा कि श्री लंका के साथ अपने संबंधों को भारत सर्वोच्च महत्व देता है। हम एक ऐसा स्थिर, समृद्ध और शांतिपूर्ण श्री लंका देखना चाहते हैं, जिसमें उसके सभी लोगों की आकांक्षाएं पूरी हों। समावेशकता और विविधता के प्रति सम्मान हमारे साझा लोकतांत्रिक मूल्यों की शक्ति है। हमारी सरकार की समावेशी विकास दृष्टि अर्थात् ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ हमारे पड़ोस पर भी लागू होती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी साझा विरासत बहुत गहरी और चिरस्थायी है। हमें अपने लोगों के पारस्परिक हितों के लिए अपने बहुआयामी संबंधों को और मजबूत करने के नए-नए तरीके खोजने की आवश्यकता है। अपने क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में, हमारे साथ मिलकर काम करने के आपकी सरकार के संकल्प की हम गहरी सराहना करते हैं।