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भारत के राष्ट्रपति बोलिविया पहुंचे; उन्होंने शिष्ट-मण्डल स्तरीय वार्ता का नेतृत्व किया; गेब्रियल रेने मोरिनो स्वायत्त विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ-साथ भारत-बोलिविया व्यापार मंच को संबोधित किया

राष्ट्रपति भवन : 30.03.2019

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द, 28 मार्च, 2019 की शाम बोलिविया के विरू विरू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, सांता क्रूज़ पहुंचे, जहाँ बोलिविया प्लुरिनेशनल स्टेट के राष्ट्रपति, श्री एवो मोरालेस आयमा और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने उनकी अगवानी की। इस अवसर पर उनका समाहोरिक स्वागत किया गया। राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से भारत-बोलिविया के बीच यह अब तक की पहली उच्च स्तरीय यात्रा है।

कल (29 मार्च, 2019), राष्ट्रपति ने अपने समकक्ष श्री एवो मोरालेस आयमा से मुलाकात के साथ अपने कार्यक्रमों की शुरुआत की। राष्ट्रपति मोरालेस के साथ एकैक वार्ता के दौरान, राष्ट्रपति ने कहा कि वे भारत से बोलिविया की अब तक की पहली राजकीय यात्रा पर आने पर प्रसन्‍न हैं। उन्होंने विशेष आव-भगत के लिए राष्ट्रपति मोरालेस का धन्यवाद किया।

इसके बाद, राष्ट्रपति ने दोनों पक्षों के बीच शिष्ट-मंडल स्तरीय वार्ता का नेतृत्व किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह देखना उत्साहजनक है कि भारत और बोलिविया के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले दो वर्षों में गति हासिल कर चुका है और द्विपक्षीय व्यापार का यह आंकड़ा 2018 में 875 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। बोलिवियाई सोने का 60% हिस्‍सा भारत को निर्यात किया जाता है। लैटिन अमेरिकी क्षेत्र में बोलिविया, भारत का 8वां अग्रणी व्यापारिक साझेदार है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि द्विपक्षीय व्यापार को और मजबूत करने के लिए हमारे व्यापार परिदृश्य में विविध क्षेत्रों को शामिल करने की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हम फार्मा क्षेत्र में अपना निर्यात बढ़ाने के इच्छुक हैं। भारत को सस्ती कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं के लिए विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त है। भारतीय फार्मा कंपनियाँ बोलिविया को ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ की इसकी नेक परिकल्पना में मददगार सिद्ध हो सकती हैं।

दोनों पक्ष बोलिविया के विशाल लीथियम भण्डार की खोज और खनन के लिए एक साथ मिलकर काम करने पर भी सहमत हुए। लीथियम बैटरी बनाने में उपयोग में लाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण तत्व है- औरअपनी स्वच्छ प्रौद्योगिकी पहलों, जैसे इलेक्ट्रिक कारों के बढ़ते उपयोग के लिए, भारत को इसकी आवश्यकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विकासशील देशों के बीच परस्‍पर सहयोग की परिकल्पना के तहत बोलिविया के साथ अपनी विकास सहयोग साझेदारी पर गर्व करता है। उन्होंने बोलिविया द्वारा चिह्नित किए गए क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए बोलिविया को 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण की घोषणा की। उन्होंने बोलिविया के समक्ष भारतीय तकनीकी आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (आइटैक) के तहत प्रशिक्षण स्लॉट को दोगुना करते हुए 10 तक करने की पेशकश की।

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर, भारत ने बोलिविया को गांधीजी की दो प्रतिमाएं भेंट करने की पेशकश की। बोलिवियाई पक्ष ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। संभावना है कि राजधानी ला पाज़ तथा अपने सबसे बड़े शहर सांताक्रूज़ में वह इन प्रतिमाओं को स्‍थापित करें।

शिष्ट-मंडल स्तरीय वार्ता के बाद, दोनों राष्ट्रपतियों की उपस्थिति में आठ सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए गए और इनका आदान-प्रदान किया गया, जिनमें संस्कृति, राजनयिकों के लिए वीज़ा में छूट, राजनयिक अकादमियों के बीच विनिमय, खनन, अंतरिक्ष, पारंपरिक चिकित्सा, सूचना प्राद्योगिकी, उत्‍कृष्‍ट केन्‍द्र की स्‍थापना और द्वि-महासागरीय रेलवे परियोजना शामिल हैं। बोलिविया के लिए महत्वपूर्ण इस परियोजना पर, भारत ने बोलिविया के साथ भारतीय रेलवे के काम करने की संभावना तलाशने का प्रस्ताव रखा है। इसके साथ ही, बोलिविया अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के संरचना समझौते पर हस्ताक्षर करके अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में भी शामिल हो गया।

इसके उपरान्त, राष्ट्रपति मोरालेस ने राष्ट्रपति कोविन्द को बोलिविया के सर्वोच्च राजकीय सम्मान ‘कोंदोर दे लूस आंदेस एन एल ग्रादो दे ग्रां कॉलर’ से सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने यह पुरस्कार भारत और बोलिविया की मित्रता को समर्पित किया। एक प्रेस वक्तव्य (संलग्‍न) भी जारी किया गया।

अपने अगले कार्यक्रम में, राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति मोरालेस द्वारा आयोजित दोपहर के राजभोज में भाग लिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि सांस्कृतिक, भाषाई और जातीय विविधता हमारे लोगों की पहचान है, तथा विविधता में एकता हमारी साझा उपलब्धि है। भारत और बोलिविया प्रगति और विकास के पथ पर एक दूसरे की यात्रा में प्रचुर योगदान कर सकते हैं।

उसी शाम (29 मार्च, 2019), राष्ट्रपति ने गेब्रियल रेने मोरिनो स्वायत्त विश्वविद्यालय का दौरा किया, जहां उन्होंने विश्वविद्यालय के सभागार का नामकरण महात्मा गांधी के नाम पर करने वाले एक फलक का अनावरण किया। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि गांधीजी 21वीं सदी की वैश्विक समस्याओं के लिए बेहद प्रासंगिक हैं। सातव्‍य, पारिस्थितिकी संवेदनशीलता और प्रकृति के साथ सामंजस्‍यपूर्वक जीवन जीने के उनके सन्देश से यह स्‍पष्‍ट है कि उन्होंने वर्तमान समय की कुछ चुनौतियों का अनुमान पहले ही लगा लिया था। संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए सतत विकास लक्ष्य गांधीवादी दर्शन का क्रियात्‍मक रूप हैं।

दिन (29 मार्च, 2019) के अंतिम कार्यक्रम में, राष्ट्रपति ने भारत-बोलिविया व्यापार मंच को संबोधित किया। सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे दोनों देश अपनी-अपनी तरह से आर्थिक तौर पर शक्ति संपन्न हैं, और दोनों ही देश विकास और समृद्धि में एक दूसरे के अनुपूरक सिद्ध हो सकते हैं। भारत उपग्रहों, हल्के विमानों, कारों से लेकर उच्च प्रौद्योगिकी वाले प्रमुख औद्योगिक उत्पादों का निर्माण करता है और भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वैज्ञानिक मानव संसाधन पूल है। 400 मिलियन से अधिक के हमारे मध्यम-वर्ग के विशाल बाजार, स्थिर लोकतांत्रिक शासन प्रणालियों से पुष्‍ट गति‍शील व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र मिलकर भारत को अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य और व्यापार के लिए एक अद्वितीय गंतव्य के रूप में स्थापित करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि लैटिन अमेरिकी क्षेत्र के लिए भारत एक विशिष्‍ट व्यापार दृष्टिकोण है। हम अपने व्यापारिक सहकार को अधिक मजबूत बनाने के लिए प्रतिवर्ष भारत-लैटिन अमेरिका एवं कैरिबियाई सम्मेलन का आयोजन करते हैं। इन सम्मेलनों से हमें लाभ हुआ है। कई प्रमुख भारतीय वैश्विक कंपनियों ने इन सम्मेलनों के माध्यम से बोलिविया के बाज़ार में प्रवेश किया है, जिससे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, उत्पाद और सेवाएं यहाँ के लोगों तक पहुंची हैं। उन्‍होंने नोट किया कि भारत और बोलिविया के बीच विभिन्न क्षेत्रों जैसे ऑटोमोबाइल, हेल्थकेयर, सूचना प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, लीथियम, कृषि,अंतरिक्ष से लेकर, रेलवे, राजमार्ग, जलमार्ग, वायुमार्ग और ऊर्जा मार्ग जैसे आधुनिक बुनियादी ढांचों के विकास के क्षेत्रों में सहकार के अपार अवसर मौजूद हैं।

आज (30 मार्च, 2019), राष्ट्रपति क्रोएशिया, बोलिविया और चिली की अपनी तीन देशों की यात्रा के अंतिम चरण में चिली के लिए रवाना होंगे। अपने प्रस्थान से पहले, वे बोलिविया के सांता क्रूज़ में भारतीय समुदाय के स्वागत समारोह को संबोधित करेंगे।