भारत के राष्ट्रपति ने राँची विश्वविद्यालय के 33वें दीक्षान्त समारोह में भाग लिया; उन्होंने विश्वविद्यालयों से ‘विश्वविद्यालय सामाजिक उत्तरदायित्व’ में योगदान देने का आग्रह किया
राष्ट्रपति भवन : 30.09.2019
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (30 सितंबर, 2019) रांची, झारखंड में रांची विश्वविद्यालय के 33वें दीक्षान्त समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि देश के खनिज भंडार का 40 प्रतिशत झारखंड में पाया जाता है। राज्य में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के कई बड़े उद्योग स्थापित हैं। झारखंड में कई आकर्षक पर्यटक केन्द्र हैं। राज्य में बहुत से अच्छे शिक्षण संस्थान भी हैं। यहाँ की ऐसी कई विशेषताओं और युवाओं की प्रतिभा के बल पर, झारखण्ड में विकसित राज्य बनने की पूरी क्षमता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि राँची विश्वविद्यालय ने झारखंड की भाषाओं और संस्कृति को संरक्षित करने और इन्हें बढ़ावा देने के लिए 1980 में ‘जातीय और क्षेत्रीय भाषा विभाग’ की स्थापना की थी। वर्तमान में विश्वविद्यालय में पाँच आदिवासी भाषाएँ – ‘कुडुख, मुंडारी, संथाली, हो और खड़िया’ पढ़ाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि जनजातीय भाषाओं और संस्कृतियों के ज्ञान का उपयोग समुदाय के साथ जुड़ने और विकास के लिए किया जाना चाहिए। हमें जनजातीय समुदायों से सीखना चाहिए कि प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए किस प्रकार अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है। उन्होंने कहा कि राँची विश्वविद्यालय जनजातीय संस्कृति और सभ्यता पर शोध को प्रोत्साहित करने के माध्यम से बहुआयामी योगदान दे सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों को ‘विश्वविद्यालय सामाजिक उत्तरदायित्व’ (यूएसआर) की दिशा में योगदान देना चाहिए। प्रत्येक विश्वविद्यालय से कम से कम पांच विद्यार्थियों को लगभग हर दो महीने के अंतराल पर पास के गांवों में जाना चाहिए, और यदि संभव हो तो, रात में वहां ठहरना चाहिए तथा ग्रामीणों के साथ बातचीत करनी चाहिए। उन्हें केन्द्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी और विकास योजनाओं के बारे में ग्रामीणों के साथ चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने राँची विश्वविद्यालय से ‘विश्वविद्यालय सामाजिक उत्तरदायित्व’ (यूएसआर) पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया।