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भारत के राष्ट्रपति ने मिजोरम विधान सभा के एक विशेष सत्र को संबोधित किया और कहा कि भारत को अपनी समृद्ध मानव संबद्धता को भौतिक और मूलभूत संबद्धता के साथ जोड़ने की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति भवन : 30.11.2017

भारत के राष्ट्रपति ने आज 30 नवम्बर, 2017 आइजोल में मिजोरम विधान सभा के विशेष सत्र को संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि मिजोरम एक बहुत ही परिपक्व और गरिमामय राजनीतिक संस्कृति का धनी है।

मिजोरम की विधान सभा मिजोरम की राजनीतिक संस्कृति और राज्य के लोगों की इच्छा शक्ति और अपेक्षाओं का वास्तविक मिश्रण है। उन्होेंने मिजोरम की विधानसभा के इस तथ्य पर उन्हें बधाई दी कि अपने चार-पांच वर्ष के इतिहास में इसने कार्यशैली के सुचारु संचालन में एक ख्याति स्थापित की है। उन्होंने कहा कि इसके सदस्यों के व्यवहार और भागीदारी ने उच्चतम मानकों का कार्य किया है।। यह विधान सभा हमारी लोकतंत्र के लिए और विधान सभा को कैसे काम करना चाहिए, इसके लिए रोल मॉडल है।

राष्ट्रपति ने इस बात की सराहना की कि मिजोरम में सार्वजनिक जीवन में पाया जाना वाला सम्मान और गरिमा हृदय को छूने वाली है। यह राज्य के समृद्ध समाज के लिए भी विशेष है। 1986 के मिजो करार का होना, उसका क्रियान्वयन और अनुपालन अब भी पूरे विश्व में एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह उस मायने में भी आश्चर्यजनक है जब यह एक इंसरजेंसी स्थिति में समाप्त हुआ और एक विरोध में समाप्त हुआ जिसमें हमारे देश और मिजो सोसायटी तक को विभाजित कर दिया।

राष्ट्रपति ने यह ध्यान दिलाया कि सभी राजनीतिक पणधारी तथा सविल सभा समूह जिनमें चर्च और उसमें सम्मिलित समूह भी शामिल हैं। महिलाओं के समूह और अन्य गैर सरकारी संगठन भी शामिल हैं, मिजोरम में शांति का वातावरण तैयार करने के लिए एकत्रित हुए। करार और इसकी लिगेसी भारत के लंबे इतिहास सर्वाधिक सफलताओं में से एक का प्रतिनिधित्व करती है। हमें पु लालडेंगा के दूरदर्शी नेतृत्व के ज्ञानवान और दूरदर्शी नेतृत्व तथा पु लाल थानवाला जो निश्चित रूप से आज मुख्य मंत्री भी हैं, के प्रयासों और शराफत की भावना को भी याद रखना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि वह मिजोरम के एक अन्य स्टॉलवाट माननीय ब्रिगेडियर टी सैलो का उल्लेख करना चाहेंगे। मिजोरम और भारत राष्ट्र निर्माताओं के ऋणी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत एक आश्चर्यजनक विविधता का देश है। हमारे देश में और स्पष्टतः हमारे देश के भीतर राज्यों में भी हम विशाल जातिगत विविधता और धार्मिक मान्यताओं और अनेक भाषाओं, संस्कृतियों और रिवाजो, वेषभूषा के तरीकों, खाद्य खान-पान की आदतों और कुजिन के प्रकार को देखते हैं। यही विविधता हमारी ताकत है। यह हम सबको समृद्ध करती है और भारत की एकता और ताकत दोनों में योगदान देती है। इस विविधता को बनाए रखना और इसका विकास करना महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रपति ने कहा कि आर्थिक एकीकरण और शिक्षा अथवा कार्य के लिए एक देश से दूसरे देश में आवागमन हमें एक दूसरे से और अधिक नजदीक ला रहा है। उदाहरण के मिजोरम के पुरुष और महिलाएं केरल में आतिथ्य उद्योग में और पुणे में आईटी कंपनियों में कार्य करते हुए पाए जाते हैं वे योगदान देते है, वे कमाते हैं वे व्यवसायिकता के लिए जीते हैं और हमारे साझे समाज के सांस्कृतिक धरोहर में योगदान देते हैं। यह मानव संपर्क ही है जो हमारे देश को अति अद्वितीय बनाता है। इसे मिजोरम और उत्तरपूर्व के शेष भाग में भौतिक और मूलभूत संपर्क के साथ जोड़ना महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सदियों से दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया सांस्कृतिक समानताओं के साथ एक संयुक्त पारंपरिक क्षेत्र के रूप में उभरकर आए हैं। मिजोरम इस प्रक्रिया और इस क्षेत्र के केंद्र में है। मिजोरम का भूगोल सबसे बड़ी संपत्ति हो सकती है और भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कार्य कर रही है। इसके बाद राष्ट्रपति नागालैंड के लिए प्रस्थान करेंगे और कल 01 दिसंबर, 2017 को हॉर्न विल फेस्टीवल और स्टेट फेस्टीवल समारोह का अयोजन करेंगे।

यह विज्ञप्ति 1130 बजे जारी की गई