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भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द जी का ग्रामीण गुजरात को ‘खुले में शौच से मुक्त' घोषित करने के अवसर पर सम्बोधन

कीर्ति मंदिर, पोरबंदर : 02.10.2017

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आज के दिन बापू के जन्मस्थान पर आने का अवसर मिलना बड़े ही सौभाग्य की बात है। यहाँ आने से पहले आज प्रात:काल मैंने बापू की समाधि राजघाट पर जाकर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये।

आज शत प्रतिशत ग्रामीण स्वच्छता का लक्ष्य प्राप्त कर के गुजरात ने अपने बापू के प्रति सच्ची श्रद्धा व्यक्त की है। मैं इसके लिए मुख्यमंत्री जी को और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूँ ।

अक्तूबर का मास हम सब गुजराती भाई-बहनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण महीना है। आज के दिन, पूरे विश्व में अपनी कीर्ति फैलाने वाले महात्मा गांधी का इसी पवित्र भूमि पर जन्म हुआ। बापू की अतुलनीय महानता और विश्वव्यापी सम्मान के कारण इस स्थान का नाम ‘कीर्ति मंदिर’ सार्थक होता है। 15 दिन बाद ही गुजराती नूतन वर्ष का आगमन होगा जब पूरे देश में दीवाली का त्योहार मनाया जाएगा। 31 अक्तूबर को हमारे देश के वर्तमान स्वरूप को सुनिश्चित करने वाले लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती हम सब मनाते हैं। भारत की आजादी के निर्णय के समय लगभग चालीस प्रतिशत क्षेत्र रजवाड़ों के अधीन था। उनके कारण जो समस्या थी उसके विषय में बापूने सरदार पटेल को लिखा था "राज्यों की समस्या इतनी कठिन है कि केवल आप ही इसका समाधान कर सकते हैं।” राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हमारी आज़ादी के कर्णधार थे। लौह पुरुष सरदार पटेल हमारी एकता के निर्माता थे।बापू और सरदार के बिना आधुनिक भारत की कल्पना भी करना असंभव है। आधुनिक भारत के दोनों ही महान निर्माता गुजरात की देन हैं।

इस महान राज्य ने देश को दो-दो प्रधानमंत्री भी दिये हैं। मुझे अपनी युवावस्था में मोरारजी भाई के साथ काम करने का सौभाग्य मिला। मोरारजी देसाई अनुशासन और नैतिकता पर अडिग रहने वाले आदर्शवादी राजनेता थे। भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने मुख्यमंत्री के रूप में जैसी निष्ठा के साथ गुजरात को देश में अग्रणी राज्य बनाया था, वैसी ही कर्मठता के साथ वे विश्व में भारत को अग्रणी राष्ट्र बनाने के कार्य में तत्पर हैं। एक अग्रणी राष्ट्र के लिए स्वच्छता का होना बुनियादी शर्त है। प्रधानमंत्री ने स्वच्छता को उच्चतम प्राथमिकता दी है और इसे जन आन्दोलन का रूप दिया है।

भारत को पूरी तरह स्वच्छ बनाना हर भारतवासी की ज़िम्मेदारी है,यह बात लगभग सौ साल पहले महात्मा गांधी ने खुद सफाई करते हुए सबको सिखाने की कोशिश की थी।

सन 1915 में, शांतिनिकेतन में बापू ने विद्यार्थियों के सामने उदाहरण रखा। वे अपने सिर पर मल से भरे बर्तन को लेकर खेतों में गए,वहाँ गड्ढा खोदा,मल को गड्ढे में डाला और गड्ढे को मिट्टी से पाट दिया। तब से दो साल पहले नोबल पुरस्कार पा चुके गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर उस समय दुनिया में सबसे प्रसिद्ध भारतवासी थे। गुरुदेव ने कहा कि विद्यार्थियों को अपना काम खुद करने की जो सीख वे बरसों में नहीं दे सके थे, गांधी जी ने कुछ ही घंटों में कर दिखाया।

बापू कहा करते थे कि जब तक आप अपने हाथ में झाड़ू और बाल्टी नहीं उठाएंगे तब तक आप अपने गाँव और शहर को साफ नहीं कर पाएंगे। सन 2014 की गांधी जयंती के दिन से जो 'स्वच्छ भारत मिशन' पूरे देश में चल रहा है उसे महात्मा गांधी की 150वीं पुण्यतिथि के दिन यानी 2 अक्टूबर 2019 को पूरा कर लेने का लक्ष्य है। स्वच्छ भारत मिशन के सभी लक्ष्यों को प्राप्त करके ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति हम सच्ची श्रद्धा व्यक्त कर सकेंगे। ग्रामीण गुजरात की आज की सफलता स्वच्छ भारत की ओर एक बहुत बड़ा कदम है।

सामाजिक और आर्थिक विकास के अनेक पैमानों पर गुजरात सारे देश में एक अग्रणी राज्य है। बिजली के क्षेत्र में गुजरात की सफलता का अध्ययन पूरे भारत में किया जाता है। कृषि और सिंचाई के क्षेत्र में यहाँ के सफल प्रयोगों का देशव्यापी विस्तार किया जा रहा है। सरदार सरोवर योजना के जरिये कम पानी वाले क्षेत्रो में नर्मदा का पानी पहुँचाने का उदाहरण प्रभावशाली है। यह खुशी की बात है कि स्वच्छता के क्षेत्र में भी गुजरात पहले से ही बहुत सक्रिय रहा है। सर्वांगीण विकास के प्रति सक्रियता की इस परंपरा को मुख्यमंत्रीजी निरंतर आगे ले जा रहे हैं। इस सक्रियता के ठोस परिणाम गुजरात को अन्य क्षेत्रो के साथ-साथ स्वच्छता के क्षेत्र में भी ऊपर की पायदानों पर ले गए हैं। इस राज्य के "स्वच्छ गुजरात,स्वस्थ गुजरात" अभियान ने खुले में शौच के अभिशाप से लोगों को मुक्त कराने में प्रभावशाली सफलता पायी हैं।

यह सभी मानते हैं कि खुले में शौच करने से अनेक बीमारियाँ फैलती हैं। एक अनुमान के अनुसार ऐसी बीमारियों की वजह से रोज़ 1000 बच्चों की मृत्यु होती हैं, तथा बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा असर पड़ता हैं। इन बीमारियों से गरीब तबके के लोगों की कमाने की क्षमता भी कम हो जाती है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि स्वच्छता के लिए काम करना सही मायनों में गरीबों की सेवा करना है।

आज ग्रामीण गुजरात खुले में शौच की बीमारियों के खतरों से बचाव की स्थिति में आ गया है। यह एक बहुत बड़ा और सुखद बदलाव है। मुझे विश्वास है कि इस बदलाव का लाभ स्थायी रूप से गुजरात के ग्रामवासियों को मिलता रहेगा।

मैं एक बार फिर ग्रामीण गुजरात को खुले में शौचसे पूर्णतया मुक्त करने में सफलता प्राप्त करने के लिए मुख्यमंत्री जी सहित पूरे राज्य की टीम को बधाई देता हूँ। इतनी व्यापक सफलता के पीछे सबकी भागीदारी होती हैं। मैं सभी स्टेकहोल्डर्स की प्रशंसा करता हूँ। ज़मीन पर काम को अंजाम देने वाले स्वच्छताकर्मी सराहना के खास हकदार हैं। गुजरात के सभी ग्रामवासियों को इस महान उपलब्धि पर मेरी हार्दिक बधाई।

अंत में, मैं राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की पुण्य स्मृति में आप सब के साथ एक कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से बापू को सादर नमन करता हूँ।


धन्यवाद


जय हिंद