भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सिक्किम विश्वविद्यालय के पाँचवें दीक्षांत समारोह के अवसर पर भाषण
गांतोक : 03.11.2019
1. भारत के पूर्वोत्तर में, प्रकृति की गोद में बसे, खूबसूरत सिक्किम में, आपके बीच आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। मुझे इस बात का हार्दिक संतोष भी है कि यह यात्रा सिक्किम विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह के अवसर पर हो रही है,क्योंकि उच्च शिक्षा एक ऐसा विषय है जिसमें मेरी विशेष रुचि है और मेरे कार्यकाल में उच्च शिक्षा का क्षेत्र मेरे लिए प्राथमिकता वाला क्षेत्र रहा है। अत:,सिक्किम विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों से मिलना मुझे सुखद अनुभूति देने वाला है।
2. आज के समारोह में, पदक और उपाधियां प्राप्त करने वाले सभी 1,556 विद्यार्थियों व शोधार्थियों को मैं बधाई देता हूं। आज से आप अपनी जीवन-यात्रा का एक महत्वपूर्ण अध्याय पूरा करके, जिम्मेदारियों और चुनौतियों के संसार में प्रवेश करने जा रहे हैं, इसलिए यह दीक्षांत समारोह आपके जीवन का एक महत्वपूर्ण प्रस्थान बिंदु है। जिम्मेदारी यह कि यहां तक पहुंचने में समाज ने, शिक्षकों ने, आपके माता-पिता ने, आपको जो समर्थन और सहयोग प्रदान किया है, उसे ध्यान में रखते हुए आपको जीवन में आगे बढ़ना है और जो कुछ आपको इन सबसे प्राप्त हुआ है, उसे किसी न किसी रूप में उन्हें लौटाना है। और चुनौती यह कि विश्वविद्यालय से निकलकर आपको अच्छा रोजगार प्राप्त करना है, जीवन में नई-नई ऊंचाइयां छूने का प्रयास करना है। लेकिन, आपको बेहतर इंसान बनने के मार्ग से हटना नहीं है। आखिरकार, शिक्षा का उद्देश्य बेहतर इंसान बनना ही तो होता है।
3. आज इस समारोह में, आप में से अनेक विद्यार्थियों के परिजन भी उपस्थित हैं। पदक और उपाधियां तो आपको प्राप्त हुई हैं, परंतु सबसे अधिक गर्व का अनुभव आपके अभिभावकों को हुआ है। इसलिए, मैं सभी अभिभावकों और परिजनों को भी, आपके और उनके जीवन के इस विशेष अवसर पर बधाई देता हूं।
4. आपके अध्यापकों ने भी आपकी सफलता में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने आपको विभिन्न विषयों में कौशल व ज्ञान प्रदान किया है और वे ही आपके मार्गदर्शक रहे हैं। उन्होंने ही आपको सामान्य सोच से हटकर गंभीर चिंतन करने के लिए प्रेरित किया है। इसलिए वे भी बधाई के पात्र हैं।
5. सिक्किम विश्वविद्यालय परिवार का सौभाग्य है कि चांसलर के रूप में उसे प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एम. एसस्वामीनाथन और उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश रही न्यायमूर्ति रुमा पाल जैसे महानुभावों का मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा है। सिक्किम विश्वविद्यालय के विद्यार्थी के रूप में आप भाग्यशाली हैं कि आपको स्तरीय शिक्षा प्राप्त हुई है। किसी विश्वविद्यालय की स्थापना और संचालन में पूरे समाज का योगदान होता है। इसलिए, विश्वविद्यालयों को भी चाहिए कि वे पूरे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं। पिछले वर्ष जून में नई दिल्ली में आयोजित राज्यपाल सम्मेलन में मैंने यह विचार दिया था कि कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी की तरह विश्वविद्यालयों को University Social Responsibility (USR) के लिए सक्रिय होना चाहिए। इस जिम्मेदारी को निभाने का एक तरीका यह हो सकता है कि यहां के विद्यार्थी गांवों और बस्तियों में लोगों के बीच कुछ समय बिताएं, उनकी समस्याओं के समाधान में हाथ बंटाएं और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार का प्रयास करें। वे विशेष तौर पर गांव की साफ-सफाई, साक्षरता, बच्चों के टीकाकरण और न्यूट्रीशन जैसी कल्याणकारी योजनाओं के बारे में ग्रामवासियों को जागरूक कर सकते हैं। विश्वविद्यालय, अपने स्तर पर, अपने आस-पास के गांवों को गोद ले सकता है और उनकी प्रगति में सहभागी बन सकता है।
6. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि सिक्किम विश्वविद्यालय ने, लगभग 12 वर्ष के अल्प समय में ही, अपने विज़न के अनुरूप पूर्वी हिमालय के लोगों की बौद्धिक और सांस्कृतिक समझ को विकसित करने के गंभीर प्रयास किए हैं। विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर रहे कुल 2,123 विद्यार्थियों में से लगभग 55 प्रतिशत बेटियां हैं। इससे यहां के समाज में बेटियों को आगे बढ़ाने की सोच का पता चलता है।
7. सिक्किम विश्वविद्यालय का ध्येय वाक्य -"अन्वेषण, बोध, ज्ञान’’ गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि स्थानीय भाषाओं के विकास के लिए विश्वविद्यालय में लिंबू,लेप्चा और भूटिया भाषा एवं साहित्य का अध्ययन-अध्यापन किया जा रहा है और और लुप्त हो रही भाषाओं के संरक्षण के लिए ‘Centre for Endangered Languages’ की स्थापना भी की गई है। सिक्किम की विशेष पहचान को बनाए रखने के लिए, यहां की सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण और संवर्धन करना,एक दूरदर्शी पहल सिद्ध होगी।
देवियो और सज्जनो,
8. सिक्किम के लोग ‘कंचनजंगा’ को अपनी रक्षा करने वाली देवी मानते हैं। यह हिमालय की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है। कंचनजंगा का शाब्दिक अर्थ होता है- बर्फ के पांच खजाने। यह माना जाता है कि ये पांच खजाने हैं - नमक, खनिज, अनाज, शस्त्र और पवित्र ग्रन्थ। कंचनजंगा के रूप में प्रकृति ने सिक्किम को एक अमूल्य धरोहर सौंपी है और सिक्किम के लोगों ने प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष जिम्मेदारी का परिचय दिया है। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत, छोटे शहरों में से सिक्किम के रांगपो शहर को पूर्वोत्तर जोन में 2018 में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है और सिक्किम पूरे भारत में छठे स्थान पर रहा। इसके लिए मैं सिक्किम के राज्यपाल श्री गंगा प्रसाद, मुख्यमंत्री श्री प्रेम सिंह तामंग और प्रदेश की जनता की सराहना करता हूं।
9. तीस्ता एवं रंगीत नदियों के पवित्र जल से सिंचित सिक्किम पर भगवान बुद्ध की विशेष अनुकम्पा है। बौद्ध गुरु पद्मसंभव ने इस भूमि को ‘धान और फलों की गुप्त घाटी’ ठीक ही कहा था। मुझे बताया गया है कि पर्यटन के क्षेत्र में सिक्किम की पहचान ‘पूर्व के स्विट्ज़रलैंड’ के रूप में बन रही है।
10. अपने त्योहारों, रीति-रिवाजों, मान्यताओं और व्यवहार में सिक्किम के लोगों ने आपसी सद्भाव और मेल-जोल की मिसाल पूरे देश के सामने रखी है। यहां पर सभी धर्मों के लोग आपस में मिलकर एक दूसरे की खुशियों में शामिल होते हैं। भगवान बुद्ध ने भी समाज को दुख से निजात दिलाने और शाश्वत आनन्द का अनुभव करने का रास्ता दिखाया। उन्होंने लोगों को शान्ति, ज्ञान और जागरूकता का संदेश दिया। इसीलिए, सिक्किम के लोग जिस उत्साह से तिब्बती नव वर्ष मनाते हैं, उसी उमंग और श्रद्धा के साथ ‘दसैन’(दशहरा) और ‘तिहार’(दीवाली का त्योहार) भी मनाते हैं। मैंने भी, अभी 5 दिन पहले, दिल्ली में सभी के साथ मिलकर ‘तिहार’ यानि कि दीवाली का त्योहार मनाया है।
11. सिक्किम राज्य में यह संभावना प्रबल दिखाई देती है कि वह, देश के पहाड़ी राज्यों के बीच विकास का मॉडल बन सकता है। कठोर जलवायु और विशेष आवश्यकताओं के साथ-साथ विशेष संपदाओं वाले राज्य के रूप में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख संघ राज्यक्षेत्र से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक के पहाड़ी राज्यों में सिक्किम का विशेष स्थान है। यहां के लोगों का Civic Sense और अतिथि-सत्कार की भावना प्रशंसनीय है। पर्यटकों को इसका प्रत्यक्ष अनुभव, गांतोक के एम.जी. मार्ग पर बने भव्य मार्केट में हो जाता है।
12. सिक्किम के प्रबुद्ध नागरिकों के बल पर ही मानव विकास सूचकांक में सिक्किम की गणना, भारत के 10 अग्रणी राज्यों में की जाती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, साफ-सफाई और वन्य जीवन के संरक्षण में सिक्किम ने आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है। समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की सराहनीय परम्परा रही है। इस प्रदेश ने बाइचुंग भूटिया और निर्मल छेत्री जैसे फुटबॉल खिलाड़ी, और तरुणदीप रॉय जैसे तीरंदाज भारत को दिए हैं, जिन पर पूरे देश को गर्व है।
देवियो और सज्जनो,
13. सिक्किम ने जैविक खेती के माध्यम से पूरे देश के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। प्रदूषण से मुक्त, स्वच्छ राज्य बनने की दिशा में मजबूत क़दम उठाए हैं। आपकी यह यात्रा जारी रहे। इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी पूरे भारत में इस मशाल को लेकर जाएं। हमारा देश जैविक खेती और प्रदूषण-मुक्ति का अग्रदूत बने, यही संकल्प हम सभी का होना चाहिए।
14. मैं एक बार फिर से विश्वविद्यालय के सभी पूर्व और वर्तमान विद्यार्थियों, पदक विजेताओं और संकाय सदस्यों को बधाई देता हूं और शुभकामना करता हूं कि - शुभास्ते पंथान: सन्तु आप सभी का मार्ग प्रशस्त हो।