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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ उत्तर प्रदेश के 90वें वर्ष के अवसर पर आयोजित समारोह में सम्बोधन

कानपुर :04.06.2022

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मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ उत्तर प्रदेश के 90 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर इस संस्था से जुड़े आप सभी लोगों को हार्दिक बधाई। जिस संस्था को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी तथा राष्ट्रपति भवन में मेरी पूर्ववर्ती प्रथम महिला राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने संबोधित किया हो, वहां उपस्थित होना मेरे लिए अच्छा अवसर है।

पिछले 90 वर्षों से मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ उत्तर प्रदेश उद्योग, व्यापार और वाणिज्य की प्रतिनिधि संस्था के रूप में राज्य में औद्योगीकरण, व्यापार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देता आ रहा है। यह संस्था व्यापार और उद्योग जगत तथा राज्य और देश के नीति निर्माताओं को आपसी समन्वय के लिए एक मंच प्रदान करती रही है। इस संस्था द्वारा समय-समय पर विभिन्न मुद्दों पर भारत सरकार और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार को दिये गए सुझाव, नीति निर्धारण में अत्यंत सहायक सिद्ध होते रहे हैं। मैं उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास में योगदान देने के लिए मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ उत्तर प्रदेश के सभी वर्तमान और पूर्व पदाधिकारियों की सराहना करता हूं।

देवियो और सज्जनो,

गंगा के किनारे स्थित होने के कारण कानपुर प्राचीन काल से ही उद्योग व्यापार का प्रमुख केंद्र रहा है। कानपुर की महत्वपूर्ण भौगोलिक स्थिति और गंगा नदी के रूप में सुलभ यातायात के साधन को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने भी यहाँ पर उद्योगों को बढ़ावा दिया जिससे इस शहर की ‘मैंचेस्टर ऑफ द ईस्ट’ और ‘लेदर सिटी ऑफ द वर्ल्ड’ के रूप में पहचान बनी। लेकिन यही औद्योगिक विकास कानपुर और गंगा के प्रदूषण का प्रमुख कारण बन गया। भारत सरकार नमामि गंगे मिशन के तहत गंगा को साफ और स्वच्छ बनाने के लिए प्रयत्नशील है। लेकिन इस मिशन की सफलता के लिए सभी भागीदारों का सहयोग होना बहुत आवश्यक है। यहां के उद्योग और व्यापार जगत से यह अपेक्षा की जाती है कि वे प्रदूषण की समस्या को मिटाने में सहयोग करते हुए कानपुर और गंगा को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान करेंगे।

आज जलवायु परिवर्तन एक विकराल समस्या के रूप में हमारे सामने है। अगर इस चुनौती से निपटने के प्रयास हम अभी से नहीं करेंगे तो वर्तमान के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियाँ भी अनेक कठिनाइयों का सामना करेंगी। इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने CoP-26 शिखर सम्मेलन में घोषणा की है कि वर्ष 2030 तक भारत अपने कार्बन उत्सर्जन को एक बिलियन टन से घटा देगा और साल 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था बनने का प्रयास करेगा। लेकिन इस लक्ष्य को प्राप्त करने में उद्योग जगत का सहयोग बहुत ही जरूरी है। विश्वभर की अनेक कंपनियां ज़ीरो कार्बन अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे रही हैं। अतः मैं यहां पर उपस्थित उद्योग व्यापार जगत के सभी प्रतिनिधियों से अपेक्षा करूंगा कि वे न सिर्फ वर्तमान में चल रहे उद्योगों में प्रदूषण कम करने की दिशा में कार्य करेंगे बल्कि ऐसे नए उद्योगों को स्थापित करने में भी सहयोग करेंगे जो पर्यावरण के अनुकूल हों। मुझे पूरा विश्वास है कि यहाँ के प्रतिभाशाली छात्रों का कौशल, आप लोगों की व्यावसायिक क्षमता और उत्तर प्रदेश के मेहनती नागरिक मिलकर इस कार्य को संभव बना सकते हैं।

देवियो और सज्जनो,

उत्तर प्रदेश प्राचीन काल से ही उद्योग और व्यापार का प्रमुख केंद्र रहा है। यहाँ के घरेलू, लघु और कुटीर उद्योग अपने उत्पादों के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं – चाहे वो लखनऊ का चिकन हो या वाराणसी का सिल्क, मुरादाबाद का पीतल हो या भदोही का कार्पेट- अपने गुणवत्ता और कारीगरी के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। इस राज्य का प्रत्येक क्षेत्र किसी न किसी विशेष उत्पाद के लिए जाना जाता है। इसी विशेषता को और उभारने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रॉडक्ट’ योजना की शुरुआत की है जिसके तहत प्रत्येक जिले में वहाँ के परंपरागत उद्योग, आर्ट और क्राफ्ट को बढ़ावा दिया जा रहा है।

इस बात को संज्ञान में लेते हुए कि देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन के साथ साथ उद्योगों के विकेन्द्रीकरण में Micro, Small and Medium Enterprises महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, भारत सरकार ने भी 'आत्मनिर्भर भारत' और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत MSMEs को बढ़ावा देने के लिए अनेक नीतिगत सुधार किए हैं। सरकार ने रक्षा संबंधी उपकरणों की लिस्ट जारी की है जिनकी खरीद अब सिर्फ स्वदेशी स्रोतों से ही की जा सकती है। यह कदम रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में सरकार के निरंतर प्रयासों का एक हिस्सा है जो 'स्टार्ट-अप' के साथ-साथ MSME के लिए भी उत्कृष्ट अवसर प्रदान कर रहा है। उत्तर प्रदेश में बहुत से ऐसे लघु, कुटीर और मध्यम उद्योग हैं जो सरकार की इन पहलों का लाभ उठा सकते हैं।

राज्यपाल महोदया आनंदीबेन पटेल जी के मार्गदर्शन में और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में निवेश बढ़ाने, रोजगार सृजन और प्रदेश के सतत विकास के लिए अनेक कदम उठा रही है। कल ही लखनऊ में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने तीसरे ‘उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट’ का उदघाटन किया। यह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना महामारी के बाद आयोजित किया जाने वाला पहला इन्वेस्टर्स समिट है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस समिट के जरिये राज्य में प्राप्त निवेश उत्तर प्रदेश को ‘वन ट्रिलियन’ अर्थव्यवस्था बनाने में अहम कदम साबित होगा। आप सब से भी आशा है कि राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लेते हुए प्रदेश के विकास में अपना योगदान देंगे।

देवियो और सज्जनो,

किसी भी व्यापारिक संगठन का उद्देश्य केवल अपने सदस्यों के हित के लिए कार्य करने का नहीं होना चाहिए बल्कि उसे समाज के सर्वांगीण विकास में भी भागीदार बनना चाहिए। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ उत्तर प्रदेश महिला सशक्तीकरण और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहा है।

कल मैं अपने पैतृक गांव परौंख गया था जहां जाकर बचपन की बहुत सारी यादें ताजा हो गयी। मुझे लगता है कि आज मैं जहां तक पहुंचा हूं उसका श्रेय अपनी पैतृक गांव की मिट्टी, कानपुर की धरती जहां मैंने शिक्षा ग्रहण की और यहाँ के लोगों के स्नेह व आशीर्वाद को जाता है। मैंने अपने पुश्तैनी निवास का जीर्णोद्धार कराके उसे ग्रामवासियों के उपयोग के लिए समर्पित कर दिया था। गांववासी उसका उपयोग मिलन केंद्र के रूप में कर रहे हैं जिसे देखकर संतोष का अनुभव होता है। मुझे लगता है कि जिस कानपुर की धरती के आशीर्वाद ने मुझे यहां तक पहुंचाया उसके लिए मैं जो कुछ भी कर सकूँ वह कम है।

इस संदर्भ में, मुझे कुछ ऐसे गांवों का स्मरण आता है जहां से निकले कुछ प्रबुद्ध नागरिकों ने अपनी संवेदनशीलता और कर्मठता का परिचय देते हुए उन गांवों का कायाकल्प कर दिया। मैं यहां इस बात का उल्लेख इस लिए कर रहा हूं कि आप लोगों का भी किसी न किसी गाँव से संबंध जरूर रहा होगा। आप सब लोग सुविधा सम्पन्न भी हैं अतः विकास यात्रा में जो लोग आपसे पीछे रह गए हैं उनके लिए कुछ करने की हम सब की ज़िम्मेदारी बनती है। मैं आप लोगों से उम्मीद करूंगा कि आप लोग गांवों में जाएंगे और उनके सामाजिक और आर्थिक विकास में अपना योगदान देंगे। आप लोग व्यक्तिगत रूप से या समूह बना कर गांवों को adopt कर सकते हैं और उनके सर्वांगीण विकास में अपना योगदान कर सकते हैं।

हालांकि Corporate Social Responsibility यानि CSR, यह शब्द आधुनिक सभ्यता की देन है लेकिन व्यापारिक समूहों द्वारा सामाजिक कल्याण के कार्य करने की हमारी पुरानी परंपरा रही है। अनेक ऐसे वर्णन मिलते हैं जहां व्यापारी अपने अर्जित धन का कुछ हिस्सा जन-कल्याण के कार्यों के लिए अलग रख देते थे। इस प्रकार कमाए गए धन का कल्याणकारी कार्यों में उपयोग करना भारतीय परंपरा का हिस्सा रही है। मुझे विश्वास है कि आप सब भी इस परंपरा का पालन कर रहे होंगे।

कल मेरा संत कबीर की निर्वाण स्थली मगहर जाने का भी कार्यक्रम है। जहां उस महान संत को नमन करने का अवसर मुझे प्राप्त होगा। मैं आप लोगों के बीच कबीर अमृत वाणी से एक दोहे का उल्लेख करना चाहूँगा:

धन रहै न जोबन रहै, रहै न गांम न ठांम।

कबीर जग में जस रहै, करिदे किसी का काम।।

देवियो और सज्जनो,

आपकी संस्था अगले 10 वर्षों में 100 वर्ष की हो जाएगी। किसी भी संस्था की यात्रा में शताब्दी वर्ष का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। यह अवसर अपनी पिछली यात्रा पर गर्व करने के साथ-साथ भविष्य की दिशा-दशा तय करने का भी होता है। मुझे आशा है कि आप सब भी इस संस्था की आगामी वर्षों की योजनाओं को कार्यरूप दे रहे होंगे। मैं चाहूँगा कि जब राज्य की सबसे पुरानी मर्चेंट्स चेम्बर अपनी स्थापना के 100 साल मनाए तब उत्तर प्रदेश भारत के अग्रणी राज्यों में शामिल हो।

जैसा कि आप सब जानते हैं कि हम भारत की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने का उत्सव मना रहे हैं। यह हमारे देश की विकास यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है जहां हमें न सिर्फ अपने पूर्वजों और स्वतन्त्रता सेनानियों, जिन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया, को गर्व के साथ याद करना है, बल्कि हमें अपने देश के लिए ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के साथ कार्य भी करना है, ताकि जब हमारा देश आजादी की शताब्दी वर्ष मना रहा हो तब वह प्रमुख विश्व-शक्ति हो और हमारी आने वाली पीढ़ियाँ हम सब पर गर्व करें।

धन्यवाद,

जय हिन्द!