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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का राज्यपाल सम्मलेन-2018 के समापन सत्र में उद्बोधन

राष्ट्रपति भवन : 05.06.2018

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1. इस सम्मेलन के दौरान आप सबकी भागीदारी और योगदान से एजेंडा में शामिल किए गए विषयों पर सार्थक एवं उपयोगी विचार-विमर्श हुआ।इससे हर भारतवासी, खासकर विकास की यात्रा में पीछे रह गए लोगों, एवं युवाओं के जीवन को बेहतर बनाने के हमारे राष्ट्रीय प्रयास को और बल मिलेगा।

2. मैं उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अन्य सभी मंत्रियों एवं अधिकारियों को इस सम्मेलन में विशेष योगदान के लिए धन्यवाद देता हूँ।सम्मेलन का कुशल संचालन करने के लिए गृह मंत्री विशेष धन्यवाद के पात्र हैं।इस सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन करने के लिए, इस कार्य में लगे, राष्ट्रपति भवन एवं गृह मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की सराहना करता हूँ।

3. कल प्रधानमंत्री जी ने जन-जातियों के योगदान एवं उत्थान, 150वीं गांधी जयंती, समावेशी विकास और युवाओं की प्रतिभा के समुचित उपयोग के कुछ मुद्दों पर बहुत अच्छे सुझाव दिये।राज्यपालों और उप-राज्यपालों ने बहुत ही उत्साह के साथ अपनी उपलब्धियां, अनुभव और सुझाव साझा किए हैं।

4. महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर शुरू होने वाले दो वर्ष के कार्यक्रमों को अच्छे ढंग से आयोजित करने के विषय में, आज आप लोगों ने कुछ बहुत ही अच्छे सुझाव दिये हैं।इन सुझावों को ध्यान में रखते हुए गांधी-जयंती के कार्यक्रम तय किए जाएंगे।

5. राज्यपालों की समिति की रिपोर्ट–विकास के राजदूत – में सुझाई गई नई गतिविधियों पर यहाँ विस्तार से चर्चा हुई।इस रिपोर्ट के आधार पर की गई कार्यवाही पर हुई चर्चा से यह स्पष्ट हुआ है कि राज्यपालों द्वारा स्वच्छता, सुशासन, स्वास्थ्य, शिक्षा और डिजिटल कामकाज को प्रोत्साहन देने तथा महिलाओं के सशक्तीकरण के क्षेत्रों में कई ठोस कदम उठाए गए हैं।इस रिपोर्ट से तथा अन्य चर्चाओं, से राज्यों में किए गए अनेक अच्छे कार्यों की जानकारी मिलती है।सभी राज्यपाल ऐसी उपलब्धियों की प्राप्त जानकारी का अपने-अपने प्रदेशों में आवश्यकतानुसार उपयोग कर सकते हैं।इससे, एक राज्य में प्राप्त हुई सफलता का अनुभव अन्य राज्यों में भी दोहराया जा सकता है।

6. आज ‘विश्व-पर्यावरण दिवस’ है।पर्यावरण-संरक्षण के लिए ‘थिंक ग्लोबल, एक्ट लोकल’ की नीति को प्रभावी माना जाता है। ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स’, ‘पेरिस अकॉर्ड’ और ‘इन्टरनेशनल सोलर अलायंस’ को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में स्थानीय योगदान बहुत महत्वपूर्ण है।

7. हमारे संविधान में दिए गए ‘डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ स्टेट पॉलिसी’ में भी पर्यावरण के संरक्षण तथा संवर्धन और वन तथा वन्य जीवों की रक्षा का उल्लेख किया गया है।इस संदर्भ में सभी राजभवन-परिसरों को पर्यावरण की दृष्टि से आदर्श परिसर तथा राजभवनों को ‘मॉडल बिल्डिंग’ के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा सकता ।जल प्रबंधन, स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग, ऊर्जा की बचत और ‘ज़ीरो कार्बन’ का लक्ष्य प्राप्त करने के क्षेत्रों में तेजी से काम करने की जरूरत है।ऐसा करने पर, राजभवन के आदर्श का सभी सरकारी संस्थान एवं कार्यालय भी अनुकरण करेंगे।इसी प्रकार, हमारे संविधान में राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों या स्थानों का संरक्षण करने की ज़िम्मेदारी भी दी गयी है।राष्ट्रीय धरोहरों का संरक्षण करने के लिए आप सभी राज्यपाल, राज्य सरकार तथा स्वयं सेवी संस्थाओं को प्रेरित कर सकते हैं।ऐसा करने से इन अमूल्य सांस्कृतिक धरोहरों का भावी पीढ़ी के लिए रख-रखाव भी होगा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

8. राजभवन आधुनिक टेक्नोलोजी तथा कार्य-प्रणाली को अपनाकर एक मॉडल प्रस्तुत कर सकते हैं।राजभवनों के डैशबोर्ड बनाए जा सकते हैं जिन पर डायनामिक डेटा उपलब्ध रहे।साथ ही, बहुत प्रभावशाली वेब-साइट्स बनाई जा सकती हैं। इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी का राजभवनों द्वारा व्यापक रूप से प्रयोग करने से एक ‘डेमोंस्ट्रेशन इफेक्ट’ पैदा होगा।

9. इसी प्रकार, राज्य-विश्वविद्यालयों के परिसरों को भी पर्यावरण की दृष्टि से आदर्श परिसरों के रूप में विकसित किया जा सकता है।विश्वविद्यालय-समुदाय राज्य की जनता में पर्यावरण-अनुकूल जीवन-यापन और कार्य-प्रणाली अपनाने के लिए जागरूकता पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए जलाशयों तथा अन्य वाटर बॉडीज़ की देख-रेख करने में विश्वविद्यालय अपना योगदान दे सकते हैं।

10. राज्यपाल, विश्वविद्यालयों को यूनिवर्सिटीज़ सोशल रिस्पोन्सिबिलिटी यानि यूएसआर के लिए प्रेरित कर सकते हैं।प्रत्येक विश्वविद्यालय से लगभग दो माह के अंतराल पर कम से कम पाँच छात्र-छात्राएँ गांवों में जाएँ, और यदि संभव हो सकें तो वहाँ रात्रि में रुकें और गाँव वालों के साथ बैठकर चर्चा विचारणा करें।वे सुनिश्चित करें कि गाँव ODF बने।वे गाँव की साफ-सफाई, सम्पूर्ण साक्षरता, सभी बच्चों के टीकाकरण तथा न्यूट्रीशन जैसी कल्याणकारी योजनाओं के बारे में ग्रामवासियों के साथ संवाद बनाएँ।साथ ही, केंद्र तथा राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में भी ग्रामवासियों को जानकारी प्रदान करें।स्वच्छता इंटर्नशिप के अंतर्गत छात्र-छात्राओं द्वारा किए जा रहे स्वच्छता संबंधी कार्यक्रम को और प्रभावी बनाने के लिए आप कुलपतियों के साथ विचार-विमर्श कर सकते है।अगले व तक सम्पूर्ण स्वच्छता का लक्ष्य प्राप्त करने में इससे सहायता मिलेगी।

11. विश्वविद्यालयों द्वारा ‘एडमिशन एप्लिकेशन’ से लेकर सर्टिफिकेट प्रदान करने तक के सभी काम डिजिटल माध्यमों से किए जा सकते हैं।‘नेशनल एकेडेमिक डेपोजिटरी’ की सहायता से विद्यार्थियों के डिप्लोमा, डिग्री तथा सर्टिफिकेट डिजिटाइज़ किए जा सकते हैं।राज्य के विश्वविद्यालयों के कॉमन वेब-पोर्टल्स विकसित किए जा सकते हैं जिनसे विद्यार्थियों को ‘एडमिशन-एप्लिकेशन’ से लेकर अन्य सभी सुविधाओं के बारे में एक जगह सारी जानकारी मिल सके और उनका काम सुचारु रूप से हो सके।इस क्षेत्र में भी आप सब अपनी प्रेरणादायी भूमिका निभाएं।

12. आज के विद्यार्थियों को ‘मिलेनियल’ पीढ़ी कहा जाताहै।वे सोशल मीडिया तथा डिजिटल वर्ल्ड के माध्यम से जानकारी लेते हैं और अपने काम करते हैं। आधुनिक टेक्नोलोजी का सर्वाधिक उपयोग करते हुए इस पीढ़ी को समुचित रूप से तैयार करने के नये तरीके अपनाने होंगे। तभी हम युवाओं की भावी पीढ़ी को राष्ट्र-निर्माण हेतु तैयार कर पाएंगे।

13. राज्य-विश्वविद्यालयों द्वारा भारत सरकार के प्रतिष्ठित अनुसंधान केन्द्रों तथा उच्च-शिक्षण संस्थानों के साथ निरंतर सहयोग बनाए रखना है ताकि वे विज्ञान और टेक्नोलोजी के तेजी से बदलते हुए परिवेश में उपयोगी शिक्षा एवंअनुसंधान पर कार्य कर सकें।इसी प्रकार, युवाओं को आर्थिक रूप से समर्थ बनाने के लिए ‘डिपार्टमेन्ट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन’ तथा ‘मिनिस्ट्री ऑफ स्किलडेवलपमेंट’ द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ लेना चाहिए।राज्य-विश्वविद्यालयों द्वारा रोजगार-पर कइंटर्नशिप पर भी ज़ोर दिया जाना चाहिए।विश्वविद्यालयों में ‘आंत्रप्रेन्योरशिप एंडरिक्रूटमेन्टसेल’ की स्थापना और उनका प्रभावी उपयोग करने से विद्यार्थी लाभान्वित होंगे।

14. प्रत्येक राज्य-विश्वविद्यालय द्वारा किसी एक विषय पर ‘सेंटरऑफ एक्सेलेन्स’ विकसित किया जा सकता है।इस से उस राज्य के विद्यार्थियों को अपने चुने हुए विषय का अध्ययन करने के लिए एक उत्कृष्ट संस्थान उपलब्ध हो सकेगा।

15. मुझे विगत अप्रैल महीने में जम्मू में स्थापित ‘श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय’ के दीक्षांत समारोह में जाने काअवसर मिला था।उस विश्वविद्यालय के हरे-भरे सुंदर परिसर, वहाँ के विद्यार्थियों का उत्साह तथा विद्यार्थियों के हित में उद्यमियों के साथ सहयोग करने के प्रयासों को देखकर मुझे बहुतप्रसन्नता हुई।जिस तरह के प्रयास जम्मू में स्थित उस विश्वविद्यालय में किए गए हैं वे अन्य विश्वविद्यालयों में भी अपनाए जा सकते हैं।

16. यह देखा गया है कि कई राज्यों के विश्वविद्यालयों में लगातार प्रयासों के बावजूद प्राध्यापकों के सभी स्थान भरे नहीं जा सकेहैं।कुछ विश्वविद्यालयों में कुलपति के पद भी रिक्त हैं।वरिष्ठ अध्यापकों एवं कुलपतियों के चयन में सहायता प्रदान करने के लिए ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय’ एवं ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ द्वारा कुछ सुझाव दिए गए हैं जिन का विवरण 2017 के राज्यपाल सम्मेलन पर कार्रवाई की रिपोर्ट में उपलब्ध है।आप सभी राज्यपाल, अध्यापकों एवं कुलपतियों के चयन में इन प्रयासों का उपयोग करने की सलाह दे सकते हैं।

17. राज्यपालों द्वारा समय-समय पर कुलपतियों के सम्मेलन बुलाया जानाआवश्यक है।मुझे प्रसन्नता है कि कई राज्यपाल ऐसा कर भी रहे हैं। ऐसे सम्मेलनों का एजेंडा कुलपतियों के साथ परामर्श कर के पहले से तय किया जा सकता है।इन सम्मेलनों में राज्य के शिक्षामंत्री तथा शिक्षा एवं वित्तवि भागों के अधिकारियों को शामिल करना भी आवश्यक है ताकि विश्वविद्यालयों की समस्याओं का उन सम्मेलनों में on the spot समाधान किया जा सके।इन सम्मेलनों में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय, UGC तथा अन्य विभागों के अधिकारियों को भी निमंत्रित कर के समस्याओं का तात्कालिक निदान किया जा सकता है।इसी तरह विज्ञान के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार की भी मदद ली जा सकती है।अगले ही महीने जुलाई में नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने वाला है।इसलिए, विश्वविद्यालयों से जुड़े इन कार्यों को शीघ्रता से पूरा करना विद्यार्थियों के लिए लाभदायक होगा।

18. राज्यपालों द्वारा राज्य के सम्मानित बुद्धि जीवियों, समाज-सेवकों, उद्योगपतियों तथा विशेषज्ञों के साथ निरंतर परामर्श करते रहना बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। राज्यपाल, समय-समय परजन-जातीय तथा अन्य पिछड़े क्षेत्रों में जाकर, लोगों से संवाद स्थापित करके, उनकी आवश्यकताओं को समझकर, उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकारों को प्रेरित कर सकते हैं।

19. इस सम्मेलन में हुई चर्चा के दौरान यह बताया गया कि अनेक राज भवनों में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों और योजनाओं की जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाती है।इस विषय में यह कहना प्रासंगिक होगा कि ‘प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो’ द्वारा प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से ऐसी जानकारी हर रोज दी जाती है।साथ ही ई-मेल तथा सोशल मीडिया के माध्यमों, जैसे किट्विटर और फेसबुक, के जरिए भी यह जानकारी उपलब्ध कराई जाती है।‘विकास के राजदूत’ नामक राज्यपालों की रिपोर्ट में भी यह सुझाव दिया गया है कि सभी राज्यपाल सोशल मीडियाका उपयोग करें।कल प्रधानमंत्री जी ने भी राज्यपालों द्वारा इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी और सोशल मीडिया का उपयोग करने का सुझाव दिया था।अतः मेरा अनुरोध है कि सभी राज भवनों के कार्यालय ई-मेल और ट्विटर तथा फेसबुक का उपयोग करें और भारत सरकार के कार्य-कलापों की जानकारी प्राप्त करें।

20. हाल ही में हमने नियत समय पर आए मॉनसून का स्वागत किया है।मैं कृषि समेत सभी क्षेत्रों में, आप सभी के राज्यों और वहाँ के निवासियों की समृद्धि और कल्याण की मंगल-कामना करता हूँ।

21. इसी के साथ मैं इस राज्य पाल सम्मेलन की समाप्ति की घोषणा करता हूँ।

धन्यवाद!