Back

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द जी का शिक्षक दिवस के अवसर पर सम्बोधन

राष्ट्रपति भवन : 05.09.2020

Download PDF

शिक्षक दिवस की आप सब को शुभकामनाएं!

1. शिक्षक दिवस के अवसर पर आप सभी शिक्षकों के साथ जुड़कर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। मैं राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुने गए सभी शिक्षकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।

2. सामान्यत: आप सबके बीच आकर स्वयं पुरस्कार प्रदान करके मुझे और अधिक प्रसन्नता होती, परंतु कोविड-19 की वैश्विक महामारी के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है।

3. आप सभी ने अपनी प्रतिबद्धता और परिश्रम के माध्यम से न केवल स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है, बल्कि अपने विद्यार्थियों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है।

4. मुझे बताया गया है कि आज के पुरस्कार विजेताओं का चयन एक स्वतंत्र जूरी द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नामांकित शिक्षकों की सूची में से व्यापक विचार विमर्श के बाद किया गया है। आज यहां लद्दाख से लेकर तमिलनाडु तक और गुजरात से लेकर त्रिपुरा तक, पूरे देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हमारे साथ जुड़े हुए हैं। अभी मैं देख रहा था कि आज सम्मानित किए गए 47 शिक्षकों में से 18 अध्यापिकाएं हैं - यानि लगभग 40 प्रतिशत। यह देखकर मुझे विशेष खुशी हुई है। शिक्षक के रूप में महिलाओं ने हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

5. आज हम सब, पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को कृतज्ञता-पूर्वक याद करते हुए नमन करते है। वे एक महान दार्शनिक, स्टेट्समैन व बुद्धिजीवी थे। लेकिन, इन सबसे बढ़कर, वे एक असाधारण शिक्षक भी थे। एक बार डॉक्टर राधाकृष्णन से उनके विद्यार्थियों और मित्रों ने उनका जन्मदिन मनाने की अनुमति मांगी, जवाब में उन्होंने कहा कि "मेरे जन्मदिन को अलग से मनाने के बजाय, मेरे लिए यह सौभाग्य की बात होगी यदि 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए”। शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने एक बार कहा था कि "Teachers should be the best minds in the country". शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने वाला उनका जन्मोत्सव, देश के विकास में उनके अमूल्य योगदान तथा एक शिक्षक के रूप में उनके और पूरे शिक्षक समुदाय के प्रति सम्मान का प्रतीक है। आज सभी शिक्षकों की प्रतिबद्धता, समर्पण और उत्कृष्ट योगदान के प्रति हम अपना आभार व्यक्त करते हैं। शिक्षा-जगत में, डॉक्टर राधाकृष्णन की सेवाएं व अमूल्य योगदान, हम सबके लिए, विशेषकर आप सभी शिक्षकों के लिए अनुकरणीय हैं।

6. आज के दिन मैं अपने अध्यापकों और सभी गुरुओं को भी नमन करता हूं। शिक्षकों के स्नेह और मार्गदर्शन के बल पर ही मैं अपनी जीवन-यात्रा में यहां तक पहुंच सका हूं। पिछले वर्ष, फरवरी 2019 में, मुझे कानपुर में अपने विद्यालय जाकर अपने वयोवृद्ध शिक्षकों का आशीर्वाद पाने का सुअवसर मिला था। हमारी परंपरा में तो गुरु का स्थान सबसे ऊपर माना गया है। शिक्षकों के प्रति आदर का यह भाव भारतीय शिक्षा पद्धति का आधार रहा है।

देवियो और सज्जनो,

7. अच्छे भवन, महंगे उपकरण या सुविधाओं से स्कूल नहीं बनता बल्कि एक अच्छे स्कूल को बनाने में शिक्षकों की निष्ठा और समर्पण ही निर्णायक सिद्ध होते हैं। प्राचीन विश्व में शिक्षा का विश्व-प्रसिद्ध केंद्र माने गए तक्षशिला विश्वविद्यालय की जब भी चर्चा होती है तो सबसे पहले आचार्य विष्णुगुप्त या चाणक्य ही याद आते है, जो पहले वहां छात्र थे और बाद में वहीं प्राचार्य बने थे। शिक्षक ही सच्चे राष्ट्र निर्माता हैं जो प्रबुद्ध नागरिकों का विकास करने के लिए चरित्र-निर्माण की मजबूत नींव हमारे बेटे-बेटियों में डालते हैं।

8. शिक्षक की वास्तविक सफलता है विद्यार्थी को अच्छा इंसान बनाना - जो तर्कसंगत विचार और कार्य करने में सक्षम हो, जिसमें करुणा और सहानुभूति, साहस और विवेक, रचनात्मकता, वैज्ञानिक चिंतन और नैतिक मूल्यों का समन्वय हो; ऐसे नागरिक, जो संविधान द्वारा परिकल्पित न्याय व समता पर आधारित समावेशी समाज के लिए सदा प्रयत्नशील रहें।

9. आज पूरी दुनिया कोविड-19 की वैश्विक महामारी से जूझ रही है जिसने जन-जीवन को भारी क्षति पहुंचाई है और हर प्रकार की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न की है। भारत सहित, दुनिया भर के अधिकांश देशों में स्कूल, कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थान बंद हैं या इससे प्रभावित है। ऐसे समय में शिक्षा प्रदान करने में डिजिटल टेक्नॉलॉजी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हमारे शिक्षक, कई माध्यमों जैसे - मोबाइल, लैपटॉप, वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग ऍप्स, कम्युनिटी रेडियो, पॉडकास्ट, टेलीविजन, के जरिए, बच्चों तक पहुंचने और उन्हें सीखने के अवसर प्रदान करने के लिए प्रयासरत हैं।

10. कोविड-19 के कारण आये इस अचानक बदलाव के समय पारम्परिक शिक्षा के माध्यमों से हटकर डिजिटल माध्यम से पढ़ाने में सभी शिक्षक सहज नहीं हो पा रहे थे। लेकिन इतने कम समय में हमारे शिक्षकों ने डिजिटल माध्यम का उपयोग करके विद्यार्थियों से जुड़ने के लिए कड़ी मेहनत की है। यह महत्वपूर्ण है कि आप में से हर कोई डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने के लिए अपने कौशल को अपग्रेड और अपडेट करें जिससे आपके शिक्षण की प्रभावशीलता और अधिक बढ़े। ऑनलाइन शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों को अभिभावकों के साथ भागीदारी करनी होगी ताकि वे बच्चों के साथ इस प्रक्रिया में सहयोगी बनें और उन्हें रुचि के साथ सीखने के लिए प्रेरित करें। आप सबको, अपने विकास के लिए, शिक्षा में हो रहे नए बदलावों के बारे में जानना होगा और इसके लिए लगातार डिजिटल तकनीक का उपयोग करना होगा।

11. हमें यह भी सुनिश्चित करना है कि डिजिटल माध्यम से पढ़ाई करने के साधन ग्रामीण, आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों में भी हर वर्ग के हमारे बेटे-बेटियों को प्राप्त हो सकें।

12. हमारे बच्चों और युवाओं को भविष्य की जरूरतों के अनुसार शिक्षा प्रदान करने की दृष्टि से, केंद्र सरकार ने हाल ही में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ लागू करने का निर्णय लिया है। यह नीति शिक्षकों, शिक्षाविदों, अभिभावकों, तथा विभिन्न समुदायों के सदस्यों के साथ व्यापक परामर्श के बाद बनाई गई है। इस नीति को सफल बनाने में शिक्षकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी।

13. शिक्षा व्यवस्था में किये जा रहे बुनियादी बदलावों के केंद्र में अवश्य शिक्षक ही होने चाहिए। नयी शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षकों को सक्षम बनाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। इस नीति के अनुसार हर स्तर पर शिक्षण के पेशे में सबसे होनहार लोगों का चयन करने के प्रयास करने होंगे। साथ ही शिक्षकों की स्वायत्तता व उनके सम्मानपूर्वक स्थान को सुनिचित करने के प्रयास जारी रखने होंगे।

14. एक बार फिर, मैं पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं और बच्चों को शिक्षित बनाने में उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और प्रतिबद्धता की सराहना करता हूं। मैं अपने देश में शिक्षक समुदाय के सभी सदस्यों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद,

जय हिन्द!